शुरत हादिन संस्था की निदेशक नित्साना डर्शन-लाइटरन ने फेसबुक के खिलाफ न्यूयॉर्क में याचिका दायर की है. उन्होंने फेसबुक पर हिंसा को भड़काने वाली पोस्ट को जगह देने का आरोप लगाया है. याचिका में फेसबुक से घृणा फैलाने वाले 1,000 पेज हटाने को कहा गया है. साथ ही दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट से निगरानी बेहतर करने की मांग भी की गई है. याचिकाकर्ता ने फेसबुक से कोई आर्थिक हर्जाना नहीं मांगा है.
डर्शन-लाइटरन का कहना है, "जिस तरह वे बता सकते हैं कि आपने सुबह कौन सी कॉफी पी है और विज्ञापन दे सकते हैं या फिर ऐसे दोस्तों से जोड़ सकते हैं जिनके शौक मेरे जैसे हैं, उसी तरह वे इन धमकियों को भी देख सकते हैं और आतंकी हमलों का महिमामंडन करने वाली पोस्ट्स को हटा सकते हैं."
इस ऑनलाइन याचिका का समर्थन 20,000 इस्राएलियों ने किया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इसका कोई राजनैतिक या आर्थिक मकसद नहीं है, वे सिर्फ यहूदी अधिकारों की रक्षा करना चाहती हैं.
सूची में अमेरिकी-इस्राएली नागरिक रिचर्ड लाकिन का नाम भी लिखा गया है. 13 अक्टूबर को पूर्वी येरुशलम के एक बस स्टॉप पर 76 साल के लाकिन पर चाकुओं से हमला हुआ और फिर उन्हें गोली मार दी गई. एक अक्टूबर से अब तक किसी इस्राएली पर हुआ यह नौंवा हमला है. इस्राएल का आरोप है कि फलीस्तीनी कट्टरपंथी अब आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं. लाकिन के बेटे मिकाह एवनी लाकिन के मुताबिक, "जो दुखद, खौफनाक घटना मेरे पिता के साथ हुई, वह हमें यह सोचने का मौका दे रही है कि हमें सोशल मीडिया को कैसे देखना चाहिए."
फलीस्तीनी कट्टरपंथी गुटों ने इंटरनेट पर ऐसे कई वीडियो डाले हैं जिनमें हत्या करना सिखाया गया है. एवनी लाकिन इसका उदाहरण भी देते हैं, "फेसबुक और ट्विटर पर इस बात के खास निर्देश डाले जा सकते हैं कि कैसे किसी के सीने को चीरें और आंतों को काटें. मेरे पिता के साथ ऐसा ही हुआ. यह पूरी तरह अस्वीकार्य है." लाकिन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून के सामने भी यह चिंता जताई.
याचिका का जवाब देने के लिए फेसबुक को 30 दिन का समय दिया गया है. इस बीच अमेरिकी कंपनी फेसबुक ने एक बयान जारी कर कहा है, "यह याचिका बिना आधार वाली है और हम पूरा जोर लगाकर अपनी रक्षा करेंगे. हम चाहते हैं कि लोग फेसबुक इस्तेमाल करते वक्त सुरक्षित महसूस करें. हिंसा को बढ़ावा देने वाली सामग्री, सीधी धमकी, आतंकवाद या घृणा भरे भाषण के लिए फेसबुक में कोई जगह नहीं है."
इस्राएल ने यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में भी उठाया है. उसने यूएन के सामने एक वीडियो पेश किया जिसमें बताया जा रहा है कि शरीर पर चाकू मारने के लिए सबसे मुफीद जगह कौन सी होती है. सोशल मीडिया पर अरबी में लिखा गया हैशटैग #Jerusalemintifada भी चल रहा है, जिसमें हमले का वीडियो पोस्ट किया जाता है. इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने इस चलन को "बिन लादेन की मार्क जकरबर्ग से मुलाकात" करार दिया है.
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गाजा के नीचे क्या है
जीवनरेखा और तस्करी का रास्ता
फलीस्तीनी इसे जीवनरेखा के तौर पर देखते हैं. इस्राएलियों का कहना है कि यह तस्करी का रास्ता है और कई सौ या शायद हजारों सुरंग गाजा को दुनिया के दूसरे हिस्सों से जोड़ते हैं. यहां तक कि जानवरों को भी इन सुरंगों से होकर ले जाया जाता है.
