कांग्रेस ने पिछला विधानसभा चुनाव तृणमूल कांग्रेस के साथ मिल कर लड़ा था. लेकिन अब उसी तृणमूल को सत्ता से बाहर करने के लिए उसने लेफ्टफ्रंट से हाथ मिला लिया है. ममता बनर्जी अपनी सत्ता बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं तो दूसरी ओर, भाजपा को अपना खाता खोलने के लिए किसी चमत्कार की तलाश है.
तृणमूल कांग्रेस 2011 के चुनावों में जीत कर राज्य की सत्ता पर काबिज हुई तो इसकी अकेली सबसे बड़ी वजह ममता की लोकप्रियता थी. उन्होंने अब तक अपनी इस लोकप्रियता को तो बरकरार रखा ही है, सरकार में रहने की वजह से थोक भाव में पूरे राज्य में विकास परियोजनाएं शुरू की हैं. उन्होंने दो रुपए किलो खाद्यान्न सप्लाई की योजना शुरू की है, इसके अलावा छात्रों को स्कॉलरशिप, साइकिलें, स्कूल ड्रेस और जूते बांट रही हैं. बेरोजगारों को आसान शर्तों पर कर्ज भी मुहैया कराये गए हैं. उनकी कन्याश्री योजना को यूनीसेफ ने भी सराहा है.
इसी तरह सबूज साथी योजना के तहत लगभग चालीख लाख छात्र-छात्राओं को साइकिलें दी जा रही हैं. इसी जनवरी में ममता ने खाद्य साथी नामक योजना शुरू की जिसके तहत आठ करोड़ लोगों को दो रुपए किलो की दर पर अनाज मिल रहा है. वह अपनी लोकप्रियता और इन विकास परियोजनाओं के सहारे आसानी से चुनावी वैतरणी पार कर सत्ता में बने रहने के प्रति आश्वस्त हैं.
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10 भारतीय चीजें जिनसे दुनिया को है प्यार
विविध संस्कृति
विदेशियों में भारत की विविध और रंगीन संस्कृति के बारे में जानने की काफी जिज्ञासा रहती है. यहां के नृत्य, पारंपरिक पोशाकें, गहने और त्योहार हमेशा उनका ध्यान खींचते हैं. भारतीय संस्कृति की लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जर्मनी के कई शहरों में धूमधाम से रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है.
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10 भारतीय चीजें जिनसे दुनिया को है प्यार
आईटी
सूचना प्रौद्योगिकी या आईटी के क्षेत्र में सारी दुनिया में भारत के इंजीनियरों ने अपना लोहा मनवाया है. दुनिया के लगभग हर देश में भारतीय आईटी कंपनियां अपनी सेवाएं दे रही हैं. भारत के इंजीनियर पूरे विश्व में इतना फैल गए हैं कि विदेशों में हर भारतीय पेशेवर को पहले आईटी इंजीनियर ही समझ लिया जाता है.
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10 भारतीय चीजें जिनसे दुनिया को है प्यार
ताज महल
शाहजहां द्वारा निर्मित मोहब्बत की यह नायाब निशानी आज भी विदेशियों के बीच सबसे लोकप्रिय भारतीय पर्यटन स्थल है. शायद विदेशों में रहने वाले कुछ ही भारतीय या प्रवासी भारतीय होंगे जिससे किसी विदेशी ने ताज महल का जिक्र ना किया हो.
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10 भारतीय चीजें जिनसे दुनिया को है प्यार
रॉयल बंगाल टाइगर
ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय बाघों की दहाड़ पूरे विश्व में गूंजती है. दुनिया भर से पर्यटक इस शाही जानवर की एक झलक पाने के लिए भारत जाते हैं. दुनिया भर के करीब 60 प्रतिशत जंगली बाघ भारत में पाए जाते हैं.
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भव्य शादियां
भारत की शादियां अपनी भव्यता के कारण "द बिग फैट इंडियन वेडिंग" के नाम से मशहूर हैं. लंबे चौड़े रिवाजों और मेहमानों की भीड़ के कारण भारतीय शादियां हमेशा से पश्चिमी देशों में आकर्षण का केंद्र रही हैं. पश्चिमी देशों की शादियों में तड़क-भड़क कम होती है और उनमें कुछ खास रिश्तेदार व मित्र ही आमंत्रित होते हैं.
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10 भारतीय चीजें जिनसे दुनिया को है प्यार
मसालेदार जायके
सादा भोजन करने वाले विदेशियों को भारत के मसालेदार व्यंजन काफी पसंद आते हैं. आप विश्व के लगभग हर बड़े शहर में कोई ना कोई भारतीय रेस्तरां जरूर पाएंगे. भारतीय व्यंजनों की लोकप्रियता का अनुमान इससे भी लगा सकते हैं कि मात्र 3 लाख आबादी वाले जर्मनी के बॉन शहर में 7 दक्षिण एशियाई रेस्तरां हैं.
