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20 साल के युवक पर राइसिन भी बेअसर

१५ जनवरी २०१८

राइसिन जैसे जानलेवा जहर का मेडिकल साइंस के पास कोई इलाज नहीं है. लेकिन पूरी दुनिया में तीन लोग ऐसे हैं जिन पर राइसिन बिल्कुल असर नहीं करता है.

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Patient immun gegen Ricin
तस्वीर: UKM/Graffe

कुछ मिलीग्राम राइसिन एक आदमी को खत्म कर देता है. सांस, आहार या इंजेक्शन के जरिये शरीर में घुसते ही राइसिन, प्रोटीन के सिंथेंसिस बंद कर देता है. इसके बाद तंत्रिका तंत्र, किडनी, लीवर और अन्य अंग नाकाम होने लगते हैं. दुनिया के सबसे घातक जहरों में गिने जाने वाले राइसिन के संपर्क में आने के कुछ दिन बाद ही मौत हो जाती है. मेडिकल साइंस के पास राइसिन का कोई इलाज नहीं है. इससे भी बुरी बात यह है कि राइसिन आसानी से हासिल किया जा सकता है. इसे बीजों से निकाला जा सकता है.

राइसिन को जैविक हथियार के तौर पर वर्गीकृत किया गया है. हत्याओं और आंतकवादी हमलों में इसका इस्तेमाल हो चुका है. 1978 में लंदन में रहने वाले बुल्गारियाई लेखक जियोर्जी मार्कोव की हत्या राइसिन से ही की गई. बगल से गुजरते शक्स ने उन्हें छाते की नोंक से छुआ. नोक में राइसिन से भरा इंजेक्शन था.

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लेकिन जर्मन शहर म्युंस्टर का एक युवक वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है. उस पर राइसिन का कोई असर नहीं होता. म्युंस्टर मेडिकल कॉलेज में अब 20 साल के इस युवक पर रिसर्च चल रही है. हॉस्पिटल ने युवक को याकोब नाम दिया है. याकोब की मां के मुताबिक, "उसे हमेशा से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रहीं." याकोब को अक्सर बुखार आ जाता था. उसके कई ऑपरेशन भी किए गए.

हॉस्पिटल में आनुवांशिक मेटाबॉलिज्म डिजिजेज विभाग के प्रमुख डॉक्टर थॉर्स्टन मारक्वार्ट भी याकोब से हैरान थे, "हमें बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि ये बुखार कहां से आता है." लंबे शोध के बाद डॉक्टरों को याकोब के शरीर में एक आनुवांशिक कमी पता चली. याकोब में एक जीन डिफेक्ट है, जो शुगर फ्यूकोज के मेटाबॉलिज्म को रोकता है.

डॉक्टर मारक्वार्ट के मुताबिक अब तक पूरी दुनिया में ऐसे तीन ही लोग सामने आए हैं. दो मामले इस्राएल में मिले. जांच में पता चला कि फ्यूकोज के अभाव में बनी कोशिकाओं पर राइसिन का कोई असर नहीं होता है. असल में राइसिन शरीर के अंदर खून में मौजूद शुगर मॉलिक्यूल्स में घुल जाता है. ऑस्ट्रियन एकेडमी ऑफ साइंसेस, वियना के वैज्ञानिक योहानेस श्टालमन कहते हैं, "शरीर के भीतर रिसेप्टरों से मिलते ही दिक्कत शुरू हो जाती है. रिसेप्टरों की मदद से राइसिन कोशिकाओं तक पहुंच जाता है."

इसके बाद राइसिन कोशिकाओं की कार्यप्रणाली को तबाह करने लगता है. कोशिकाओं के भीतर जीवन के जरूरी ब्लॉक निर्माण बंद होने लगते है. शरीर में जितना ज्यादा फ्यूकोज होगा, राइसिन उतना ही तेज असर करेगा. वियना के वैज्ञानिकों ने म्युंस्टर यूनिवर्सिटी से याकोब की त्वचा के कुछ सैंपल मंगवाए. श्टालमन कहते हैं, "उसकी त्वचा की कोशिकाओं में बिल्कुल भी फ्यूकोज नहीं है, इसीलिए उस पर राइसिन का कोई असर नहीं होता है."

लेकिन मेटाबॉलिज्म से जुड़ी इस समस्या ने याकोब को काफी परेशान किया है. शरीर में फ्यूकोज न होने से उसे हर वक्त कमजोरी रहती. वह न तो ठीक से बोल पाता और न ही ठीक से चल पाता है. अब याकोब को फ्यूकोज सप्लीमेंट के तौर पर दिया जा रहा है. लेकिन श्टालमन को लगता है कि इसके भी साइड इफेक्ट्स होंगे.

ब्रिगिटे ओस्थेराथ/ओएसजे