2005 से अब तक बांग्लादेश में हर साल करीब 18,000 बच्चे नदी, तालाब और पोखरों में डूबकर मरे. इन सभी की उम्र 18 साल से कम थी. सेंटर फॉर इंजरी प्रिवेंशन एंड रिसर्च ऑफ बांग्लादेश (CIPRB) के मुताबिक इन जिंदगियों को बचाया जा सकता है लेकिन अंधविश्वास आड़े आ रहा है. लोगों को लगता है कि बच्चे "ऊपर वाले की इच्छा" से डूब रहे हैं.
2016 में ऑस्ट्रेलिया के कुछ संस्थानों के सहयोग से एक प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. भाषा नाम के इस प्रोजेक्ट के तहत 4,00,000 घरों का सर्वे किया जाएगा. इस दौरान लोगों को डूबने से होने वाली मौत के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी. उन्हें तस्वीरें भी दिखाई जाएंगी. यह पता लगाया जाएगा कि सबसे ज्यादा समस्या कहां है. दक्षिण मध्य बांग्लादेश की किर्ताखोला नदी को सबसे खतरनाक माना गया है. हर साल इस नदी में एक से चार साल के कई बच्चे डूब जाते हैं.
बांग्लादेश एशिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला डेल्टा है. देश की 80 फीसदी जमीन डूब क्षेत्र में आती है. बरसात में हर कहीं पानी ही पानी नजर आता है. नदियां उफान पर होती हैं, तालाब, गड्ढे और कुएं पूरी तरह लबालब हो जाते हैं.
-
मृत्यु का विज्ञान
विकास से विघटन तक
30 की उम्र में इंसानी शरीर में ठहराव आने लगता है. 35 साल के आस पास लोगों को लगने लगता है कि शरीर अब कुछ गड़बड़ करने लगा है. 30 साल के बाद हर दशक में हड्डियों का द्रव्यमान एक फीसदी कम होने लगता है.
-
मृत्यु का विज्ञान
भीतर खत्म होता जीवन
30 से 80 साल की उम्र के बीच इंसान का शरीर 40 फीसदी मांसपेशियां खो देता है. जो मांसपेशियां बचती हैं वे भी कमजोर होती जाती है. शरीर में लचक कम होती चली जाती है.
-
मृत्यु का विज्ञान
कोशिकाओं का बदलता संसार
जीवित प्राणियों में कोशिकाएं हर वक्त विभाजित होकर नई कोशिकाएं बनाती रहती हैं. यही वजह है कि बचपन से लेकर जवानी तक शरीर विकास करता है. लेकिन उम्र बढ़ने के साथ कोशिकाओं के विभाजन में गड़बड़ी होने लगती है. उनके भीतर का डीएनए क्षतिग्रस्त हो जाता है और नई कमजोर या बीमार कोशिकाएं पैदा होती हैं.
-
मृत्यु का विज्ञान
बीमारियों का जन्म
गड़बड़ डीएनए वाली कोशिकाएं कैंसर या दूसरी बीमारियां पैदा होती हैं. हमारे रोग प्रतिरोधी तंत्र को इसका पता नहीं चल पाता है, क्योंकि वो इस विकास को प्राकृतिक मानता है. धीरे धीरे यही गड़बड़ियां प्राणघातक साबित होती हैं.
-
मृत्यु का विज्ञान
लापरवाही से बढ़ता खतरा
आराम भरी जीवनशैली के चलते शरीर मांसपेशियां विकसित करने के बजाए जरूरत से ज्यादा वसा जमा करने लगता है. वसा ज्यादा होने पर शरीर को लगता है कि ऊर्जा का पर्याप्त भंडार मौजूद है, लिहाजा शरीर के भीतर हॉर्मोन संबंधी बदलाव आने लगते हैं और ये बीमारियों को जन्म देते हैं.
-
मृत्यु का विज्ञान
शट डाउन
प्राकृतिक मौत शरीर के शट डाउन की प्रक्रिया है. मृत्यु से ठीक पहले कई अंग काम करना बंद कर देते हैं. आम तौर पर सांस पर इसका सबसे जल्दी असर पड़ता है. स्थिति जब नियंत्रण से बाहर होने लगती है तो दिमाग गड़बड़ाने लगता है.