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10 भारतीय चीजें जिनसे दुनिया को है प्यार
बॉलीवुड
कई देशों में आज बॉलीवुड भारत की पहचान बन चुका है. तड़क-भड़क और मनोरंजन से भरपूर बॉलीवुड संगीत एवं नृत्य की दीवानगी पश्चिमी देशों में लगातार बढ़ रही है. और शायद इसी वजह से शाहरुख खान, सलमान खान और आमिर खान की फिल्में विदेशों में भी करोड़ों का कारोबार करती हैं.
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10 भारतीय चीजें जिनसे दुनिया को है प्यार
क्रिकेट फीवर
भारतवासियों की क्रिकेट के लिए दीवानगी जगजाहिर है. जर्मनी में फुटबॉल बहुत लोकप्रिय है और लोग क्रिकेट को समझ नहीं पाते हैं लेकिन उन्हें भी पता है कि भारत में लोग क्रिकेट को धर्म और खिलाड़ियों को भगवान मानते हैं.
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10 भारतीय चीजें जिनसे दुनिया को है प्यार
योग
भारत की विश्व को एक महत्वपूर्ण देन है योग. विगत कुछ सालों में विदेशों में इस प्राचीन जीवन पद्धति की लोकप्रियता और भी बढ़ी हैं. इस साल 21 जून को पूरे विश्व ने अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाया. मेग रायन, मडोना और रिकी मार्टिन जैसी मशहूर हस्तियां नियमित योग करती हैं.
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10 भारतीय चीजें जिनसे दुनिया को है प्यार
चाय
दुनिया भर में भारतीय चाय चाव से पी जाती है. उसकी लोकप्रियता का हिसाब आप इससे लगा सकते हैं कि भारत विश्व के सबसे बड़े चाय निर्यातकों में से एक है. खासकर दार्जिलिंग चाय की गिनती दुनिया के सबसे लोकप्रिय चायों में होती है.
रिपोर्ट: आशुतोष पांडे
विपक्ष चाहे जैसी रणनीति बना रहा हो, मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी विकास की नाव पर सवार होकर चुनावी वैतरणी पार करने की त्रिस्तरीय रणनीति पर आगे बढ़ रही हैं. चुनावों से पहले आम लोगों को लुभाने और अपने विकास के एजेंडे को घर-घर तक पहुंचाने के लिए उन्होंने विकास परियोजनाओं की भरमार कर दी है. राज्य की तंग माली हालत के बावजूद ममता बीते छह महीनों के दौरान हजारों करोड़ की परियोजनाओं का ऐलान और शिलान्यास कर चुकी हैं. उन्होंने मुस्लिमों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. इसके साथ ही अपना जनाधार बढ़ाने के लिए वे दूसरे दलों और चुनिंदा हस्तियों को भी साथ ले रही हैं. माकपा के निष्कासित नेता और पूर्व मंत्री अब्दुर रज्जाक मौल्ला, क्रिकेटर लक्ष्मी रतन शुक्ला और जगमोहन डालमिया की पुत्री वैशाली डालमिया को पार्टी में शामिल करना और उनको चुनाव मैदान में उतारना इसी रणनीति का हिस्सा है.
विपक्ष की राह
लेफ्टफ्रंट ने अबकी लंबी ऊहापोह के बाद यहां कांग्रेस के साथ चुनावी तालमेल किया है. इसके तहत फिलहाल उसने कांग्रेस को 75 सीटें दी हैं. लेकिन आगे चल कर कुछ और सीटें उसके लिए छोड़ सकता है. इसके अलावा कुछ सीटों पर दोनों दलों के बीच दोस्ताना मुकाबला होने की संभावना है.
विपक्ष के पास राज्य की बदहाल औद्योगिक स्थिति और शारदा चिटफंड घोटाले के अलावा दूसरा कोई मुद्दा नहीं है. लेकिन बंगाल में औद्योगिक बदहाली का दौर तो तीन दशक पहले ही शुरू हो गया था. राजनीतिक पयर्वेक्षक अमित कुमार जाना कहते हैं, "आम वोटरों पर ममता की परियोजनाओं और लोगों के लिये किए गये कार्यों का खासा असर होगा."
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रोहिंग्या: समुद्र पार मायूस उड़ान
आचेह में फंसे
ये बच्चे किसी तरह जिंदा बचाए गए. कई दिनों तक बिना भोजन के समुद्र में फंसे रहने के बाद 10 मई को करीब 600 लोगों को चार नावों पर सवार कर इंडोनेशियाई प्रांत आचेह पहुंचाया गया. लगभग इसी समय 1,000 से भी ज्यादा लोगों वाली तीन नावें उत्तरी मलेशिया के लंकावी रिजॉर्ट द्वीप पर पहुंची.
