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पाकिस्तान से 15 दिन भी नहीं लड़ सकता भारत: एक्सपर्ट्स

२० सितम्बर २०१६

कश्मीर के उड़ी में सैन्य ठिकाने पर हमले के बाद पर भारत में उग्र प्रतिक्रिया हो रही है. हालांकि विशेषज्ञों की सलाह है कि सरकार जो भी कदम उठाए, सोच समझ कर उठाए.

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Indien Lal Chowk Srinagar - Nach Uri Terrorangriff
तस्वीर: UNI

सोमवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सैन्य नेतृत्व की एक बैठक बुलाई ताकि तय किया जा सके कि हमले का जवाब किस तरह दिया जाए. कुछ मीडिया रिपोर्टों का कहना है कि नियंत्रण रेखा के पार आंतकवादी ट्रेनिंग शिविरों पर हमले किए जा सकते हैं.

लेकिन सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के पास इतनी सैन्य क्षमता ही नहीं है कि वह कश्मीर में पाकिस्तान पर हमला कर सके. वहां हालात पहले ही हफ्तों से पुलिस और प्रदर्शनकारियों की हिंसक झड़पों से खराब हैं. नई दिल्ली में एक थिंक टैंक ‘इंस्टीट्यूट ऑफ कंफ्लिट मैनेजमेंट' के कार्यकारी निदेशक अजय साहनी कहते हैं, “ये ऐसा तो है नहीं जिस तरह अमेरिका सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ हवाई हमले कर रहा है. भारत जानता है कि वह पाकिस्तान के खिलाफ 15 दिन भी लड़ाई नहीं लड़ सकता. ठीक इसी तरह पाकिस्तान भी नहीं लड़ सकता है.”

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स्थानीय मीडिया में भी कई जगह सोच समझ कर फैसला लेने की बात कही जा रही है. ‘इंडियन एक्सप्रेस' ने लिखा है कि सैन्य कार्रवाई के फैसले करने आसान होता है, उन पर अमल मुश्किल होता है. इसी साल जनवरी में पठानकोट के आर्मी बेस पर भी हमला हुआ था जो चार दिन तक जारी रहा और भारत के सात सैनिकों की मौत के साथ खत्म हुआ. इसके जबाव में भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत रोक दी थी. पूर्व राजनयिक और भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर विशेषज्ञ केसी सिंह का कहना है, “सरकार अपने ही बयानों में फंस कर रह गई है.” दरअसल 2014 के आम चुनावों के दौरान मोदी ने अपने रैलियों में कई बार कह कि अगर वह प्रधानमंत्री बने तो पाकिस्तान भारत को उकसाने की हिम्मत नहीं करेगा.

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लेकिन विश्लेषक सावधान करते हैं चुनावी बयानबाजी से राष्ट्रीय नीति तय नहीं होती है. उनका कहना है कि अभी संयुक्त राष्ट्र की महासभा शुरू होने वाली है और अगर ऐसे में भारत ने सैन्य कार्रवाई करने की सोची तो दुनिया भर में उसकी निंदा होगी. रक्षा विशेषज्ञ कमोडोर सी उदय भास्कर ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखा, “मोदी सराकर पर कार्रवाई करने का स्पष्ट दबाव है, लेकिन इसके नफा-नुकसान के बारे में भी बारीकी सोचना होगा.”

भारत में पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने की भले ही कितनी भी मांगें उठे, लेकिन जानकारों की राय भारत के सामने विकल्प सीमित ही हैं. वह पाकिस्तान पर राजनयिक और व्यापारिक प्रतिबंध लगा सकता है. कुछ कहते हैं कि भारत को पाकिस्तान से अपने उच्चायुक्त को बुला लेना चाहिए और पाकिस्तान उच्चायुक्त को निकाल देना चाहिए.

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लेकिन भारत जो भी कदम उठाए, उसके नतीजे के बारे में जरूर सोचना होगा. नई दिल्ली स्थित के एक थिंक टैंक से जुड़े मनोज जोशी कहते हैं, “भारत को सुनिश्चित करना होगा कि सरकार जिस भी विकल्प, और खास तौर से सैन्य विकल्प, को चुने तो उसे सुनिश्चित करना होगा कि मौतों और लागत के मामले में उसे पहले से ज्यादा नुकसान न उठाना पड़े.”

एके/वीके (एपी, एएफपी)