मजरूह सुल्तानपुरी आजमगढ़ के निजामाबाद में पैदा हुए जहां उनके पिता पुलिस में काम करते थे. वह नहीं चाहते थे कि उनके बेटे को अंग्रेजी में तालीम दी जाए इसलिए उन्हें मदरसा भेजा गया जहां उन्होंने अरबी और फारसी सीखी.
उसके बाद मजरूह लखनऊ के तकमील उत तिब यूनानी कॉलेज में दाखिल हुए और हकीम के तौर पर पैसे कमाने की कोशिश करने लगे. इसी दौरान सुल्तानपुर में उन्होंने एक मुशायरे में अपनी गजल पेश की. उनकी यह गजल इतनी मशहूर हुई की उन्होंने अपनी हकीम की दुकान बंद कर केवल गजल लिखने का फैसला किया.
यादों की बारात, तीसरी मंजिल, हम किसी से कम नहीं, कयामत से कयामत तक और जो जीता वही सिकंदर जैसे फिल्मों में गीतों के बोल मजरूह ने ही दिए. मजरूह को वैसे तो हिन्दी फिल्मों में गीत लिखने के लिए जाना जाता हैं लेकिन उनकी कविताएं भी बहुत मशहूर हुईं. मजरूह की मौत साल 2000 में मुंबई में हुई.
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मिसाल बनी कोंचीटा वुर्स्ट
जीते लाखों दिल
यूरोविजन प्रतियोगिता भले ही कोपनहेगन में हुई हो, लेकिन मंच पर खड़ी कोंचीटा को गाते हुए 45 देशों के 18 करोड़ लोगों ने देखा. दाढ़ी वाली इस लड़की ने सबका दिल जीत लिया.
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मिसाल बनी कोंचीटा वुर्स्ट
वियना में
वियना लौट कर जब उन्होंने अपना पहला कंसर्ट दिया तो दस हजार लोग उन्हें देखने के लिए जमा हुए. ऑस्ट्रिया के चांसलर वैर्नर फेमन ने उन्हें सहनशीलता, प्रेम और हर्ष का प्रतीक बताया.
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मिसाल बनी कोंचीटा वुर्स्ट
गायक या मॉडल?
कोंचीटा अपने फैंस का मन लुभाना जानती हैं. सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव कोंचीटा हर रोज अपनी तस्वीरें अपलोड करती हैं. इस बीच फेसबुक पर उनके सात लाख और ट्विटर पर एक लाख से ज्यादा फॉलोअर हैं.
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मिसाल बनी कोंचीटा वुर्स्ट
कौन है कोंचीटा?
कोंचीटा दरअसल एक 25 साल का समलैंगिक युवक है जिसका असली नाम थोमस नॉयविर्थ है. 2007 से उसने कई संगीत प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया लेकिन सफलता न मिलने पर कोंचीटा का किरदार रचा.
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मिसाल बनी कोंचीटा वुर्स्ट
कैमरे के लिए
कोंचीटा को पता है कि कैमरे को क्या पसंद है. इतने साल स्ट्रगल के दौरान वह देख चुकी है कि साधारण होना कैमरे के लिए काफी नहीं. इसलिए वह हमेशा ऐसे हाव भाव देती है जो लोगों का ध्यान खींचे
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मिसाल बनी कोंचीटा वुर्स्ट
नाम में क्या रखा है
नाम 'वुर्स्ट' रखने के पीछे भी एक वजह है. जर्मन कहावत 'एस इस्ट मीयर वुर्स्ट' का मतलब होता है 'मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता'. कोंचीटा यही दिखाना चाहती हैं कि उन्हें सामाजिक धारणाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता.
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मिसाल बनी कोंचीटा वुर्स्ट
दो दिल
कोंचीटा का कहना है कि उनके सीने में दो दिल धड़कते हैं, एक टॉम का और एक कोंचीटा का. वह चाहती हैं कि दुनिया दोनों का सम्मान करे
रिपोर्ट: ईशा भाटिया