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रोहिंग्या: समुद्र पार मायूस उड़ान
थकान से टूटे
भूख, भीड़ और बीमारी से पीड़ित शरणार्थी अपनी लंबी कठोर यात्रा से थकने के बाद आराम कर रहे हैं. मानव तस्करी करने वाले इन यात्रियों के जहाज पर छोड़कर भाग गए. संयुक्त राष्ट्र एजेंसी का मानना है कि राज्यविहीन रोहिंग्या लोग दुनिया मे सबसे ज्यादा सताए गए अल्पसंख्यकों में से एक हैं.
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रोहिंग्या: समुद्र पार मायूस उड़ान
कहीं के नहीं
म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों की करीब 800,000 की आबादी को बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी माना जाता है. कई पीढ़ियों से वहां रहने के बावजूद उन्हें अब भी इस बौद्ध-प्रधान देश में भेदभाव और अत्याचार झेलने पड़ते हैं. यही कारण है कि म्यांमार के रोहिंग्या किसी भी तरह मलेशिया या इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम-प्रधान देश पहुंचना चाहते हैं.
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रोहिंग्या: समुद्र पार मायूस उड़ान
खतरनाक यात्रा
हर साल हजारों रोहिंग्या समुद्र के रास्ते बेहद कठिन परिस्थितियों में इस लंबी यात्रा की शुरुआत करते हैं. मानव तस्करी करने वाले इन्हें बेहद खराब नावों में ठूस ठूस कर मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में ले जाने की फीस लेते हैं. यूएन का अनुमान है कि इस साल पहली तिमाही में ही ऐसे करीब 25,000 लोगों ने मानव तस्करों की नावों से सफर किया.
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रोहिंग्या: समुद्र पार मायूस उड़ान
आधुनिक गुलामों का व्यापार
म्यांमार में भेदभाव से बचकर निकलने के लिए रोहिंग्या लोग आमतौर पर किसी एजेंट से संपर्क करते हैं. वह उन्हें बताता है कि लगभर 200 डॉलर की कीमत चुकाने पर उन्हें सीधे मलेशिया ले जाया जाएगा. पूरी यात्रा में उन्हें खाने, पानी, विश्राम की कोई जगह नहीं मिलती बल्कि कई बार तो पिटाई की जा जाती है हत्या भी.
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रोहिंग्या: समुद्र पार मायूस उड़ान
थाईलैंड का डर
कई रोहिंग्या लोग थाईलैंड पार करने के लिए तस्करों की सवारी लेने को मजबूर होते हैं. कई बार स्मगलर इन्हें बंदी बना लेते हैं और जंगल कैंपों में तब तक बंधक रखते हैं जब तक उनके घर वालों से फिरौती ना वसूल लें. थाई सरकार को हाल में ऐसी कई सामूहिक कब्रें मिलीं (तस्वीर) जिसके बाद से सरकार ने मानव तस्करों पर और कड़ा रवैया अपनाया है.
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रोहिंग्या: समुद्र पार मायूस उड़ान
प्रवासियों की बाढ़
पूरा दक्षिणपूर्व एशियाई क्षेत्र प्रवासियों की बड़ी तादाद झेल रहा है. लाखों लोग कई तरह की समस्याओं के शिकार होकर दूसरी जगहों का रुख कर रहे है. हाल के आंकड़े दिखाते हैं कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तस्करी के शिकार हुए लोगों की संख्या सवा करोड़ के पास पहुंच गई है.
रिपोर्ट: थोमास लाचन/आरआर
कमजोर भाजपा
दो साल पहले लोकसभा चुनावों में राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर आश्चर्यजनक रूप से उभरी भाजपा को मिले लगभग 17 फीसदी वोटों ने तब राज्य में लेफ्टफ्रंट की लुटिया डुबो दी थी. लेकिन बीते डेढ़- वर्षों के दौरान भाजपा की लोकप्रियता घटी है. पार्टी में 2014 वाले न तो तेवर हैं और न ही वोटरों पर वैसी मजबूत पकड़. शहरी निकाय के चुनावों ने साफ कर दिया है कि पिछली बार जिन दो लोकसभा सीटों यानी आसनसोल और दार्जिलिंग में उसके उम्मीदवार जीते थे, वहां भी उसका ग्राफ तेजी से गिरा है.
वैसे, उसने फिलहाल बंगाल में 52 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की है. पार्टी को यहां अपनी पहचान बनाने के लिए नेताजी का ही सहारा है. जिस नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए ममता बनर्जी ने पहल की थी, बीजेपी ने उसकी काट के लिए नेताजी के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस को ही उनके खिलाफ मैदान में उतार दिया है. बंगाल चुनावों में नेताजी के प्रपौत्र ही बीजेपी का चेहरा होंगे.
अहम हैं अल्पसंख्यक
राज्य में लगभग 29 फीसदी आबादी अल्पसंख्यकों की है और कई चुनाव क्षेत्रों में तो मुस्लिम वोट ही निर्णायक स्थिति में हैं. यही वजह है कि तमाम राजनीतिक पार्टियां अबकी ज्यादा तादाद में ऐसे तबके के उम्मीदवारों को टिकट दे रही हैं. पिछली बार तृणमूल को सत्ता में पहुंचाने में अल्पसंख्यक वोटरों ने अहम भूमिका निभाई थी. और विपक्ष की तमाम कोशिशों के बावजूद पार्टी का यह वोट बैंक अटूट है.
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बंगाल में पर्यटन
टॉय ट्रेन
हिमालय की तलचटी में 2045 मीटर की ऊंचाई पर बसे दार्जिंलिंग का एक आकर्षण नैरो गेज रेल भी है. पर्यटक इसकी सवारी का आनंद लेने दार्जिलिंग जाते हैं.
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बंगाल में पर्यटन
चाय बागान
दार्जिलिंग पूर्वी हिमालय रेंज का हिस्सा है. आल्पीन जंगलों वाला यह इलाका अपने मशहूर चाय के बागानों के लिए भी जाना जाता है. दार्जिलिंग चाय पश्चिमी देशों में भी बहुत लोकप्रिय है.
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बंगाल में पर्यटन
रेल रोड का साथ
रोड के साथ साथ चलती रेलगाड़ी. दार्जिलिंग जाते हुए रेल और रोड का खेल चलता रहता है. सैलानी कभी ट्रेन पर होते हैं तो कभी नीचे उतरकर तस्वीर खींचते हैं.
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बंगाल में पर्यटन
पहाड़ी वादियां
दार्जिंलिंग शहर से कंचनजंगा पहाड़ों की चोटियां देखी जा सकती हैं. यहां केवेंटर रेस्तरां से धुंध में लिपटे पहाड़ी शहर दार्जिलिंग का नजारा.
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बंगाल में पर्यटन
संग्रहालय
कलिम्पोंग के निकट मुंगपो में स्थित इस घर में महाकवि रबींद्रनाथ टैगोर अक्सर ठहरा करते थे. अब यहां उनी यादगार चीजों से बना संग्रहालय है.
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बंगाल में पर्यटन
मिशनरी स्कूल
कलिम्पोंग का प्रसिद्ध जेसुइट मिशनरी स्कूल. यहां 300 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं. उनमें से अधिकतर गरीब परिवारों से आते हैं.
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बंगाल में पर्यटन
बंगाल टाइगर
सुंदरबन का इलाका अपने बंगाल टाइगर्स के लिए मशहूर है. ताजा जनगणना के अनुसार भारत में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है.
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बंगाल में पर्यटन
आकर्षक शहर
बंगाल की राजधानी कोलकाता भी अपनी लंबी सांस्कृतिक विरासत के कारण हर मौसम में यात्रा के लायक है. क्रिसमस के समय सड़कों पर जगमगाती रोशनी.
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बंगाल में पर्यटन
भव्य पंडाल
कोलकाता अपने रंगारंग दशहरा के लिए भी जाना जाता है. दुर्गा पूजा के मौके पर सुंदर मूर्तियों के अलावा सारे शहर में ढेर सारे भव्य पंडाल भी बनाए जाते हैं.
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बंगाल में पर्यटन
सुंदर तालाब
अंग्रेजों की पहली राजधानी रहा कोलकाता अपने अत्यंत खूबसूरत तालाबों के लिए भी जाना जाता है.
किसी दौर में अल्पसंख्यक तबके ने खुल कर कांग्रेस को समर्थन दिया था. उसके बाद यह वोट बैंक माकपा की झोली में चला गया और इसी के सहारे उसने कोई 34 साल तक बंगाल पर निरंकुश राज किया. उसके बाद ममता ने नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण-विरोधी आंदोलन के दौरान इस हकीकत को समझा कि अल्पसंख्यक वोट बैंक ही उनको सत्ता दिला सकता है और लंबे अरसे तक कुर्सी पर टिकाये रख सकता है.
वैसे, वाम-कांग्रेस गठजोड़ ने ममता की चिंता बढ़ा दी है. यही वजह है कि अपनी चुनावी रैलियों के दौरान वे इसे अनैतिक करार देते हुए लगातार इन दोनों दलों पर हमले कर रही हैं. राजनीतिक पयर्वेक्षकों का कहना है कि इस चुनाव के नतीजे भले चौंकाने वाले नहीं हों, तृणमूल समेत तमाम दलों के लिए यह एक खूनी संघर्ष साबित हो सकता है.