-
मृत्यु का विज्ञान
आखिरकार मौत
सांस बंद होने के कुछ देर बाद दिल काम करना बंद कर देता है. धड़कन बंद होने के करीब चार से छह मिनट बाद मस्तिष्क ऑक्सीजन के लिए छटपटाने लगता है. ऑक्सीजन के अभाव में मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं. मेडिकल साइंस में इसे प्राकृतिक मृत्यु या प्वाइंट ऑफ नो रिटर्न कहते हैं.
-
मृत्यु का विज्ञान
मृत्यु के बाद
मृत्यु के बाद हर घंटे शरीर का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस गिरने लगता है. शरीर में मौजूद खून कुछ जगहों पर जमने लगता है और बदन अकड़ जाता है.
-
मृत्यु का विज्ञान
विघटन शुरू
त्वचा की कोशिकाएं मौत के 24 घंटे बाद तक जीवित रह सकती हैं. आंतों में मौजूद बैक्टीरिया भी जिंदा रहता है. ये शरीर को प्राकृतिक तत्वों में तोड़ने लगते हैं.
-
मृत्यु का विज्ञान
बच नहीं, सिर्फ टाल सकते हैं
मौत को टालना संभव नहीं है. ये आनी ही है. लेकिन शरीर को स्वस्थ रखकर इसके खतरे को लंबे समय तक टाला जा सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक पर्याप्त पानी पीना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना, अच्छा खान पान और अच्छी नींद ये बेहद लाभदायक तरीके हैं.
रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी
चावल के लिये मशहूर बड़ीसाल गांव में एक दूसरे से सटे कई गहरे तालाब हैं. आम तौर पर लोग इन तालाबों से मछली पकड़ते हैं. वहां नहाते धोते और कपड़े धोते हैं. लेकिन अगर इस दौरान कोई डूबने लगे तो उसे बचाने के इंतजाम नहीं के बराबर हैं. एकाध तालाबों के पास बांस का लट्ठा रखा रहता है, बस.
आंकड़ों के मुताबिक डूबकर मरने वाले बच्चों में सबसे ज्यादा संख्या तालाब में मारे गए बच्चों की है. इनमें से 80 फीसदी तो घर से 20 मीटर की दूरी पर बने तालाब में डूबे.
प्रोजेक्ट में यह बात भी सामने आई कि गांवों में बच्चों की मौत को अल्लाह का ख्वाहिश माना जाता है. मानव विकासशास्त्री फजलुल चौधरी कहते हैं, "ऐसी धारणा है कि डूबना प्राकृतिक चीज है या ईश्वर की मर्जी है और इसे टाला नहीं जा सकता है. हर समुदाय में अलग तरह के अंधविश्वास हैं. कुछ तालाब में शैतान की बात करते हैं तो कुछ कहते हैं तालाब में एक सुंदर फूल उभर आया जो बच्चों को गहराई में ले गया. बाकियों को लगता है कि वहां कोई दिव्य शक्ति है जो खास समय में बच्चों को ललचाती है."
विशेषज्ञों के मुताबिक अंधविश्वास के बजाए अगर लोग बच्चों को अच्छे से तैराकी सिखायें और तालाबों के आस पास बचाव के इंतजाम करें तो हजारों जाने बचाई जा सकती हैं.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
जबरदस्त फेफड़े
हमारे फेफड़े हर दिन 20 लाख लीटर हवा को फिल्टर करते हैं. हमें इस बात की भनक भी नहीं लगती. फेफड़ों को अगर खींचा जाए तो यह टेनिस कोर्ट के एक हिस्से को ढंक देंगे.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
ऐसी और कोई फैक्ट्री नहीं
हमारा शरीर हर सेकंड 2.5 करोड़ नई कोशिकाएं बनाता है. साथ ही, हर दिन 200 अरब से ज्यादा रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है. हर वक्त शरीर में 2500 अरब रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं. एक बूंद खून में 25 करोड़ कोशिकाएं होती हैं.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
लाखों किलोमीटर की यात्रा
इंसान का खून हर दिन शरीर में 1,92,000 किलोमीटर का सफर करता है. हमारे शरीर में औसतन 5.6 लीटर खून होता है जो हर 20 सेकेंड में एक बार पूरे शरीर में चक्कर काट लेता है.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
धड़कन, धड़कन
एक स्वस्थ इंसान का हृदय हर दिन 1,00,000 बार धड़कता है. साल भर में यह 3 करोड़ से ज्यादा बार धड़क चुका होता है. दिल का पम्पिंग प्रेशर इतना तेज होता है कि वह खून को 30 फुट ऊपर उछाल सकता है.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
सारे कैमरे और दूरबीनें फेल
इंसान की आंख एक करोड़ रंगों में बारीक से बारीक अंतर पहचान सकती है. फिलहाल दुनिया में ऐसी कोई मशीन नहीं है जो इसका मुकाबला कर सके.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
