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सेहतमंद करता है ताजा हवा का झोंका

ओंकार सिंह जनौटी
२४ मार्च २०१७

सुबह सुबह खिड़की खोलिये, खुद ताजा हवा लीजिए और घर के अंदर आने दीजिए. स्वच्छ ताजा हवा वाकई हमें कई बीमारियों से बचाती है. लेकिन क्या ऐसा शहरों में भी मुमकिन है?

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Waldspaziergang
तस्वीर: Monkey Business Images

बंद कमरों में धीरे धीरे ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है. कमरे में बैठा इंसान लंबी सांस भी नहीं लेता है. प्राणवायु मानी जाने वाली ऑक्सीजन की इसी कमी से शरीर थकने सा लगता है और एकाग्रता में कमी आती है. इसके उलट जब हम ताजा हवा में कसरत या जॉगिंग करते हैं तो शरीर बहुत तेजी से ऑक्सीजन सोखता है. बदन में अचानक ऊर्जा सी बहने लगती है और मूड भी बेहतर होने लगता है.

वैज्ञानिक प्रयोग भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं. दक्षिण कोरिया में डॉक्टरों ने 43 बुजुर्ग महिलाओं को हर दिन एक घंटे हरे भरे जंगल में पैदल चलने को कहा. प्रयोग से पहले सबकी सेहत की जांच की गई. ज्यादातर महिलाओं का बीपी बढ़ा रहता था. लेकिन एक घंटे हरियाली में घूमने के बाद उनके ब्लड प्रेशर में बहुत ज्यादा अंतर पड़ा. उनकी रक्त धमनियों और शिराओं की लचक बढ़ गई. वहीं जंगल के उलट शहर में घूमने वाली महिलाओं में ज्यादा फर्क नहीं पड़ा.

जापान में हुई रिसर्च में भी ऐसे ही नतीजे देखे गए. जंगल या अच्छे प्राकृतिक वातावरण में घूमने वालों का दिल ज्यादा सेहतमंद मिला. उनमें तनाव संबंधी हार्मोन भी कम दिखे. टोक्यो के निपॉन मेडिकल कॉलेज के मुताबिक जंगल की ताजा हवा में घूमने से शरीर की नेचुरल किलर सेल्स एक्टिव हो जाती हैं. ये कोशिकाएं इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है और कैंसर जैसी बीमारियों से भी लड़ती है.

लेकिन शहरों में ऐसी ताजा हवा मिलना आसान नहीं. शहर बढ़ रहे हैं और उनके आस पास के जंगलों को काट दिया जाता है. पर्याप्त पार्क भी नहीं बनाये जा रहे हैं. बीजिंग और दिल्ली समेत दुनिया के कई देशों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है. वहां बाहर निकलना काफी नुकसानदेह है.

(9 शहर जहां सांस लेना खतरनाक है​​​​​​​)