आपने कभी पत्थरों की बाढ़ देखी है? हिमालय में कभी कभार आने वाली ऐसी बाढ़ बेहद विध्वंसकारी होती है. लेकिन देर सबेर इससे हर किसी को बहुत फायदा पहुंचता है.
प्रकृति अद्भुत है. उसके सृजन में विध्वंस और विध्वंस में सृजन छुपा होता है. पत्थरों की बाढ़ भी यह साबित करती है. एशिया में हिमालय के इलाके में हर साल पत्थरों की बाढ़ के एक दो मामले सामने आते हैं. इस दौरान करो़ड़ों छोटे बड़े पत्थरों का रेला नीचे की ओर तेज रफ्तार से बहता चला जाता है. इसके रास्ते में जो आता है, वह तबाह हो जाता है.
ऐसी बाढ़ में पत्थर आपस में टकराते हैं और टूटते हैं. इस तरह रेत बनती है. पत्थरों के चूर होने से उनके भीतर छुपे हिमालय के खनिज बाहर निकलते हैं और पानी के साथ बहकर निचले इलाकों में जाते हैं. ये खनिज पानी और जमीन को पोषण देते हैं.
पत्थरों की बाढ़ से बनने वाली रेत ही निचले इलाकों में फैलकर नदी के विध्वंस थामती है. वह बहाव को फैलाव में बदल देती है और बड़े इलाके में भूजल को रिचार्ज कर देती है. समुद्र तट पर पहुंचने के बाद भी रेत का सफर जारी रहता है. वह जमीन के कटाव को रोकती है. समुद्र की लहरों का असर धीमा कर देती है. तो अब समझ में आया कि हिमालय की बाढ़ कितनी अहम है!
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रेगिस्तान में झील
दक्षिण ट्यूनीशिया के रेगिस्तान में हाल ही में एक झील लाक डे गाफसा उभर आई. 100 मीटर की यह झील पहले कभी नहीं देखी गई थी. अचानक उभरी झील 10 से 18 मीटर गहरी है. वैज्ञानिक इस घटना से हैरान हैं.
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खुशी भरी हैरानी
झील जिस जगह उभरी हैं, वहां फॉस्फेट की खुदाई होती है. वैज्ञानिकों ने वहां से पानी के नमूने लिए गए हैं और साथ ही लोगों को वहां न जाने की सलाह दी है. लेकिन चिलचिलाती गर्मी और कुदरत की करामात लोगों को झील में डुबकी लगाने के लिए बेताब कर रही है.
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आस पास हरियाली
इस पूरे इलाके में दूर दूर तरह हरियाली नहीं दिखती. लेकिन नई झील के आस पास अब पौधों की शक्ल में जिंदगी फूटने लगी है. माना जा रहा है कि झील के उभरने से पहले ही इस जगह पर जमीन में खूब नमी आ गई होगी. इसी वजह से हरियाली लहलहा उठी.
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भूकंप से टापू
सितंबर 2013 में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में 7.7 तीव्रता का भूंकप आया. भूकंप की वजह से ग्वादर के पास अरब सागर में एक नया टापू उभर आया. टापू 100 फीट ऊंचा और 200 फीट चौड़ा था.
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उमड़ पड़ा हुजूम
आंखों के सामने कुदरत का खेल देखते ही सैकड़ों लोग नए टापू पर उमड़ पड़े. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि टापू पर जहरीली गैसें हो सकती हैं. वहां ज्वलनशील गैंसे हैं.
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टापू मतलब ज्वालामुखी
टापू का उभरना इस बात का पुख्ता सबूत है कि अरब सागर में पानी के नीचे सक्रिय ज्वालामुखी है. भूकंपीय हलचल की वजह से लावे का गुबार टापू की शक्ल में बाहर आ गया.
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हिमखंडों में दरार
दक्षिणी अमेरिकी देश चिली में 2010 में भयानक भूकंप का असर 4,700 किलोमीटर दूर अंटार्कटिका तक हुआ. वैज्ञानिकों को हाल ही में पहली बार पता चला है कि भूकंप की वजह से हिमखंडों में दरार आती है.
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बदलेगी धारणा
अब तक यह माना जा रहा था कि बढ़ता तापमान धुव्रीय बर्फ को तोड़ रहा है, लेकिन बर्फ के पिघलने और भूकंप के चलते टूटने में फर्क है.