हरियाणा के सोरखी गांव के रहने वाले साधूराम बर्नवाल शादी करना चाहते थे. परिवार ने पारंपरिक भारतीय अंदाज में संबंधियों, पड़ोसियों मंदिर के पंडित को भी उनकी इस इच्छा से अवगत करा दिया. लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद भी अपनी जाति-बिरादरी की कोई लड़की नहीं मिली. हरियाणा, जहां लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या देश में सबसे कम है, ये स्थिति तो आनी ही थी. उत्तर भारत के कई राज्यों में गर्भ में ही भ्रूण के लिंग का पता कर, मादा भ्रूण को मार डालने का चलन है. आर्थिक कारणों से कोई लड़की नहीं पैदा करना चाहता.
एक दोस्त की मदद से बर्नवाल को घर से कुछ 2,700 किलोमीटर दूर एक लड़की मिली. लड़की दक्षिण भारतीय राज्य केरल की थी और शादी को तैयार भी. लेकिन एक अलग भाषा और संस्कृति से आने वाली दुल्हन हरियाणा की अपनी नई जिंदगी को लेकर घबराई हुई थी. बर्नवाल की यह शादी करीब 10 साल पहले हुई. इससे उनका गांव सोरखी सकते में था. लेकिन तबसे लेकर अब तक केवल इस गांव में ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत में इस तरह की घटनाएं आम हो चुकी हैं.
हरियाणा के हालात
करीब 7,000 लोगों की आबादी वाला सोरखी गांव राजधानी दिल्ली से केवल 150 किलोमीटर ही दूर है. यहां पिछले कितने ही सालों से कुछ ज्यादा बदला हुआ नहीं दिखता. केवल एक चीज काफी बदली है और वह है, लड़कियों की संख्या में भारी कमी. गांव के रिटायर्ड स्कूल टीचर ओम प्रकाश बताते हैं, "केवल सोरखी में ही इस समय 200 से 250 ऐसे जवान लड़के हैं जो शादी करना चाहते हैं लेकिन शादी के लिए लड़की ही नहीं मिल रही है."
भारत में प्रीनेटल सेक्स निर्धारण टेस्ट पर 1994 में ही प्रतिबंध लग गया था. डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को भी सोनोग्राम करने पर मनाही है. लेकिन आज भी कई जगहों पर छुप कर ऐसा किया जाता है. हरियाणा में हालत सबसे असंतुलित है, जहां हर छह साल से कम उम्र के हर 1,000 लड़कों पर औसतन केवल 834 लड़कियां ही हैं. इसी उम्र के बच्चों में पूरे भारत का अनुपात 1,000 पर केवल 919 लड़कियों तक गिर गया है.
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गर्भपातः एक वर्जित विषय
चुप्पी
मोनिका कहती हैं, 'यह मेरा शरीर है.' इस प्रदर्शनी के जरिए तीनो फोटोग्राफर अर्जेंटीना में गर्भपात के खिलाफ अभियान शुरू करना चाहते हैं. वहां के समाज में यह विषय वर्जित है.
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गर्भपातः एक वर्जित विषय
कोई गाइडलाइन नहीं
23 साल की एलुने को इस संघ ने मदद की. वे कहती हैं, "मैं खुद तय करना चाहूंगी कि मैं कब मां बनू." हालांकि जब दवाइयों से किए जाने वाले गर्भपात सही तरीके से नहीं किए जाते, तो खतरनाक साबित होते हैं. डॉक्टर अक्सर इतनी गंभीर दवाओं को बिना किसी जानकारी के बेच देते हैं.
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गर्भपातः एक वर्जित विषय
जेल में गर्भपात
सोनिया सांचेज से जबरन देह व्यापार करवाया जाता है. उनके पांच गर्भपात करवाए गए, सभी जेल में. उन्हें अवैध देह व्यापार के आरोप में पकड़ा जाता. वह ऐसे लोगों के कारण गर्भवती होती, जो चकला चलाने वाली को बिना कंडोम के सेक्स के लिए ज्यादा पैसा देते. अब महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली सोनिया कहती हैं, 2012 में ऐसे गर्भपात को अनुमति दी गई, जो रेप के कारण हुआ हो या फिर जिससे महिला की जान को खतरा हो.
