भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स देशों की बैठक में शामिल होने चीन के शियामेन शहर में हैं. यहीं पर सम्मेलन से अलग उन्होंने चीन के राष्ट्रपति से द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत के लिए मुलाकात की. पिछले महीनों में दोनों देशों में कई विवादों के बाद यह मुलाकात अहम थी. दोनों नेता एक दूसरे के साथ कैसे पेश आते हैं, इस पर पत्रकारों के कैमरे और विश्लेषकों की नजरें पहले से ही टिकी थीं और कोशिश हो रही थी कि शब्दों के साथ ही आंखों की भी भाषा पढ़ी जाए. बहरहाल सब कुछ निपट गया और बैठक के बाद भारतीय पक्ष ने मुलाकात को "सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक" कहा है. भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, "बातचीत काफी रचनात्मक और इस बात पर थी कि संबंधों को किधर जाना चाहिए और किधर जायेंगे."
चीनी राष्ट्रपति का कहना है कि दोनों पड़ोसी देशों को "बुनियादी हितों के सिद्धांत पर स्वस्थ, स्थिर आपसी संबंधों" को लेकर चलना चाहिए. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने एक अलग ट्वीट में बताया है कि राष्ट्रपति जिनपिंग ने संबंधों को सही दिशा में लाने की बात कही है. शी जिनपिंग ने कहा है कि भारत और चीन दुनिया की दो बड़ी और उभरती अर्थव्यवस्थायें हैं और दोनों एक दूसरे के पड़ोसी हैं. चीन का कहना है कि दोनों देश आपसी सहयोग के रास्ते पर बढ़ते हुए विकास कर सकते हैं.
राष्ट्रपति जिनपिंग ने ये भी कहा है, "चीन भारत के साथ पंचशील के सिद्धांतों पर चलते हुए काम करने को तैयार है जिसे दोनों देशों ने बेहतर आपसी राजनीतिक समझ और फायदेमंद सहयोग तथा भारत चीन संबंधों को सही दिशा में ले जाने के लिए आगे बढ़ाया था." पंचशील समझौते पर दोनों देशों ने 1954 में दस्तखत किये थे और दोनों देश इसे आपसी संबंधों के लिए मील का पत्थर मानते हैं.
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भारत चीन का सीमा विवाद
लंबा विवाद
तकरीबन 3500 किलोमीटर की साझी सीमा को लेकर दोनों देशों ने 1962 में जंग भी लड़ी लेकिन विवादों का निपटारा ना हो सका. दुर्गम इलाका, कच्चा पक्का सर्वेक्षण और ब्रिटिश साम्राज्यवादी नक्शे ने इस विवाद को और बढ़ा दिया. दुनिया की दो आर्थिक महाशक्तियों के बीच सीमा पर तनाव उनके पड़ोसियों और दुनिया के लिए भी चिंता का कारण है.
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अक्साई चीन
काराकाश नदी पर समुद्र तल से 14000-22000 फीट ऊंचाई पर मौजूद अक्साई चीन का ज्यादातर हिस्सा वीरान है. 32000 वर्ग मीटर में फैला ये इलाका पहले कारोबार का रास्ता था और इस वजह से इसकी काफी अहमियत है. भारत का कहना है कि चीन ने जम्मू कश्मीर के अक्साई चीन में उसकी 38000 किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर रखा है.
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अरुणाचल प्रदेश
चीन दावा करता है कि मैकमोहन रेखा के जरिए भारत ने अरुणाचल प्रदेश में उसकी 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन दबा ली है. भारत इसे अपना हिस्सा बताता है. हिमालयी क्षेत्र में सीमा विवाद को निपटाने के लिए 1914 में भारत तिब्बत शिमला सम्मेलन बुलाया गया.
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किसने खींची लाइन
ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने मैकमोहन रेखा खींची जिसने ब्रिटिश भारत और तिब्बत के बीच सीमा का बंटवारा कर दिया. चीन के प्रतिनिधि शिमला सम्मेलन में मौजूद थे लेकिन उन्होंने इस समझौते पर दस्तखत करने या उसे मान्यता देने से मना कर दिया. उनका कहना था कि तिब्बत चीनी प्रशासन के अंतर्गत है इसलिए उसे दूसरे देश के साथ समझौता करने का हक नहीं है.
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अंतरराष्ट्रीय सीमा
1947 में आजादी के बाद भारत ने मैकमोहन रेखा को आधिकारिक सीमा रेखा का दर्जा दे दिया. हालांकि 1950 में तिब्बत पर चीनी नियंत्रण के बाद भारत और चीन के बीच ऐसी साझी सीमा बन गयी जिस पर कोई समझौता नहीं हुआ था. चीन मैकमोहन रेखा को गैरकानूनी, औपनिवेशिक और पारंपरिक मानता है जबकि भारत इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा का दर्जा देता है.
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समझौता
भारत की आजादी के बाद 1954 में भारत और चीन के बीच तिब्बत के इलाके में व्यापार और आवाजाही के लिए समझौता हुआ. इस समझौते के बाद भारत ने समझा कि अब सीमा विवाद की कोई अहमियत नहीं है और चीन ने ऐतिहासिक स्थिति को स्वीकार कर लिया है.
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चीन का रुख
उधर चीन का कहना है कि सीमा को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ और भारत तिब्बत में चीन की सत्ता को मान्यता दे. इसके अलावा चीन का ये भी कहना था कि मैकमोहन रेखा को लेकर चीन की असहमति अब भी कायम है.
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सिक्किम
1962 में दोनों देशों के बीच लड़ाई हुई. महीने भर चली जंग में चीन की सेना भारत के लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में घुस आयी. बाद में चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर वापस लौटी. यहां भूटान की भी सीमा लगती है. सिक्किम वो आखिरी इलाका है जहां तक भारत की पहुंच है. इसके अलावा यहां के कुछ इलाकों पर भूटान का भी दावा है और भारत इस दावे का समर्थन करता है.
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मानसरोवर
मानसरोवर हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ है जिसकी यात्रा पर हर साल कुछ लोग जाते हैं. भारत चीन के रिश्तों का असर इस तीर्थयात्रा पर भी है. मौजूदा विवाद उठने के बाद चीन ने श्रद्धालुओं को वहां पूर्वी रास्ते से होकर जाने से रोक दिया है.
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बातचीत से हल की कोशिश
भारत और चीन की ओर से बीते 40 सालों में इस विवाद को बातचीत के जरिए हल करने की कई कोशिशें हुईं. हालांकि इन कोशिशों से अब तक कुछ ख़ास हासिल नहीं हुआ. चीन कई बार ये कह चुका है कि उसने अपने 12-14 पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद बातचीत से हल कर लिए हैं और भारत के साथ भी ये मामला निबट जाएगा लेकिन 19 दौर की बातचीत के बाद भी सिर्फ उम्मीदें ही जताई जा रही हैं.
दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच बीते दो महीने से डोकलाम में सैन्य गतिविधियों को लेकर तनाव बना हुआ था. हालांकि ब्रिक्स की बैठक से पहले दोनों देशों ने अपनी अपनी सेनायें हटा लीं. डोकलाम पर चीन और भूटान अपना दावा करते हैं. भूटान भारत का सहयोगी देश है. इससे पहले पाकिस्तान स्थित भारत विरोधी आतंकवादी गुटों को संयुक्त राष्ट्र आतंकी सूची में शामिल किए जाने और न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में भारत की सदस्यता को लेकर भी दोनों देशों के बीच विवाद है.
भारत और चीन के नेताओँ ने इससे पहले जर्मन शहर हैम्बर्ग में जी 20 के सम्मेलन के दौरान मुलाकात की थी लेकिन वह अनौपचारिक मुलाकात थी. द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत के लिए आधिकारिक रूप से शी जिनिपिंग और नरेंद्र मोदी कजाखस्तान में इसी साल जून में मिले थे.
एनआर/एमजे (एएफपी)