पिछले साल उम्मीदें आसामन पर थीं. गुजरात में 12 साल तक मुख्यमंत्री के रूप में तेज विकास करवाने वाले नरेंद्र मोदी और उनकी बीजेपी पार्टी को भारत का चेहरा बदलने की जिम्मेदारी मिली. क्या प्रधानमंत्री मोदी अपने वादों को पूरा करने और मजबूत अर्थव्यवस्था की नींव रखने में कामयाब रहे हैं? पार्टियों के अलावा इस पर अर्थशास्त्रियों की भी राय विभाजित है.
पिछले एक साल में नरेंद्र मोदी ने भारत की आर्थिक नीति को बदलने और उसे बिजनेस फ्रेंडली बनाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं. मोदी के कदमों को आम तौर पर उद्योग जगत और बाजार का समर्थन मिला है, लेकिन बहुत से लोग इसे पर्याप्त नहीं मानते. दूसरी ओर किसानों से जमीन लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने की सरकार की कोशिशों का कड़ा विरोध हो रहा है. खराब मौसम में फसलों के बर्बाद होने के कारण किसानों की आत्महत्याओं में वृद्धि हुई है और सरकार को किसान विरोधी समझा जाने लगा है.
विशेषज्ञों की राय में मोदी सरकार की एक बड़ी सफलता पड़ोसी देशों और दुनिया की प्रमुख राजधानियों में भारत के बारे में भावनाओं को सुधारने में रही है. एक साल में उन्होंने 18 देशों की यात्रा की है और मेक इन इंडिया अभियान की वकालत की है ताकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत बनाकर रोजगार के अवसर बनाए जा सकें. कारनेगी संस्थान की मिलन वैश्नव कहती हैं, "मोदी ने ऊर्जा के साथ सरकारों, निवेशकों और भारतीय समुदाय को यह बताने के लिए दुनिया भर की सैर की है कि भारत वापस हो गया है." साथ ही उन्होंने एशियाई पड़ोसियों को लुभाते हुए लुक ईस्ट नीति को एक्ट ईस्ट में बदल दिया है.
सरकार और विपक्ष
केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन और तेज फैसला लेने को मोदी सरकार के एक वर्ष की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया है. उन्होंने आर्थिक सुधारों की दिशा में लगातार कदम बढ़ाने और सरल कारोबारी माहौल बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है. मोदी सरकार के एक साल का लेखा जोखा पेश करते हुए जेटली ने कहा कि सेवाकर और भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक पारित कराना सरकार की प्राथमिकता है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर देश की तरक्की और विकास में रोड़े अटकाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि दोनों विधेयक उसकी वजह से ही लटके हैं.
इसके उलट विपक्षी कांग्रेस ने सरकार के एक साल के कामकाज को किसान, मजदूर तथा गरीब विरोधी और बड़े उद्योगपतियों के हित में करार देते हुए आरोप लगाया कि ‘न्यूनतम सरकार तथा अधिकतम सुशासन' की बात करने वाली सरकार के सारे फैसले प्रधानमंत्री कार्यालय से हो रहे हैं. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस सरकार ने अपने कार्यकाल के पहले साल सिर्फ किसान और गरीब विरोधी निर्णय लिए हैं और जन सामान्य के हितों के वादों से ‘यू टर्न' लिया है. उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक पर भाजपा का जो रुख विपक्ष में था सत्ता में आते ही वह बदल गया. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने इस कानून में बदलाव करने का फैसला कॉरपोरेट जगत को भूमि उपलब्ध कराने के अपने वादे को पूरा करने के लिए किया है.
उद्योग जगत की वाह वाह
विपक्ष के विपरीत उद्योग जगत ने मोदी सरकार के एक साल के कार्यकाल की जमकर सराहना की है. भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई के अध्यक्ष सुमित मजुमदार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि इस सरकार ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, इससे पहले की कोई भी सरकार पहले वर्ष में ऐसी उपलब्धि हासिल नहीं कर पाई. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालते ही आर्थिक सुधारों की गति काफी तेज हुई, सरकार की विश्वसनीयता बढ़ी और उनके बेहतर गवर्नेंस और सरल टैक्स तंत्र की बदौलत निवेशकों की धारणा मजबूत हुई है.
वाणिज्य एवं उद्योग संगठन फिक्की की अध्यक्ष डा. ज्योत्सना सूरी ने कहा, “सरकार द्वारा पिछले एक वर्ष में आर्थिक सुधारों के लिए किए गए प्रयास से हम खासे उत्साहित हैं. इस दौरान सरकार अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदलने के साथ ही दीर्घकाल में उच्च विकास दर हासिल करने की नींव रखने में कामयाब रही है.” उन्होंने कहा कि एक साल के कार्यकाल में सरकारी सेवाओं की बेहतर डिलीवरी, विकास, निवेश और रोजगार सृजन के लिए माहौल बनाने, लोगों तक वित्तीय सुविधाओं की पहुंच आसान बनाने, महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देने, अंतरराष्ट्रीय संबंध मजबूत बनाने की रणनीति के साथ ही महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और स्मार्ट सिटी से देश का आधुनिक और प्रगतिशील अर्थव्यवस्था में रुपांतरण हुआ है.
एमजे/एसएफ (वार्ता)
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भूटान
जून 2014 में बतौर प्रधानमंत्री अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए मोदी ने भूटान को चुना. पड़ोसी देश भूटान के साथ भारत के दशकों से अच्छे संबंध रहे हैं.
