सेना का प्रतिबंधित कुर्द संगठन पीकेके के खिलाफ पिछले कई दिनों से चल रहा व्यापक अभियान जारी है. इस अभियान के अंतर्गत कई इलाकों में कर्फ्यू लागू है. नए कानून के मुताबिक कर्फ्यू के दौरान मारे गए लोगों की पहचान होने पर भी उनका अंतिम संस्कार करने की पुलिस को छूट है. सियासिन बुरुंतेकिन गुस्से और आंसुओं को रोकती हुई बताती हैं कि उनकी रिश्तेदार को तुर्क सुरक्षा बल ने गोली मार दी और बगैर रिश्तेदारों को सूचना दिए उन्हें दफना भी दिया. आइसे बुरुंतेकिन की कब्र पर पहली बार पहुंची सियासिन याद करते हुए बताती हैं कि वह सिपोली इलाके में कर्फ्यू के दौरान अपने बच्चे के लिए दूध लेने बाहर निकली थीं. सिपोली सीरिया और इराक के साथ तुर्की के थ्री प्वाइंट बॉर्डर के पास है. सियासिन ने बताया उनकी रिश्तेदार की गर्दन में गोली लगी, "पुलिस ने परिवार को बताए बिना उन्हें दफना दिया."
कर्फ्यू के अंतर्गत आने वाले इलाकों के लिए नया नियम 7 जनवरी से लागू हुआ जिसके मुताबिक अगर मारे गए व्यक्ति की लाश लेने कोई नहीं आता है तो उसकी पहचान होने पर भी सुरक्षा बल के लोग उसका अंतिम संस्कार कर सकते हैं. कानून का मकसद अंतिम संस्कार को रैलियों या विद्रोही संगठनों के समर्थन प्रदर्शनों में तब्दील होने से बचाना है. खबरों के मुताबिक दिसंबर में विद्रोह के जोर पकड़ने के बाद से अब तक दर्जनों आम नागरिक अपनी जान गंवा चुके हैं. कुर्दों के लिए पूर्ण कर्फ्यू की हालत में मुर्दाघर से अपने रिश्तेदारों के शव लेने जाना भी संभव नहीं है.
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कौन हैं यजीदी
मलिक ताउस
यजीदी एक ईश्वर में विश्वास करते हैं और मानते हैं कि उसके सात फरिश्ते दुनिया में उनकी मदद करते हैं. मोर के रूप में मलिक ताउस उनमें सबसे अहम है.
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कौन हैं यजीदी
पांच बार आराधना
यजीदी धर्म के अनुयायी दिन में पांच बार सूर्य की तरफ मुंह करके पूजा करते हैं. दोपहर की पूजा लालिश पहाड़ियों की तरफ मुंह करके की जाती है, जहां उनका पवित्र मजार है. यह जगह उसी का प्रतीक है.
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कौन हैं यजीदी
इराक में बसेरा
दुनिया भर में करीब 8 लाख यजीदी हैं, जिनमें से ज्यादातर निनेवेह प्रांत में पहाड़ियों के पास रहते हैं. कुर्द भाषा बोलने वाले यजीदियों को 1990 के बाद से सीरिया और तुर्की जैसे देशों से भागना पड़ा. उनमें से कई ने अब यूरोप में पनाह ली है.
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कौन हैं यजीदी
घर छोड़ते यजीदी
आइसिस का कहना है कि यह "अशुद्ध" लोगों को इराक में नहीं रहने देंगे. लिहाजा उन्होंने यजीदियों पर हमला बोल दिया है. इससे पहले इन लोगों को सद्दाम हुसैन के शासनकाल में भी हमलों का सामना करना पड़ा था.
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कौन हैं यजीदी
सिंजर की पहाड़ियां
ये लोग इराक छोड़ कर सीरिया की तरफ भाग रहे हैं. सफर के लिए कई बार गधों का भी इस्तेमाल करना पड़ रहा है. रिपोर्टें हैं कि आइसिस ने सैकड़ों यजीदियों को मार डाला है. उनके खौफ से ईसाई भी कुर्दों के प्रभाव वाले शहर इरबील भाग रहे हैं.
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कौन हैं यजीदी
जहां तहां ठिकाना
इराक सरकार का दावा है कि आइसिस के सदस्यों ने कई यजीदियों को जिंदा दफ्न कर दिया है, जबकि औरतों को अगवा कर लिया गया है. बच कर भाग रहे लोगों में से कुछ ने दोहुक प्रांत में ठिकाना जमाया है.
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कौन हैं यजीदी
कहां कहां यजीदी
आम तौर पर वे इराक के उत्तर में रहते हैं, जहां कुर्दों का भी भारी प्रभाव है. दोनों की भाषा भी लगभग एक जैसी है. इराक से बाहर सबसे ज्यादा यजीदी यूरोपीय देश जर्मनी में रहते हैं. इसके अलावा रूस, अर्मेनिया, जॉर्जिया और स्वीडन में भी उन्होंने शरण ली है.
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कौन हैं यजीदी
अंतरराष्ट्रीय मदद
आइसिस के खिलाफ अमेरिका ने जहां हवाई हमले करने का फैसला किया है, वहीं कुछ देशों ने वहां मदद पहुंचाने का भी काम किया है. फ्रांस का एक कार्गो विमान बगदाद के पास अरबील में राहत सामग्री लेकर उतरा, जो प्रभावित इलाकों में भेजी गई.
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कौन हैं यजीदी
कुर्दों का साथ
सीरिया के अल-हसाका इलाके की तरफ जाते हुए यजीदी समुदाय के लोगों को कुर्द लड़ाकों का समर्थन मिल रहा है. आइसिस ने इराक में खिलाफत का एलान किया है और यजीदी खास तौर पर उनके निशाने पर हैं.
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कौन हैं यजीदी
जर्मनी में प्रदर्शन
बीलेफेल्ड शहर में इराक के यजीदियों के समर्थन में प्रदर्शन किए गए. इस दौरान कुर्दिश वर्कर्स पार्टी के सह संस्थापक अब्दुल्लाह ओएचेलान के पोस्टर भी लोगों ने थाम रखे थे. इस प्रदर्शन में 10,000 लोगों ने हिस्सा लिया.
रिपोर्ट: अनवर जे अशरफ
सियासिन के मुताबिक पुलिस ने यह तक नहीं बताया कि उनकी रिश्तेदार को कहां दफनाया गया है. इलाके के आसपास मौजूद लोगों के जरिए उन्हें यह जानकारी मिली. कई अन्य कुर्दों की तरह वह कहती हैं, "इसका जिम्मेदार एर्दोवान है. मैं अपने आप को इस देश के नागरिक के तौर पर और नहीं देख सकती." वह कहती हैं कि राष्ट्रपति रैचप तैयप एर्दोवान को बढ़ती हिंसा के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
तयबत इनान का परिवार भी कम गुस्से में नहीं. खालिद इनान की 57 वर्षीय पत्नी की टांग में उस समय पुलिस की गोली लगी जब वह पड़ोसी के घर से लौट रही थीं. उस समय वह अपने घर से कुछ मीटर की दूरी पर ही थीं. खालिद ने पत्नी को अंदर खींचने के लिए रस्सी फेंकी लेकिन वह कामयाब नहीं हो सके. वह अगले दिन तक जिंदा थीं. खालिद याद करते हैं, "वह बार बार कह रही थी, बाहर मत आना वरना तुम भी मारे जाओगे."
खालिद के भाई अब्दुल्लाह ने कुर्द समर्थक एचडीपी पार्टी के सांसद को फोन कर एंबुलेंस का इंतजाम करवाया. लेकिन रास्ते में उन्हें पुलिस ने रोक लिया. अब्दुल्लाह बताते हैं इसके बाद पुलिस ने उनसे उनके घर का पता पूछा. और फिर उनके घर को आग लगा दी. पुलिस तयबन के शव को मुर्दाघर ले गई. पुलिस ने परिवार को फोन कर नए कानून के हवाले से बताया कि तयबत को पुलिस ही दफना देगी.
एसएफ/एमजे (डीपीए)
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कैसे हुई शुरुआत?
रातों रात कुछ भी नहीं हुआ. सीरिया में पिछले पांच साल से गृहयुद्ध चल रहा है. मार्च 2011 में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए. चार महीनों के अंदर शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुके थे. यह वही समय था जब कई देशों में अरब क्रांति शुरू हुई.
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क्या हैं आंकड़े?
उस समय सीरिया की आबादी 2.3 करोड़ थी. इस बीच करीब 40 लाख लोग देश छोड़ चुके हैं, 80 लाख देश में ही विस्थापित हुए हैं और दो लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. ये आधिकारिक आंकड़े हैं. असल संख्या इससे काफी ज्यादा हो सकती है.
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कहां है सीरिया?
पश्चिमी एशिया के देश सीरिया के एक तरफ इराक है, दूसरी तरफ तुर्की. इसके अलावा लेबनान, जॉर्डन और इस्राएल भी पड़ोसी हैं. सीरिया की तरह इराक में भी संकट है. दोनों ही देशों में कट्टरपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ने तबाही मचाई है.
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पड़ोसियों ने क्या किया?
इस वक्त तुर्की में सीरिया से आए 18 लाख शरणार्थी हैं, लेबनान में 12 लाख, जॉर्डन में करीब 7 लाख और इराक में ढाई लाख. लेबनान, जिसकी आबादी 45 लाख है, वहां चार में से हर एक व्यक्ति सीरिया का है. इराक पहुंचने वालों के लिए आगे कुआं पीछे खाई की स्थिति है.
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इस्राएल का क्या?
सीरिया के साथ इस्राएल की भी सरहद लगी है पर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध ना होने के कारण इस्राएल ने एक भी शरणार्थी नहीं लिया है और कहा है कि भविष्य में भी नहीं लेगा.
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यूरोप ही क्यों?
संयुक्त राष्ट्र के जेनेवा कन्वेंशन में 'शरणार्थी' को परिभाषित किया गया है. यूरोपीय संघ के सभी 28 देश इस संधि के तहत शरणार्थियों की मदद करने के लिए बाध्य हैं. यही कारण है कि लोग यूरोप में शरण की आस ले कर आ रहे हैं.
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क्या है रास्ता?
सीरिया से यूरोप का रास्ता छोटा नहीं है. अधिकतर लोग पहले तुर्की, वहां से बुल्गारिया, फिर सर्बिया, हंगरी और फिर ऑस्ट्रिया से होते हुए जर्मनी पहुंचते हैं. इसके आगे डेनमार्क और फिर स्वीडन भी जाते हैं. कई लोग समुद्र का रास्ता ले कर तुर्की से ग्रीस और फिर इटली के जरिए यूरोप की मुख्य भूमि में प्रवेश करते हैं.
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अब आगे क्या?
यूरोपीय आयोग के प्रमुख जाँ क्लोद युंकर का कहना है कि यूरोप को हर हाल में 1,60,000 शरणार्थियों के लिए जगह बनानी होगी. उन्होंने एक सूची जारी की है जिसके अनुसार शरणार्थियों को यूरोप के सभी देशों में बांटा जा सकेगा. हालांकि बहुत से देश इसके खिलाफ हैं.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया