कोलकाता में मिशनरीज आफ चैरिटी ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी. इस खबर से मिशनरीज मुख्यालय में खुशी का माहौल है. मिशनरीज आफ चैरिटी की प्रवक्ता सुनीता कुमार ने कहा कि वैटिकन ने इस बात की आधिकारिक तौर पर पुष्टि कर दी है कि मदर को अगले साल संत घोषित कर दिया जाएगा. हम इससे बेहद रोमांचित और प्रसन्न हैं. उन्होंने कहा कि चर्च ने मदर के दूसरे चमत्कार को मान्यता दे दी है.
मदर का पहला चमत्कार कई साल पहले यहां सामने आया था. अब ब्राजील का एक मामला सामने आया है. वहां मदर की प्रार्थना से एक व्यक्ति आश्चर्यजनक रूप से स्वस्थ हो गया था. सुनीता के मुताबिक, मदर के निधन के बाद भी ऐसे कई चमत्कार होते रहे हैं. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मदर ने कोलकाता में मिशनरीज आफ चैरिटी की स्थापना की थी. उन्होंने अपने जीवन के 45 साल यहां गरीबों और बेघरों के सेवा में गुजारे. वर्ष 1997 में 87 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था.
रोमन कैथोलिक चर्च के नियमों के मुताबिक, किसी को संत घोषित करने के लिए उसके दो चमत्कार साबित होना जरूरी है. पहले चमत्कार के बाद उस व्यक्ति को धन्य घोषित किया जाता है. उसके बाद दूसरे चमत्कार की पुष्टि होने के बाद उसे संत का दर्जा दे दिया जाता है.
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तीन धर्म एक छत
एक छत के नीचे
बर्लिन में जल्द ही एक ऐसी जगह होगी जहां तीन धर्मों के लोग एक ही छत के नीचे प्रार्थना और ईश वंदना कर सकेंगे. यह प्रार्थना भवन तीन अब्राहमी धर्मों इस्लाम, ईसाइयत और यहूदियों को एक साथ लाएगा.
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तीन की पहल
हाउस ऑफ वन के विचार को पास्टर ग्रेगोर होबैर्ग, रब्बी तोविया बेन-चोरिन और इमाम कादिर सांची अमली जामा पहना रहे हैं. कादिर सांची का कहना है कि तीनों धर्म अलग अलग रास्ता लेते हैं लेकिन लक्ष्य एक ही है.
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इतिहास वाली जगह
जहां इस समय साझा प्रार्थना भवन बन रहा है वहां पहले सेंट पेट्री चर्च था जिसे शीतयुद्ध के दौरान नष्ट कर दिया गया. आर्किटेक्ट ब्यूरो कुइन मालवेजी ने हाउस ऑफ वन बनाने के लिए चर्च के फाउंडेशन का इस्तेमाल किया है.
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शुरुआती संदेह
शुरू में कोई मुस्लिम संगठन इस प्रोजेक्ट में शामिल नहीं होना चाहता था. बाद में तुर्की के मॉडरेट मुसलमानों का संगठन एफआईडी राजी हो गया. उन्हें दूसरे इस्लामी संगठनों के उपहास का निशाना बनना पड़ा.
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आलोचना का निशाना
इस प्रोजेक्ट को नियमित रूप से आलोचना का निशाना बनाया गया है. कैथोलिक गिरजे के प्रमुख प्रतिनिधि मार्टिन मोजेबाख को शिकायत है कि इमारत की वास्तुकला इसकी धार्मिकता का प्रतिनिधित्व नहीं करती.
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चंदे पर भरोसा
हाउस ऑफ वन प्रोजेक्ट के संचालक इसके विकास में आम लोगों की भूमिका के महत्व से वाकिफ हैं. इसलिए वे चंदे पर भरोसा कर रहे हैं. इमारत बनाने में 43.5 लाख ईंटें लगेंगी. हर कोई इन्हें खरीद सकता है.