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ब्राजील
इसके बाद जुलाई में मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मलेन के लिए ब्राजील पहुंचे. यहां चीन, ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्षों से उनकी मुलाकात हुई.
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नेपाल
अगस्त 2014 में मोदी नेपाल पहुंचे. संसद में भाषण देने के बाद वे पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन करने पहुंचे. नवंबर में वे सार्क शिखर सम्मलेन के लिए एक बार फिर नेपाल आए. नेपाल एकमात्र ऐसा देश है जहां प्रधानमंत्री मोदी दो बार जा चुके हैं.
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जापान
अगस्त के अंत ने मोदी ने जापान का दौरा किया. राजधानी टोक्यो के अलावा वे क्योटो भी गए और दो बुद्ध मंदिरों के दर्शन करने भी पहुंचे.
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अमेरिका
सितंबर में मोदी ने अमेरिका का रुख किया, जहां ना केवल उन्होंने राष्ट्रपति ओबामा से मुलाकात की, बल्कि संयुक्त राष्ट्र महासभा को भी संबोधित किया. अमेरिका में मोदी का किसी रॉकस्टार जैसा स्वागत हुआ.
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म्यांमार
अक्टूबर में मोदी भारत में ही रहे लेकिन नवंबर में उनके कई दौरे हुए. म्यांमार में वे आसियान शिखर सम्मलेन के लिए पहुंचे. यहां से वे ऑस्ट्रेलिया, फिर फिजी और उसके बाद नेपाल गए.
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ऑस्ट्रेलिया
मोदी 28 साल में पहली बार ऑस्ट्रेलिया पहुंचने वाले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. यहां उन्होंने जी20 शिखर सम्मलेन में शिरकत की और सिडनी क्रिकेट ग्राउंड भी गए.
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श्रीलंका
दिसंबर और जनवरी भी मोदी का समय घर पर ही बीता. मार्च 2015 में सेशेल्स और मॉरिशस होते हुए वे श्रीलंका पहुंचे. 1987 में राजीव गांधी के बाद श्रीलंका जाने वाले वे पहले प्रधानमंत्री हैं. मार्च के अंत में वे सिंगापुर भी गए.
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फ्रांस
अप्रैल में मोदी तीन देशों की यात्रा पर निकले. सबसे पहले फ्रांस में उन्होंने राफाल लड़ाकू विमानों का सौदा तय किया. फ्रेंच स्पेस एजेंसी में उन्होंने भारतीय छात्रों के साथ सेल्फी ली.
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जर्मनी
इसके बाद वे जर्मनी पहुंचे जहां उन्होंने चांसलर अंगेला मैर्केल के साथ हनोवर मेले का उद्घाटन किया. राजधानी बर्लिन में उन्होंने जर्मनी में रह रहे भारतीयों को संबोधित किया. यहां से वे कनाडा गए.
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चीन
मई में मोदी ने एक और तीन देशों का दौरा किया. चीन के म्यूजियम में चश्मा लगाए पुतलों के बीच खड़े मोदी की तस्वीरों ने सबका ध्यान खींचा. मोदी ने अपना दौरा राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शहर शियान से शुरू किया.
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दक्षिण कोरिया
चीन के बाद वे मंगोलिया और फिर दक्षिण कोरिया पहुंचे. दक्षिण कोरिया के साथ उन्होंने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
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बांग्लादेश
जून की शुरुआत में मोदी बांग्लादेश पहुंचे. प्रधानमंत्री शेख हसीना के अलावा वे राष्ट्रपति अब्दुल हामिद से भी मिले. इस दौरान मोदी की शेख हसीना पर महिला होने "के बावजूद" सफल होने की टिप्पणी आलोचनाओं में घिरी रही.
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रूस
जुलाई में वे रूस और पांच अन्य एशियाई देशों का दौरे पर गए. इनमें कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. मोदी ने रूस में सातवें ब्रिक्स सम्मलेन में भाग लिया.
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यूएई
अगस्त के मध्य में प्रधानमंत्री ने संयुक्त अरब अमीरात का दो दिवसीय दौरा किया. यात्रा के पहले दिन वे शेख जायद मस्जिद गए. यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद है. माना जाता है कि मोदी ने जीवन में संभवत: पहली बार किसी मस्जिद में कदम रखा.
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संयुक्त राष्ट्र
सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने जी-4 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया. यह ब्राजील, जापान, जर्मनी का भारत का संगठन है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के दावेदार हैं.
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ब्रिटेन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चिरप्रतीक्षित ब्रिटेन दौरा. इस दौरे पर प्रधानमंत्री ने महारानी एलिजाबेथ और शाही परिवार के साथ भोजन किया, प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ बातचीत की और बेंबली स्टेडियम में भारतीय मूल के हजारों लोगों को संबोधित किया.
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तुर्की
तुर्की के अंताल्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया. इस सम्मेलन को मुख्यतः पर्यावरण सम्मेलन होना था लेकिन पेरिस पर आतंकी हमले के बाद मुख्य ध्यान आतंकवाद और आईएस से लड़ने पर रहा.
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अब आगे क्या?
अमेरिका, ब्रिटेन और तुर्की के बाद रिपोर्टों के अनुसार नवंबर में ही प्रधानमंत्री मोदी की इस्राएल, फलीस्तीन और सिंगापुर जाने की भी योजना है.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया