पोलंस्की के प्रत्यर्पण की मांग
२४ अक्टूबर २००९दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत चालीस दिन के भीतर पोलंस्की को अमेरिका के हवाले कर देना होगा. समझा जाता है कि पोलंस्की इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अदालत में अपील दायर कर सकते हैं. स्विट्जरलैंड के न्याय मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि अगर उसने अमेरिकी आग्रह को मंज़ूरी दे दी तो पोलंस्की अदालत में जा सकते हैं.
अमेरिका को पोलंस्की की 1978 से तलाश है. उन पर एक नाबालिग लड़की के साथ अवैद्य रूप से यौन संबंध बनाने का आरोप है. अमेरिका में अपने ख़िलाफ़ वारंट जारी होने के बाद से पोलंस्की ने कभी अमेरिकी ज़मीन पर क़दम नहीं रखा है. उनके पास पोलैंड के अलावा फ्रांस की नागरिकता भी है और वो वहीं रहते आए हैं.
पिछले दिनों ज़्युरिख में एक फ़िल्म समारोह में सम्मान लेने पोलंस्की आए थे लेकिन स्विस अधिकारियों ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया. उनकी ज़मानत भी ख़ारिज कर दी गई थी. अधिकारियों का कहना है कि दशकों पुराना वारंट अब भी वैध है इसीलिए पोलंस्की को कस्टडी में लिया गया.
पोलंस्की मामले पर ये विवाद ऐसे समय हो रहा है जब ख़ुद पीड़ित रही महिला उनके ख़िलाफ़ मामला खत्म करने की अपील कर चुकी है. उनका कहना है कि वो एक बुरी याद को मिटा देना चाहती रही हैं. उन्होंने ये भी कहा कि पोलंस्की समाज के लिए ख़तरनाक अपराधी नहीं है और उनके ख़िलाफ़ इस तरह के सलूक की कोई ज़रूरत नहीं.
बहरहाल पोलंस्की के वकील पिछले कई साल से ये मामला खारिज कराने की कानूनी कोशिश करते रहे हैं लेकिन अभी तक उनके हाथ सफलता नहीं लगी है. माना जा रहा है कि पोलंस्की को अगर अमेरिका के हवाले कर दिया जाता है तो वो वहां भी अपील दायर कर सकते हैं. और कानूनी लड़ाई लड़ सकते हैं.
रिपोर्ट-एजेंसियां/एस जोशी
संपादन-एस गौड़