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मैर्केल ने संभाली चौथी बार चांसलर की कुर्सी

१४ मार्च २०१८

अंगेला मैर्केल को इस दिन के लिए छह महीने का लंबा और मुश्किल इंतजार करना पड़ा. सोशल डेमोक्रैट के सदस्यों की गठबंधन को मंजूरी मिलने के बाद वह चौथी और शायद आखिरी बार चांसलर बन गई हैं.

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Deutschland Bundestag Angela Merkel
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Schwarz

यूरोपीय संघ के किसी भी सरकार प्रमुख की तुलना में लंबी पारी खेलने वाली अंगेला मैर्केल को दुनिया की सबसे ताकतवर महिला यूं ही नहीं कहा जाता. नवंबर 2005 में जर्मनी की चांसलर बनने के साथ ही उन्होंने यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर शासन किया है.

मैर्केल ने देश को 2008 की मंदी के संकट से तो उबार लिया लेकिन 2015 के शरणार्थी संकट में अपनी लोकप्रियता खो दी. सितंबर 2017 के राष्ट्रीय चुनाव में मैर्केल की पार्टी सीडीयू के खराब प्रदर्शन के बाद देश को सरकार के लिए अब तक का सबसे लंबा और कठिन इंतजार करना पड़ा लेकिन आखिरकार यह इंतजार खत्म हो गया.

Deutschland Bundestag Kanzlerwahl
तस्वीर: Getty Images/AFP/O. Andersen

बुधवार को जर्मनी के निचले संदन बुंडेस्टाग में चौथी बार मैर्केल ने देश के चांसलर का पद संभाला. इसी साल 64 वर्ष की होने जा रहीं अंगेला मैर्केल के लिए माना जा रहा है कि यह उनका आखिरी कार्यकाल है. अगर वह विधानमंडल के 2021 तक के कार्यकाल को पूरा करती हैं तो चांसलर के रूप में उनके 16 साल हो जाएंगे. इनसे पहले सिर्फ हेल्मुट कोल ही इतने लंबे समय तक जर्मनी के चांसलर रहे हैं.

1982 से 1998 तक चांसलर रहे हेल्मुट कोल की छत्रछाया में ही अंगेला मैर्केल के राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई. साम्यवादी पूर्वी जर्मनी में पली बढ़ी मैर्केल ने भौतिकी में डॉक्टरेड की डिग्री हासिल की. हालांकि बर्लिन की दीवार गिरने के बाद वह राजनीति में आ गईं और कोल की कैबिनेट में महिला मामलों की मंत्री बनाई गईं. यह साल 1990 की बात है. 1998 में हेल्मुट कोल की हार के दो साल बाद अंगेला मैर्केल को क्रिस्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी की अंदरूनी राजनीति और कलह के बीच पार्टी का प्रमुख चुना गया.

2005 में बहुत मामूली बहुमत के दम पर वह एसपीडी के साथ गठबंधन सरकार की मुखिया बन गईं. अब तक के शासन में सिर्फ 2009-13 का ही कार्यकाल ऐसा रहा जब मैर्केल ने एसपीडी के बगैर देश का शासन चलाया. उस वक्त सत्ता में उनकी साझीदारी उदारवादी फ्री डेमोक्रैट पार्टी से थी जो वैचारिक रूप से उनकी पार्टी के ज्यादा करीब थी. आंकड़ों के लिहाज से पिछली बार की तुलना में इस बार का गठबंधन कमजोर है. अंगेला मैर्कल की सीडीयू और उसकी बावेरियाई सहयोगी सीएसयू और एसपीडी, इन तीनों ने कुल मिला कर महज 53.4 फीसदी वोट हासिल किए हैं. इसके आधार पर 709 सीटों वाली संसद में उन्हें 399 सीटें मिली हैं. 2013 में गठबंधन के पास 504 सीटें थीं.

जर्मनी की बड़ी पार्टियों ने 2017 के चुनाव में बड़ा नुकसान उठाया है. इसका सबसे बड़ा कारण 2015 में सामने आई घटनाएं थीं. तब मैर्केल ने देश की सीमाएं शरणार्थियों के लिए खोल दी और लाखों शरणार्थी देश में आ गए. इसके साथ ही मैर्केल की लोकप्रियता का ग्राफ देश में गिरने लगा और अपने ही अंतरविरोधों से जूझ रही धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी यानी एफडी को पैर टिकाने के लिए जमीन मिलने लगी.

Deutschland Bundestag Kanzlerwahl
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. MacDougall

हाल यह है कि अब एएफडी संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है और दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार हुआ जब किसी दक्षिणपंथी पार्टी को संसद में प्रवेश मिला हो. मैर्केल को सरकार बनाने के लिए चुनाव में उसके खिलाफ लड़ने वाली एसपीडी के साथ समझौता करना पड़ा है. पुरानी चांसलर की नई सरकार ने यूरोप की निरंतरता का वादा किया है. नई सरकार में वित्त मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे ओलाफ शोल्ज को बजटीय कठोरता का ज्यादा सख्त पैरोकार नहीं माना जाता जैसे कि पूर्व वित्त मंत्री वोल्फगांग शोएब्ले थे. यूरोप में शोएब्ले इसी वजह से काफी अलोकप्रिय रहे हैं. हालांकि नए गठबंधन समझौते में इस बात पर भी सहमति बनी है कि जर्मनी के बजट को किसी नए कर्ज का बोझ नहीं उठाना है.

नए गठबंधन के मसौदे में इस बात पर भी सहमति बनी है कि 2015 की तरह शरणार्थियों की भीड़ को जर्मनी में घुसने नहीं दिया जाएगा और नए शरणार्थियों की तादाद हर साल 180,000 से 220,000 के बीच में ही रखी जाएगी.

Deutschland Wahl der Bundeskanzlerin
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Von Jutrczenka

मैर्केल ने सार्वजनिक रूप से चार साल का कार्यकाल पूरा करने का लक्ष्य रखा है. इसी बीच काफी दिनों से सीडीयू में मैर्केल के बाद के दौर को लेकर अटकलें भी चल रही हैं. 26 फरवरी को पार्टी महासचिव चुनी गईं एनेग्रेट क्रांप कैरेनबाउवर लोगों की नजरों में चढ़ रही हैं. मैर्केल से उम्र में आठ साल छोटी जारलैंड प्रांत की लोकप्रिय नेता ने बर्लिन में पार्टी मुख्यालय का रुख कर लिया है.

एनआर/एके (डीपीए)