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37 साल बाद नया राष्ट्रपति

२४ नवम्बर २०१७

एमर्सन मनानगाग्वा ने जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति पद की शपथ ली. आजादी के बाद यह पहला मौका है जब देश को दूसरा राष्ट्रपति मिला है.

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Simbabwe Harare Vereidigung Präsident Emmerson Mnangagwa
तस्वीर: Reuters/M. Hutchings

डर के कारण देश से भागे एमर्सन मनानगाग्वा ने जिम्बाब्वे लौटकर शुक्रवार को राष्ट्रपति पद की शपथ ली. राजधानी हरारे में हजारों लोगों से भरे स्टेडियम में मनानगाग्वा ने हाथ हिलाकर लोगों को अभिवादन किया. शपथ लेने के बाद मनानगाग्वा ने जनता की भलाई का वादा किया. इस दौरान 37 साल तक देश चलाने वाले रॉबर्ट मुगाबे मौजूद नहीं थे.

इससे पहले एक नाटकीय घटनाक्रम के दौरान 1980 से देश की सत्ता संभाल रहे रॉबर्ट मुगाबे ने पद से इस्तीफा दिया. इस्तीफे से पहले मुगाबे ने मनानगाग्वा को बर्खास्त किया था. एमर्सन की बर्खास्तगी के बाद जिम्बाव्वे की सत्ताधारी पार्टी जानू-पीएफ और सेना ने मामले में दखल दिया. मुगाबे को नजरबंद सा कर दिया गया. संसद ने भी उनके खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की. बढ़ते दबाव के बीच दुनिया के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रप्रमुखों में शुमार मुगाबे को इस्तीफा देना पड़ा.

ऐतिहासिक लम्हे में झूमता जिम्बाब्वे

37 घंटे में ढही मुगाबे की 37 साल की सत्ता

बर्खास्तगी के बाद मोजाम्बिक और वहां से दक्षिण अफ्रीका भागने वाले मनानगाग्वा भी कार्यकारी राष्ट्रपति हैं. विपक्ष ने नए राष्ट्रपति से भ्रष्टाचार की संस्कृतिक को खत्म करने की मांग की है. मनानगाग्वा का दामन भी दागदार है. उन्हें शासन के गलियारों में पैठ रखने वाले कुलीन वर्ग का सदस्य माना जाता है. 1980 के दशक में चले गृह युद्ध के दौरान मनानगाग्वा जासूस थे. गृह युद्ध में हजारों आम लोगों की मौत हुई. मनानगाग्वा खुद को बेकसूर बताते हुए, इसके लिए सेना को जिम्मेदार ठहराते हैं.  

मनानगाग्वा ने बदले की भावना से काम करने की बात से इनकार करते हुए कहा कि मुगाबे और उनके परिवार को अधिकतम सुरक्षा दी जाएगी.  कार्यकारी ही सही लेकिन नए राष्ट्रपति पर आर्थिक रूप से खस्ताहाल देश को चलाने की जिम्मेदारी है. ठेला लगाकर केला बेचने वाले 19 साल के केल्विन फुगाई से जब यह पूछा गया कि सत्ता के बदलाव को आप किस तरह देखते हैं तो उन्होंने कहा, "शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने से मेरे परिवार को तो खाना नहीं मिलेगा." अच्छी पढ़ाई के बावजूद जिम्बाब्वे के ज्यादातर युवा बेरोजगार हैं. ज्यादातर युवा रोजी रोटी कमाने के लिए सड़क पर सामान बेचते हैं. कई देश छोड़कर विदेशों में बहुत ही सस्ते लेबर के रूप में काम कर रहे हैं.

(1,000 अरब डॉलर का एक नोट)

ओएसजे/एनआर (एपी, एएफपी)