नाक में एंयर कंडीशनर
हमारी नाक में प्राकृतिक एयर कंडीशनर होता है. यह गर्म हवा को ठंडा और ठंडी हवा को गर्म कर फेफड़ों तक पहुंचाता है.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
400 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार
तंत्रिका तंत्र 400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से शरीर के बाकी हिस्सों तक जरूरी निर्देश पहुंचाता है. इंसानी मस्तिष्क में 100 अरब से ज्यादा तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
जबरदस्त मिश्रण
शरीर में 70 फीसदी पानी होता है. इसके अलावा बड़ी मात्रा में कार्बन, जिंक, कोबाल्ट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, निकिल और सिलिकॉन होता है.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
बेजोड़ झींक
झींकते समय बाहर निकले वाली हवा की रफ्तार 166 से 300 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. आंखें खोलकर झींक मारना नामुमकिन है.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
बैक्टीरिया का गोदाम
इंसान के वजन का 10 फीसदी हिस्सा, शरीर में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होता है. एक वर्ग इंच त्वचा में 3.2 करोड़ बैक्टीरिया होते हैं.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
ईएनटी की विचित्र दुनिया
आंखें बचपन में ही पूरी तरह विकसित हो जाती हैं. बाद में उनमें कोई विकास नहीं होता. वहीं नाक और कान पूरी जिंदगी विकसित होते रहते हैं. कान लाखों आवाजों में अंतर पहचान सकते हैं. कान 1,000 से 50,000 हर्ट्ज के बीच की ध्वनि तरंगे सुनते हैं.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
दांत संभाल के
इंसान के दांत चट्टान की तरह मजबूत होते हैं. लेकिन शरीर के दूसरे हिस्से अपनी मरम्मत खुद कर लेते हैं, वहीं दांत बीमार होने पर खुद को दुरुस्त नहीं कर पाते.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
मुंह में नमी
इंसान के मुंह में हर दिन 1.7 लीटर लार बनती है. लार खाने को पचाने के साथ ही जीभ में मौजूद 10,000 से ज्यादा स्वाद ग्रंथियों को नम बनाए रखती है.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
झपकती पलकें
वैज्ञानिकों को लगता है कि पलकें आंखों से पसीना बाहर निकालने और उनमें नमी बनाए रखने के लिए झपकती है. महिलाएं पुरुषों की तुलना में दोगुनी बार पलके झपकती हैं.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
नाखून भी कमाल के
अंगूठे का नाखून सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ता है. वहीं मध्यमा या मिडिल फिंगर का नाखून सबसे तेजी से बढ़ता है.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
तेज रफ्तार दाढ़ी
पुरुषों में दाढ़ी के बाल सबसे तेजी से बढ़ते हैं. अगर कोई शख्स पूरी जिंदगी शेविंग न करे तो दाढ़ी 30 फुट लंबी हो सकती है.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
खाने का अंबार
एक इंसान आम तौर पर जिंदगी के पांच साल खाना खाने में गुजार देता है. हम ताउम्र अपने वजन से 7,000 गुना ज्यादा भोजन खा चुके होते हैं.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
मजे के लिए सेक्स
सिर्फ इंसान और डॉल्फिन मछली ही मजे के लिए सेक्स करते हैं. बाकी जीव बच्चे पैदा करने के लिए सेक्स करते हैं.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
बाल गिरने से परेशान
एक स्वस्थ इंसान के सिर से हर दिन 80 बाल झड़ते हैं.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
सपनों की दुनिया
इंसान दुनिया में आने से पहले ही यानी मां के गर्भ में ही सपने देखना शुरू कर देता है. बच्चे का विकास वसंत में तेजी से होता है.
-
अद्भुत है इंसान का शरीर
नींद का महत्व
नींद के दौरान इंसान की ऊर्जा जलती है. दिमाग अहम सूचनाओं को स्टोर करता है. शरीर को आराम मिलता है और रिपेयरिंग का काम भी होता है. नींद के ही दौरान शारीरिक विकास के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स निकलते हैं.
रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी