फ्रांस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आलेक्सांद्रे जॉर्जिनी ने बयान में कहा, "रविवार को अल्जीरिया के तिजी ओजू इलाके में फ्रांस के एक निवासी का अपहरण कर लिया गया है. यह व्यक्ति वहां छुट्टी मनाने गया था." मंत्रालय की इस घोषणा के बाद इंटरनेट पर अपहृत व्यक्ति का वीडियो रिलीज हुआ. विदेश मंत्री लॉराँ फाबियस ने वीडियो की पुष्टि करते हुए कहा है कि वीडियो में दिखने वाला व्यक्ति फ्रांस का निवासी ऐर्वे गोर्दल है. न्यूयॉर्क में पत्रकारों से बात करते हुए विदेश मंत्री ने इसे "बेहद नाजुक" स्थिति बताते हुए कहा, "दुर्भाग्यवश हमें इस वीडियो की पुष्टि करनी पड़ रही है."
वीडियो में अपहृत व्यक्ति अपना नाम, उम्र और जन्म तिथि बताता हुआ नजर आ रहा है. उसने बताया कि वह 20 सितंबर को अल्जीरिया पहुंचा और अगले ही दिन उसका अपहरण कर लिया गया. अल्जीरिया के एक कट्टरपंथी संगठन जुंद अल खिलीफा ने इस वीडियो की जिम्मेदारी ली है. संगठन खुद को इस्लामिक स्टेट की शाखा बताता है.
वीडियो में ऐर्वे गोर्दल को फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद से विनती करते हुए देखा जा सकता है, "मैं जुंद अल खिलीफा के हाथों में हूं. यह एक अल्जीरियाई संगठन है. ये लोग मुझसे मांग कर रहे हैं कि मैं आपसे कहूं कि आप इराक में हस्तक्षेप ना करें. इन लोगों ने मुझे बंदी बनाया हुआ है और राष्ट्रपति जी, मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझे इस बुरी स्थिति से निकालने की हर संभव कोशिश करें. इसके लिए मैं आपका शुक्रगुजार रहूंगा." वीडियो में यह व्यक्ति घुटनों के बल जमीन पर बैठा है और उसके आसपास दो हथियारबंद नकाबपोश खड़े हैं.
फ्रांस ने शुक्रवार को इराक में इस्लामिक स्टेट पर हवाई हमला किया. इस बीच अमेरिका ने सीरिया पर भी हमला कर दिया है. फ्रांस ने साफ किया है कि फिलहाल सीरिया पर हमला करने की उसकी कोई योजना नहीं है. आईएस ने अपने समर्थकों से कहा है कि जो देश संगठन के खिलाफ कदम उठा रहे हैं, वहां के देशवासियों पर हमला करने के लिए तैयार रहें. इस बयान में फ्रांस को खास तौर पर धमकी दी गयी है.
वहीं फ्रांस ने इसके जवाब में कहा है कि इन धमकियों से उसकी नीतियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. गृह मंत्री बेर्नार्ड काजानेयोव ने कहा, "फ्रांस को किसी बात का डर नहीं है क्योंकि फ्रांस इन धमकियों के जवाब के लिए तैयार है." इराक और सीरिया के कई हिस्सों पर आईएस ने कब्जा जमाया हुआ है. वहीं अल्जीरिया में इसके अलावा अल कायदा की एक शाखा भी सक्रिय है.
आईबी/एएम (एपी, रॉयटर्स)
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सबसे बड़े संघर्ष
शांति का नाम नहीं
चाहे धार्मिक कट्टरपंथ हो, या प्राकृतिक संसाधनों की तलाश या सिर्फ ताकत की भूख. हजारों साल से मनुष्य आपस में संघर्ष करते आ रहे हैं. 2013 में भी ऐसे ही हालात रहे. जर्मन शहर हाइडेलबर्ग की एक संस्था ने संघर्ष मापने का तरीका (कॉन्फ्लिक्ट बैरोमीट) निकाला है.
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कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य
कीवू में सेना ने एम23 विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई की. सरकार के साथ समझौते के बाद विद्रोही आपस में बंट गए. 2013 में सरकार ने विद्रोहियों पर विजयी होने का एलान किया. एम23 अब राजनीतिक स्तर पर काम करना चाहता है.
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माली
पश्चिम अफ्रीका के इस देश में इस्लामी कट्टरपंथी सत्ता हड़पने की कोशिश कर रहे हैं. 2012 में उन्होंने देश का काफी हिस्सा अपने कब्जे में कर लिया. फ्रांस ने माली की सरकार की मदद करने अपने सैनिक भेजे और इस्लामी कट्टरपंथियों पर हावी हुए. संयुक्त राष्ट्र के सैनिक अब वहां शांति कायम करने पहुंचे हैं.
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नाइजीरिया
इस्लामी आतंकवादी गुट बोको हराम नाइजीरिया में शरीया कानून लागू करना चाहता है. इस मकसद को पाने के लिए वह ईसाइयों और उदारवादी मुसलमानों पर हमला करता है. इस तस्वीर में ईसाई समुदाय के लोग एक हमले के बाद अपने रिश्तेदारों के लिए कब्र खोद रहे हैं.
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सूडान
दस साल से अफ्रीका के अलग अलग नस्ल दारफूर इलाके में सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं. लड़ाई पानी और जमीन को लेकर है. लाखों की मौत हो गई है और उतने ही लोग बेघर हैं.
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अफगानिस्तान
नाटो ने स्थानीय सेना को नियंत्रण सौंप दिया है लेकिन अफगानिस्तान में संघर्ष जारी है. तालिबान और इस्लामी गुटों के विद्रोही सरकार पर हमला करते हैं. 2013 में 2000 से ज्यादा आम लोग इन हमलों में मारे गए.
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मेक्सिको
ड्रग्स, मानव तस्करी और स्मगलिंग. मेक्सिको में माफिया इसी से पैसे कमाती है. अपना इलाका सुरक्षित करने के लिए गैंग एक दूसरे से लड़ते हैं. हर हफ्ते मुठभेड़ होती हैं. पिछले साल करीब 17,000 लोग ऐसे हादसों में मारे गए.
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सीरिया
गृह युद्ध का यह चौथा साल है. सीरिया सरकारी सैनिकों, विपक्ष और इस्लामी कट्टरपंथी गुटों के बीच बंट गया है. अब तक करीब एक लाख लोग संघर्ष में अपनी जान खो बैठे हैं.
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फिलिपींस
40 साल से फिलिपींस के दक्षिण में मोरो समुदाय के लोग आजादी के लिए लड़ रहे हैं. कुछ दिनों की शांति के बाद 2013 में संघर्ष दोबारा शुरू हुआ. मोरो विद्रोही संगठन एमएनएलएफ ने देश के दक्षिण में द्वीपों को आजाद घोषित कर दिया. सेना और विद्रोहियों की लड़ाई के बीच फंसे एक लाख से ज्यादा लोगों को इलाका छोड़कर भागना पड़ा.
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सोमालिया
सरकार और अल शबाब विद्रोहियों के बीच लड़ाई पिछले आठ साल से चल रही है. संयुक्त राष्ट्र और अफ्रीकी संघ के सैनिकों की मदद से इस्लामी कट्टपंथियों को काबू में रखा गया है लेकिन अल शबाब के लड़ाके अब भी देश के दक्षिणी हिस्से में कब्जा किए हुए हैं.
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दक्षिण सूडान
नए देश के गठन होने के तीन साल बाद भी दक्षिण सूडान में शांति स्थापित नहीं हो पाई है.
रिपोर्ट: मिषाएल हार्टलेप/ मानसी गोपालकृष्णन