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शांति की कोशिश
इस प्रोजेक्ट के कर्णधारों की उम्मीद है कि नई इमारत तीनों धर्मों के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान का केंद्र बनेगी और इसकी वजह से पारस्परिक आदर पैदा होगा. पड़ोसी के बारे में जानना उन्हें करीब लाता है.
मदर के निधन के छह साल बाद वर्ष 2003 में पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले की एक आदिवासी युवती मोनिका बेसरा और उसके चिकित्सक के दावों के बाद तत्कालीन वैटिकन प्रमुख पोप जॉन पॉल द्वितीय ने मदर को धन्य घोषित किया था. मोनिका का दावा था कि मदर के आशीर्वाद से उसे कैंसर की बीमारी से निजात मिल गई है. चर्च ने जांच के बाद उस दावे को सही पाया था. मदर को संत का दर्जा देने की प्रक्रिया में वैटिकन ने अपने कई नियमों में ढील दी थी. लेकिन दूसरे चमत्कार वाले प्रावधान से छूट नहीं दी जा सकती. दूसरे चमत्कार को मान्यता मिलने के बाद अब अगले साल मदर को संत की उपाधि से नवाजा जाएगा.
मदर के दूसरे चमत्कार का यह मामला ब्राजील से सामने आया है. वहां एक व्यक्ति दिमागी बीमारी से पीड़ित था. लेकिन वह मदर की प्रार्थना से ही पूरी तरह दुरुस्त हो गया. वैटिकन ने विभिन्न पहलुओं से इस मामले की जांच के बाद इसे चमत्कार के तौर पर मान्यता दी है. उसके बाद ही पोप फ्रांसिस ने मदर को संत का दर्जा देने का फैसला किया है.
कोलकाता के पूर्व आर्कबिशप हेनरी डिसूजा बताते हैं, "यह प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल है. किसी को संत का दर्जा देने से पहले चर्च को इस बात का पूरा भरोसा होना चाहिए कि वह व्यक्ति सचमुच एक संत था. कई बार तो यह प्रक्रिया पूरी होने में दशकों लग जाते हैं." डिसूजा के मुताबिक, यह सौभाग्य की बात है कि मदर के मामले में पहला चमत्कार सामने आने के 12 साल बाद ही दूसरे चमत्कार की पुष्टि हो गई है.
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पोप फ्रांसिस की घरवापसी
नव उपनिवेशवाद
पोप फ्रांसिस ने बोलिविया के सांता क्रूस में लोकप्रिय आंदोलनों की अंतरराष्ट्रीय बैठक को संबोधित किया. उन्होंने बचत कार्यक्रमों पर जोर देने की नव उपनिवेशवादी नीति की आलोचना की और समाज के निचले तबके से दुनिया की आर्थिक व्यवस्था को बदलने की मांग की.
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पोप फ्रांसिस की घरवापसी
बदलाव की मांग
पोप फ्रांसिस ने अपने लैटिन अमेरिका दौरे पर बदलाव की मांग की. उन्होंने कहा, "हमें स्वीकार करना चाहिए कि जहां इतने किसान बिना जमीन के हैं, इतने परिवार बिना छत के हैं, इतने कामगार बिना अधिकार के हैं, इतने इंसान जिनके सम्मान का हनन हो रहा है, चीजें ठीक नहीं चल रही हैं.“
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पोप फ्रांसिस की घरवापसी
भगवान के नाम पर
अपने बोलिविया दौरे पर पोप फ्रांसिस ने अमेरिका के आदिवासियों से उनके साथ हुए अन्यायों के लिए माफी मांगी. पोप ने कहा कि भगवान के नाम पर गंभीर पाप किए गए हैं. पोप के इस बयान का बोलिविया में खासा स्वागत हुआ है जहां के ज्यादातर नागरिक इलाके के मूल निवासियों की संतान हैं.
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पोप फ्रांसिस की घरवापसी
मार्क्सवादी ईसा?
बोलिविया के वामपंथी राष्ट्रपति इवो मोरालेस ने पोप को जो उपहार दिया उस पर विवाद रहा. हंसिया और हथौड़े वाले उपहार पर ईसा मसीह को हथौड़े पर बने सलीब पर लटकाया हुआ दिखाया गया था. अनुदारवादी ईसाईयों ने मोरालेस पर पोप के राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप लगाया.
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पोप फ्रांसिस की घरवापसी
उत्साहित पोप
कैथोलिक गिरजे का प्रमुख बनने के बाद अर्जेंटीना के पोप फ्रांसिस की यह पहली लैटिन अमेरिका यात्रा है. कैथोलिक धर्मावलंबियों और अपने अनुयायियों की भीड़ में पोप अपने चरम पर दिखे. मुस्कुराते, लोगों का अभिवादन स्वीकार करते, उनकी और हाथ हिलाते.
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पोप फ्रांसिस की घरवापसी
दर्शन की ललक
पोप के दर्शन करने इलाके के लोगों के अलावा दूरदराज से भी लोग आए. पापा फ्रांसिस्कुस के इंतजार में उन्होंने रात सड़कों पर अपने स्लीपिंग बैग में गुजारी. उन्होंने बोलिविया में सामाजिक सुधारों की तारीफ की और कहा कि लोग खुशहाली का मतलब सिर्फ भौतिक समृद्धि न समझें, जो भ्रष्टाचार और विवाद बढ़ाता है.
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पोप फ्रांसिस की घरवापसी
सेल्फी का जोश
सेल्फी के जोश से लैटिन अमेरिका भी अछूता नहीं. अगर पोप घर आए हों तो फिर एक सेल्फी की कोशिश क्यों न हो. और प्रार्थना सभा के लिए मंच की और जाते हुए पोप के करीब पहुंचे बहुत से युवा उनके साथ सेल्फी लेने के मौके का इस्तेमाल कर रहे हैं.
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पोप फ्रांसिस की घरवापसी
हर कहीं उत्साह
पोप को चाहने वालों में कैथोलिक गिरजे के पादरी और नन हैं तो आम लोग भी हैं. इक्वाडोर में पोप की पहली घरवापसी पर गुआयाक्विल में हुई पहली प्रार्थना सभा में उन्हें देखने दसियों हजार लोग पहुंचे. उनके चेहरों पर अपने पोप के स्वागत का उत्साह देखा जा सकता था.
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पोप फ्रांसिस की घरवापसी
अपनी जमीन पर
पोप बनने के दो साल बाद अपने पहले लैटिन अमेरिका दौरे पर इक्वाडोर पहुंचे पोप फ्रांसिस का स्वागत राष्ट्रपति रफाएल कोरेया और बच्चों ने किया. इस दौरे पर उन्होंने लैटिन अमेरिका में गरीबी और बेकसी का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया.
रिपोर्ट: महेश झा
कोलकाता से सटे दक्षिण 24 परगना जिले के बारुईपुर स्थित कैथीड्रल के बिशप सल्वाडोर लोबो कहते हैं कि कुछ मामलों में यह इंतजार लंबा हो सकता है. वह कहते हैं, ‘दुनिया के कई देशों से मदर के चमत्कार की खबरें मिलती रही हैं. लेकिन कैथोलिक चर्च के नियमों के मुताबिक कुछ मानदंडों पर खरा उतरने के बाद ही उनको चमत्कार माना जा सकता है.' लोबो कहते हैं कि चमत्कार उसे ही माना जाता है जिसकी कोई वैज्ञानिक व्याख्या नहीं हो सके.
फादर सीएम पाल वर्ष 2003 में मदर को धन्य घोषित करने के समारोह में वैटिकन में मौजूद थे. वह बताते हैं, 'अगले साल मदर को संत घोषित करने का समारोह भव्य होने की उम्मीद है. वर्ष 2003 में वहां आयोजित समारोह में कोई तीन लाख लोग जुटे थे.' उनको उम्मीद है कि अगले साल वैटिकन में होने वाले समारोह में इससे कहीं ज्यादा भीड़ उमड़ेगी.