एक क्रोशियाई अखबार में गुरुवार को छपे इंटरव्यू में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के हवाले से ऐसा कहा गया है. यह इंटरव्यू अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के उस बयान के पहले हुआ, जिसमें उन्होंने असद पर देश में जहरीली गैस के हमले करवाने की आलोचना की थी और इसे सभी सीमाओं को पार करना बताया था. इस इंटरव्यू में असद से उत्तर-पश्चिमी सीरियाई शहर पर किये गये रासायनिक हमले से जु़ड़ा कोई सवाल नहीं पूछा गया था. असद सरकार इस गैस हमले में अपनी भूमिका को नकारती आयी है.
सीरिया में संघर्ष छिड़े हुए छह साल से भी अधिक समय बीत चुका है. गुरुवार को छपे इस इंटरव्यू में असद ने सीरिया में अपनी जीत को लेकर काफी आत्मविश्वास का परिचय दिया. असद ने विद्रोहियों को पूरी तरह हराने और उनसे निपटने के अपने लक्ष्य को दोहराया और कहा, "किसी भी हाल में हमारे पास जीतने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. अगर हम यह युद्ध नहीं जीत पाये तो सीरिया का नक्शे से नामो निशान ही मिट जायेगा. इसीलिये हमारे पास युद्ध करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है."
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अलेप्पो युद्ध की टाइम लाइन
युद्ध से पहले अलेप्पो
बशर अल असद के पिता हाफिज अल असद ने बड़ी सख्ती से सीरिया पर शासन किया. हाफिज ने जुलाई 2000 में जब सत्ता की कमान बेटे को सौंपी तो लोगों को लगा कि अब राजनीतिक और आर्थिक सुधार होंगे.
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2011: हिंसा की शुरुआत
लेकिन बशर ने भी विरोधियों को ठिकाने लगाने का पुराना सिलसिला जारी रखा. इसके लिए उन्होंने सेना की मदद ली. विरोध करने वालों पर बर्बरता से बल प्रयोग करने के बाद उनके खिलाफ गुस्सा बढ़ता गया.
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2012: विद्रोहियों के नियंत्रण में अलेप्पो
साल के शुरुआत में विद्रोहियों ने पश्चिमोत्तर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया. जुलाई में प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई गईं, इसी दौरान विद्रोहियों ने शहर के गरीब इलाके पूर्वी अलेप्पो को अपने नियंत्रण में ले लिया.
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2013: विद्रोहियों की ताकत बढ़ी
22 फरवरी को अलेप्पो के अल खातेर्ची जिले में सेना ने राष्ट्रपति के विरोध में जुटे प्रदर्शनकारियों पर हवाई बमबारी की. हमा और अलेप्पो को जोड़ने वाला हाइवे सेना के हाथ से निकल गया. सरकार अलेप्पो तक पहुंच बरकरार रखने के लिए वैकल्पिक सप्लाई लाइन की खातिर लड़ती रही.
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उमायद मस्जिद तबाह
अप्रैल 2013 में अलेप्पो की उमायद मस्जिद तबाह हो गई. विद्रोहियों और सेना की जंग में 8वीं से 13वीं शताब्दी के बीच बनी यह ऐतिहासिक इमारत बर्बाद हो गई. नौ महीने की लड़ाई के बाद विद्रोहियों ने शहर के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा कर लिया.
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पहला बैरल बम
दो बच्चों की मौत के बाद रोता एक पिता. सरकार के नियंत्रण वाले पश्चिमी अलेप्पो की सप्लाई चेन विद्रोहियों ने पूरी तरह काट दी. दिसंबर 2013 में अलेप्पो में बैरल बम से पहला हवाई हमला किया गया.
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2014: हवाई हमलों में इजाफा
जमीन पर सप्लाई लाइन क्लीयर न होने के बाद सीरिया सरकार ने हवाई हमलों का सहारा लिया. 2014 में बड़ी मात्रा में लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों से विद्रोही इलाकों में हमले किए गए.
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2015: रूस का दखल
यह तस्वीर मार्च 2015 की है. इसमें देखा जा सकता है कि रास्ते बंद करने के लिए वहां कैसे रेत की बोरियों का इस्तेमाल किया. पश्चिमोत्तर सीरिया में भी इस साल विद्रोहियों ने बढ़त बना ली. इससे सरकार दबाव में आ गई.
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पुतिन और असद की मुलाकात
20 अक्टूबर 2015 को सीरियाई राष्ट्रपति ने मॉस्को जाकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की. इस मुलाकात के कुछ ही दिनों बाद सीरिया पर रूस ने पहला हवाई हमला किया. रूस के विदेश मंत्री ने साफ किया कि मॉस्को असद के समर्थन में खड़ा रहेगा.
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2016: अलेप्पो सीज और बमबारी शुरू
रूसी भोजन सहायता पाने की कोशिश करते सीरियाई. बैग पर रूसी और अरबी में लिखा गया है कि "रूस आपके साथ है." जुलाई में पहली बार सेना ने पूर्वी अलेप्पो को पहली बार घेरा. विद्रोहियों ने जबावी हमला कर इस घेरे को तोड़ दिया.
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अलेप्पो को खाली कराने की प्रक्रिया
सिलसिलेवार बमबारी की चपेट में कई स्कूल और अस्पताल भी आए. इसी दौरान सीरिया की सरकार ने लोगों ने पूर्वी अलेप्पो खाली करने की अपील की. 13 दिसंबर को विद्रोहियों ने युद्ध विराम संधि स्वीकार की. अगले दिन से लोगों को निकालने का काम शुरू हुआ.
गुरुवार को हुये जहरीले गैस हमले में 30 बच्चों समेत 80 से अधिक लोगों की जान चली गयी है. सीरिया के सहयोगी रूस का कहना है कि ये मौतें एक हथियार डिपो से रसायनों के रिसाव के कारण हुई थीं, जहां विद्रोहियों ने रासायनिक हथियार छुपा रखे थे. हालांकि विद्रोहियों ने इससे इनकार किया है.
सीरिया और सहयोगियों पर इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव काफी बढ़ गया है. फ्रांस और अन्य देश इसे यूएन सुरक्षा परिषद में ले गए तो वहीं तुर्की ने सीधे सीधे सीरिया सरकार पर हमले का आरोप लगाया है.
एए/आरपी (रॉयटर्स,एएफपी)