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गर्भपातः एक वर्जित विषय
निजी आजादी के लिए
मेरा शरीर मेरा है, यह दलील अर्जेंटीना में नहीं चलती. यहां गर्भपात पर रोक है. लेकिन फिर भी 27 साल की कैमिला की तरह यहां कई सौ महिलाएं गर्भपात करवाती हैं. उन्होंने अपनी पीठ पर यह टैटू बनवाया है, जिस पर लिखा है, लिबर्टाड यानी आजादी. यह तस्वीर 11 हफ्ते, 23 घंटे, 59 मिनट, अर्जेंटीना में अवैध गर्भपात नाम की प्रदर्शनी का हिस्सा है.
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गर्भपातः एक वर्जित विषय
नए साल पर
यह फोटो मारा की कहानी सुनाती है, जो 21 की उम्र में गर्भवती हो गई. उनके जीवनसाथी के परिवार ने धमकी दी कि अगर मारा ने बच्चा गिराया तो वे रिपोर्ट कर देंगे. उसका जीवनसाथी उसे छोड़ गया. 12 हफ्ते बाद उसने तय किया कि वह 2002 में नए साल की शाम अवैध क्लीनिक में गर्भपात करवाएगी.
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गर्भपातः एक वर्जित विषय
पुरुष भी दुखी
गर्भपात सिर्फ महिलाओं को ही परेशानी में डालता है, ऐसा नहीं है. फोटोग्राफर लीजा फ्रांस, गुआदालुप गोमेज वर्डी और लिया मेउरीस की तस्वीरें यहीं बताती हैं. 24 साल के पेद्रो ने उनकी मित्र की सहायता की थी, जब 2012 में उसने गर्भपात का फैसला लिया. वो कहते हैं, "हमें अपराधियों सा महसूस हुआ."
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गर्भपातः एक वर्जित विषय
घर में ही
कपड़ों के हैंगर, बुनाई की सलाई अंदर भोंक दी जाती है. सूचना की कमी, शिक्षा की कमी. विकल्प का मतलब महिलाओं के लिए है, गर्भपात के लिए घरेलू तरीके अपनाना. जो अक्सर जानलेवा साबित हो सकते हैं.
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गर्भपातः एक वर्जित विषय
हर साल 100 की मौत
अर्जेंटीना के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक गर्भपात के कारण पैदा हुई जटिलताओं और रक्तस्त्राव के कारण हर साल 60 से 80 हजार महिलाएं अस्पताल में भर्ती होती हैं. इनमें से 100 अंदरूनी चोटों या गलत तरीके से किए गए गर्भपात के कारण मर जाती हैं. यह देश के गरीब इलाकों में सामान्य है.
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गर्भपातः एक वर्जित विषय
70 हजार रुपये में
अवैध गर्भपात का धंधा फल फूल रहा है. डॉक्टर इसके लिए कम से कम 10,000 पेसो यानी करीब 65 से 75 हजार रुपये की मांग करते हैं. गर्भपात को कानूनी बनाने के लिए अभियान चला रहे डॉक्टर कार्दोसो ने भी गर्भपात करवाए हैं. और उन्होंने मरीजों की आय के हिसाब से उनसे फीस ली.
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गर्भपातः एक वर्जित विषय
महिलाओं की उन्हीं को मदद
अर्जेंटीना का महिला संघ ला रेवुएल्टा मांग करता है, "टेक योर रोजरीस आउट ऑफ आर ओवरीज". कैथोलिक देश में यह एनजीओ गर्भपात को वैध करने की मांग कर रहा है. यह संघ महिलाओं को दवाओं का इस्तेमाल कर गर्भपात की सलाह देता है.
रिपोर्ट: आने हैरबैर्ग/आभा मोंढे
शादी के लिए अपहरण
शादी के समय भारी दहेज के बोझ के कारण आज भी कई भारतीय परिवार बेटियां नहीं चाहते. इसके अलावा वे शादी के बाद अपने पति के घर चली जाती हैं और माता-पिता की बुढ़ापे में देखभाल नहीं कर पातीं. इस कारण भी लोग लड़की पैदा कर उसके पालन पोषण और शादी तक का खर्च नहीं उठाना चाहते.