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अपने ही देश में कैदी
करीब 18 लाख फलीस्तीनी गाजा में रहते हैं. वे इस्राएल और मिस्र से कटे हुए हैं. सरहदों पर ऊंची जालियां लगी हैं. लंबे वक्त तक सिर्फ राफा सीमा से वहां जाया जा सकता था. लेकिन 2007 में हमास के सत्ता में आने के बाद उस रास्ते को भी रोक दिया गया.
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खतरनाक है सुरंग
इसके बाद से सिर्फ सुरंगों से ही रिश्ता बना रह पाया है. आम तौर पर ये कुदाल और फावड़ों से बनते हैं और इन्हें लकड़ी के ढांचों से सहारा दिया जाता है. लंबी सुरंगों में अंदर से प्लास्टर किया जाता है. युवा फलीस्तीनियों के लिए सुरंग खोदना आमदनी का जरिया भी है.
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छिपे रास्ते
सुरंगों के मुख्य द्वार आम तौर पर घरों के मुख्य दरवाजों के आस पास ही होते हैं, ताकि वे बाहर से नजर न आएं. जिसे भी सुरंग का इस्तेमाल करना होता है, उसे इसका किराया देना होता है. इसका एक हिस्सा घर के मालिक को भी दिया जाता है.
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सप्लाई का जरिया
फलीस्तीनी सीमेंट और निर्माण की दूसरी चीजें इन्हीं सुरंगों से लाते हैं. इसकी मदद से वे अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करते हैं. कई बार ये सुरंगें इस्राएली सैनिक अड्डों के नीचे से भी होकर गुजरती हैं और इस्राएली सेना के इन ठिकानों को नीचे से ही उड़ाने की कोशिश होती है.
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बढ़ती संख्या
करीब 30 साल से गाजा में ऐसी सुरंगें बनी हैं. 1979 में इस्राएल और मिस्र के बीच शांति समझौते के बाद राफा शहर बंट गया, एक हिस्सा गाजा को तो दूसरा मिस्र को मिला. शहर के दोनों हिस्सों में लेन देन सुरंगों से की जाती रही.
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मिसाइलों से सुरक्षा
कई सुरंगों में अत्याधुनिक सुविधाएं हैं. बिजली और टेलीफोन भी. इसके जरिए सुरंग के अंदर के लोग ऊपर के लोगों के संपर्क में रह सकते हैं. जब इस्राएली सेना हमला करती है, तो यह सुरक्षित जगह का भी काम करती है.
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तीसरी तरफ से..
सिर्फ इस्राएल ही इन सुरंगों से परेशान नहीं है, बल्कि मिस्र को भी समस्या है. उसके सिनाई इलाके में हमास का कथित हमला होता है. मिस्र की सेना भी इन सुरंगों को बर्बाद करने की कोशिश करती है. यहां तक कि मुस्लिम ब्रदरहुड भी इसके खिलाफ थी.
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नीचे से खतरा
कई सुरंगों का इस्तेमाल सिर्फ इस्राएली सेना पर हमले के लिए किया जाता है. हमास ने यह तस्वीर जारी की है, जो 2004 की है. इसमें दिखाया गया है कि किस तरह से सुरंग के अंदर से धमाका किया गया था.
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अंडरग्राउंड मंत्री
इस्राएल के रक्षा मंत्री मोशे यालोन ने 2013 में ऐसे सुरंग का दौरा किया, जो गाजा ने तैयार किया था. इस्राएल का आरोप है कि इस सुरंग को तैयार किया गया था ताकि उन पर हमले किए जा सकें और उनके नागरिकों का अपहरण किया जा सके.
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जारी है संघर्ष
इस्राएल का कहना है कि इस बार वह तब तक अपनी कार्रवाई नहीं रोकेगा, जब तक कि वह सभी सुरंगों को नेस्तनाबूद नहीं कर देता.
रिपोर्ट: मार्कुस लुटिके/एजेए
ओएसजे/आईबी (एएफपी)