यूरोपीय संघ दुनिया के सबसे स्थिर और समृद्ध इलाकों में शामिल है. सदस्य देशों का मानना है कि गृह युद्ध और राजनीतिक दमन के शिकार लोगों को शरण दिया जाना चाहिए. लेकिन इस समय यूरोप आ रहे शरणार्थियों की बड़ी तादाद यूरोपीय संघ के इस इरादे के लिए चुनौती पैदा कर रही है. ताजा अनुमान के अनुसार, इस साल 10 लाख से ज्यादा लोग शरण लेने के लिए यूरोप में दाखिल होंगे. यूरोप आ रहे शरणार्थियों का हर कोई स्वागत नहीं कर रहा. जर्मनी में आप्रवासन विरोधी गुटों ने शरणार्थी गृहों पर हमले और आगजनी जैसी कार्रवाईयां की हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्कल को भी उग्र दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ा है. इसने दुनिया की नजरों में जर्मनी का सम्मान घटाया है.
ग्रैहम लूकस
शरणार्थियों के रूप में हिंसक इस्लामी कट्टरपंथियों के यूरोप आने के डर की वजह से जर्मनी में ही नहीं बल्कि पूरे यूरोप मेंआप्रवासन विरोधी पार्टियों के लिए समर्थन बढ़ा है. इस चिंताओं को दूर किया जाना चाहिए और हमारे तरह के समाज को अस्वीकार करने वाले इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए. लेकिन यूरोपीय नेताओं को याद रखना चाहिए कि सच्चे शरणार्थियों को शरण देना यूरोप का कानूनी और नैतिक कर्तव्य है. इसके फायदे भी हैं. यूरोप की तेजी से घट रही आबादी भविष्य में आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा है.
लेकिन शरणार्थियों की बड़ी संख्या को देखते हुए जल्द से जल्द फैसला करना होगा कि कौन सही मायने में शरण पाने लायक है. जो लोग सुरक्षित देशों से होकर आ रहे हैं उन्हें फौरन वहां वापस भेजा जाना चाहिए. और जो इराक, सीरिया या अफगानिस्तान जैसे गृहयुद्ध से प्रभावित देशों से आ रहे हैं उन्हें जल्द से जल्द समाज में घुलाया मिलाया जाना चाहिए. इन देशों में जल्द शांति आने वाली नहीं है कि वे आने वाले समय में अपने देश लौट सकें. सबसे बढ़कर उन्हें काम करने की अनुमति देनी होगी. आप्रवासियों पर हुए अध्ययन दिखाते हैं कि आप्रवासी बने शरणार्थी अपनी कमाई के जरिए न सिर्फ टैक्स देते हैं बल्कि स्वास्थ्य और पेंशन बीमा का भुगतान करते हैं और इस तरह मेजबान देशों को फायदा पहुंचाते हैं.
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जर्मनी में शरणार्थियों की मदद
किताबें
जड़ों से उखड़े शरणार्थियों की जिंदगी पटरी पर लाने की जरूरत है. आर्किटेक्ट गुंटर राइषर्ट शरणार्थी बच्चों को लिखने का अभ्यास करा रहे हैं. न्यूरेमबर्ग में उन्होंने शरणार्थियों के लिए देश का पहला पुस्तकालय खोला है. वे यहां बिना फीस दिए जर्मन सीख सकते हैं और किताबें ले सकते हैं. राइषर्ट इस साल के अंत तक देश भर में 50 लाइब्रेरी बनाना चाहते हैं.
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जर्मनी में शरणार्थियों की मदद
दुभाषिया
शरणार्थी जर्मन नहीं जानते. उन्हें मदद के लिए दुभाषिए की जरूरत है. आर्ट स्टूडेंट नतालिया छुट्टी के सामय बर्लिन के रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन सेंटर में दुभाषिए का काम करती हैं. वहां उसके अलावा करीब 100 दुभाषिए काम करते हैं. पहले भी वह परामर्श केंद्रों पर अरबी और रूसी भाषा के दुभाषिए का काम कर चुकी हैं. वह लोगों के साथ जॉब सेंटर जाती है, डॉक्टर से बात करने में मदद देती हैं और घर देखने में भी साथ जाती हैं.
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जर्मनी में शरणार्थियों की मदद
वेलकम ग्रुप
हिल्डेगार्ड नीस-नाख्त्सहाइम ब्रांडेनबुर्ग प्रांत के एक छोटे शहर में रिफ्यूजी होम के सामने रहती हैं. जब यहां 2013 की गर्मियों में पहले 180 शरणार्थी आए तो उन्होंने अपने पति हॉर्स्ट के साथ एक वेलकम ग्रुप बनाया. वे जहां भी हो सके अलग अलग देशों से आए लोगों की मदद करते हैं. दफ्तर का काम हो, डॉक्टर के पास जाना हो या कोई और जरूरत, वे साथ जाते हैं. शरणार्थियों को कॉफी-केक के लिए भी आमंत्रित किया जाता है.
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जर्मनी में शरणार्थियों की मदद
इंटरनेट की सुविधा
जर्मनी आने वाले शरणार्थियों की एक चिंता घर के लोगों के साथ संपर्क में बने रहने की भी है. स्वेन बोरषर्ट और उनके साथियों ने फ्रायफुंक पहलकदमी की है. वे डॉर्टमुंड में शरणार्थियों के रहने की जगह में मुफ्त में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराते हैं. वे रिफ्यूजी होम में वाईफाई रूटर लगाते है. इसका खर्च चंदे से उठाया जाता है. इस बीच डॉर्टमुंड के 400 शरणार्थी बिना कोई खर्च किए इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं.
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जर्मनी में शरणार्थियों की मदद
रोजमर्रा की मदद
कारोला लांगे सेक्सनी प्रदेश के एक छोटे शहर में शरणार्थियों की मदद करने वाले ग्रुप में है. वे और उनकी करीब 40 साथी शरणार्थियों की मदद करती हैं. उनकी पहल का मकसद है कि शरणार्थी फुर्सत का समय उचित तरीके से बिताएं. वे कहती हैं, "लोगों के पास कुछ करने को नहीं है. यह उनकी सबसे बड़ी समस्या है. वे बस इंतजार करते रहते हैं." वे बताती हैं कि शरणार्थी कितने चाव से जर्मन सीखते हैं और फिर काम करना चाहते हैं.
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जर्मनी में शरणार्थियों की मदद
हॉटलाइन
बर्लिन की राहत संस्था गुटे टाट डॉट डीई काफी समय से राजधानी में शरणार्थियों की मदद कर रही है. अब उसने शरणार्थियों की मदद करने वाले अवैतनिक कर्मियों के समन्वय का काम हाथ में लिया है. यह संस्था अब एक टेलिफोन हॉटलाइन चला रही है. जो लोग शरणार्थियों की मदद करना चाहते हैं वे इस हॉटलाइन पर इसके बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं.
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जर्मनी में शरणार्थियों की मदद
नेटवर्क
जर्मनी में शरण चाहने वालों में पढ़े लिखे प्रोफेशनल लोग भी होते हैं. उनकी मदद के लिए फ्रैंकफर्ट में छात्रों ने एक संस्था बनाई है ताकि वे जल्द से जल्द यूनिवर्सिटी से जुड़ सकें और बाद में नौकरी भी पा सकें. नेटवर्क एकैडमिक एक्सपीरिएंस वर्ल्डवाइड (एईडब्ल्यू) जर्मन सीखने में भी मदद करता है. टिम श्वार्त्स और सीरिया के एक शरणार्थी की तरह लोग साथ मिलकर सीखते हैं.
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जर्मनी में शरणार्थियों की मदद
रूअर पर पहल
राइनहार्ड येलेस मुइलहाइम अन डेय रूअर में एक छोटी कंपनी चलाते हैं. एक साल पहले उन्होंने एक इराकी शरणार्थी परिवार की मदद के लिए फेसबुक पर आह्वान किया था. फेसबुक पर की गई अपील इस बीच शरणार्थी पहलकदमी मुइलहाइम में स्वागत बन गई है. उसका अपना गोदाम है. नाबेलिया वहां चंदे में मिले सामान को छांट रही हैं. जो सही हालत में है उसे शरणार्थियों को दे दिया जाता है.
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जर्मनी में शरणार्थियों की मदद
खेल से चंदा
निकोल सानाकिस और कोर्नेलिउस काउप 10 अगस्त को लॉन्गबोर्ड लेकर टूर पर निकले. उन्होंने पांच दिनों में डुसेलडॉर्फ से हैम्बर्ग की बीच 444 किलोमीटर की दूरी तय की. इस दौरान उन्होंने लोगों से शरणार्थियों को मदद देने की अपील की. नतीजा 7000 यूरो के चंदे के रूप में सामने आया. यह धन उन्होंने शरणार्थी सहायता संगठन स्टे को दे दिया.
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जर्मनी में शरणार्थियों की मदद
प्रसिद्ध लोग
जर्मनी के प्रमुख अभिनेता टिल श्वाइगर जैसे प्रमुख लोग शरणार्थियों की मदद के लिए काफी कुछ कर रहे हैं. श्वाइगर शरणार्थियों के लिए एक घर बना रहे हैं. उनकी साथी अभिनेत्री सैरा कॉच लोगों की स्थिति का जायजा लेने के लिए खुद बर्लिन में रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन सेंटर गईं. वोलंटियर के तौर पर उन्होंने शरणार्थियों को खाना और पीने का सामान बांटा.
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जर्मनी में शरणार्थियों की मदद
शरणार्थियों का साथ
ब्रांडेनबुर्ग के जर्मन सांसद मार्टिन पात्सेल्ट ने जुलाई से एरिट्रिया के दो शरणार्थियों को अपने घर में ठहरने की जगह दी है. वे उनका ख्याल भी रख रहे हैं. पात्सेल्ट की पत्नी दोनों को जर्मन सिखाती हैं. पात्सेल्ट परिवार का कहना है कि दोनों नए मेहमान खूब खिलखिलाकर हंसते हैं. उनके साथ घर में खुशियों का माहौल आया है.
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जर्मनी में शरणार्थियों की मदद
सैनिक छावनी
उत्तरी फ्रीसलैंड के सीथ गांव में जुलाई में एक पुरानी छावनी को शरणार्थियों का रजिस्ट्रेशन सेंटर बना दिया गया. वहां करीब 600 लोगों को ठहराया जा रहा है. दर्जनों लोगों ने छावनी को रहने लायक बनाने में मदद की ताकि यहां बच्चों वाले परिवार भी रह सकें. ब्रिगेटे वाटका चंदे में मिले नैपी को छांटकर रख रही हैं.
रिपोर्ट: इवेटा ओंद्रुश्कोवा/एमजे