20 साल लड़कर एयर होस्टेस ने वापस पाई नौकरी
१८ सितम्बर २०१०कोर्ट ने एयरलाइंस को आदेश दिया कि जाटव को वापस नौकरी पर रखे. जस्टिस पीबी मजूमदार और अनूप मेहता ने हाई कोर्ट पूर्व फैसले को सही ठहराया. इससे पहले के फैसले में हाई कोर्ट ने औद्योगिक ट्रिब्यूनल के एक आदेश को जायज बताया था. 2003 में ट्रिब्यूनल ने जाटव के हक में फैसला दिया, लेकिन इसके बाद भी उन्हें दो बार हाई कोर्ट में लड़ाई लड़नी पड़ी.
कोर्ट ने कंपनी की अपील खारिज करते हुए कहा कि जाटव को फौरन नौकरी पर रखा जाए. जजों ने कहा कि अगर कंपनी जाटव को तुरंत नौकरी पर रख लेती है तो वह 2003 के बाद की अपनी तन्ख्वाह नहीं मांगेगी. 2003 में ही ट्रिब्यूनल ने उन्हें नौकरी पर रखने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर जाटव की दोबारा नियुक्ति के आदेश दो महीने के भीतर पास नहीं होते तो जाटव को पिछली तन्ख्वाह छह फीसदी ब्याज के साथ मिलेगी.
जाटव ने 1983 में एयर इंडिया में नौकरी शुरू की. तब वह ट्रेनी एयर होस्टेस के तौर पर भर्ती हुईं. 1990 में कंपनी ने जाटव पर अनुशासनहीनता के तहत कार्रवाई की. कंपनी का कहना था कि गर्भावस्था के दौरान उन्हें दी गई छुट्टियों के बाद भी जाटव काम पर नहीं पहुंचीं. एयर इंडिया के मुताबिक जाटव ने 1988 के दौरान प्रसव अवकाश लिया और उसके बाद उसे 1990 तक बढ़ाती रहीं. इस दौरान उन्होंने दो बच्चों को जन्म दिया.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य