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शिशु की सेहत
वजन पर दें ध्यान
जन्म के समय जिन बच्चों का वजन चार किलोग्राम या उससे ज्यादा होता है, वह बड़े हो कर मोटापे का शिकार हो सकते हैं. इसीलिए इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि गर्भवती महिलाएं अत्यधिक खानपान से दूर रहें, कसरत करती रहें और उन्हें डायबिटीज न हो.
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शिशु की सेहत
मां से जुड़ाव
बच्चे मां का स्पर्श, उसकी खुशबू को पहचानते हैं. अक्सर कहा जाता हैं कि मां बच्चे की रुलाई पिता से बेहतर पहचानती है. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं, मां और बाप दोनों अपने बच्चे की रोने की आवाज यकीन के साथ और समान रूप से पहचान सकते हैं.
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शिशु की सेहत
सुनहरे सपने
हर बच्चे की नींद का पैटर्न अलग होता है, लेकिन कुल मिला कर नवजात शिशुओं को करीब 16 घंटे की नींद की जरूरत होती है. जैसे जैसे उम्र बढ़ती है यह कम होती जाती है.
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शिशु की सेहत
मां का दूध
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जन्म के बाद छह महीने तक तो बच्चे को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए. थाईलैंड में सिर्फ पांच फीसदी महिलाएं बच्चों को अपना दूध पिलाती हैं. भारत अभी भी इससे बचा है. यूनिसेफ ने कहा कि इस मामले में दुनिया को भारत से सीख लेनी चाहिए.
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शिशु की सेहत
हाई टेक बच्चे
इन दिनों बहुत कम उम्र के बच्चों के लिए भी कंप्यूटर और स्मार्टफोन पर ऐप उपलब्ध हैं, जो बच्चों के विकास में मददगार हैं. पहले दो सालों में दिमाग का आकार तीन गुना बढ़ जाता है, जो कि चीजों को छूने, फेंकने, पकड़ने, काटने, सूंघने, देखने और सुनने जैसी गतिविधियों से मुमकिन होता है.
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शिशु की सेहत
मां का तनाव
गर्भावस्था के समय कई बातों का सीधा असर पैदा होने वाले बच्चे और उसके आगे के जीवन पर पड़ता है. यदि गर्भवती महिला तनाव में है तो बच्चे तक पोषक तत्व नहीं पहुंचते. इसी तरह जन्म के बाद भी मां का अपनी सेहत पर ध्यान देना जरूरी है.
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शिशु की सेहत
दवाओं से दूर
छोटे बच्चों को अक्सर दवाओं से दूर रखने की कोशिश की जाती है. खास तौर से एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बच्चों के लिए हानिकारक होता है. इनसे शरीर के फायदेमंद जीवाणु मर जाते हैं. मोटापा, दमा और पेट की बीमारियां बढ़ती हैं.
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शिशु की सेहत
स्वस्थ जीवन
बच्चों के लिए दुनिया बेहतर बन रही है. पिछले एक दशक में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में 50 फीसदी तक की गिरावट आई है.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया
बर्नवाल की शादी के साथ ही उनके गांव में केरल से दुल्हन लाने का एक चलन बन गया. इसके अलावा वहां बिहार और पश्चिम बंगाल से भी लड़कियों को लाया गया. केरल की लड़कियों ने हरियाणा के लड़कों से शादी का प्रस्ताव इसलिए मान लिया क्योंकि वे दहेज नहीं मांग रहे थे और शादी का खर्च उठाने को भी तैयार थे. आज महिलाओं की कमी के चलते कई मानव तस्कर लड़कियों को अगवा कर रहे हैं और दूसरे राज्यों में ले जाकर उन्हें बेच रहे हैं. केलव 2013 में ही 15 से 30 साल की ऐसी करीब 25,000 लड़कियों को अगवा कर शादी के लिए बेचे जाने के आंकड़े दर्ज हैं.