इस्लामिक स्टेट का पहले जितना इलाका था, वो अब सिमट कर लगभग आधा रह गया है और एक खिलाफत कायम करने का उसका सपना भी बिखर रहा है. जिस पैसे के दम पर इस्लामिक स्टेट को ताकत मिली, उसके स्रोत अब सूख रहे हैं. ऐसे में, वो अपहरण और फिरौती जैसे आपराधिक कामों की तरफ बढ़ रहा है. अल कायदा की तरह इस्लामिक स्टेट भी विदेशों से चंदा हासिल करना चाहता है.
इन दिनों, इराक में आईएस के सबसे बड़े गढ़ मोसुल में इराकी सेना अभियान चला रही है. ऐसे में, तेल और गैस के जिन भंडारों से आईएस को 2014 में एक अरब डॉलर की आमदनी हुई थी, उन तक उसकी पहुंच नहीं रही. ये बात अमेरिकी वित्त मंत्रालय में सहायक मंत्री डेनियल ग्लासर ने कही है जो आतंकवाद को मिलने वाली वित्तीय सहायता से जुड़े विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. वह कहते हैं, "आय के सिमटते स्रोतों के कारण आईएस भी उन्हीं हथकंडों का इस्तेमाल करता दिख रहा है जो अल कायदा करता है."
जानिए आईएस के बारे में पांच अहम बातें
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आईएस से जुड़े पांच तथ्य
आईएस में भर्ती
सीरिया और इराक के कुछ हिस्सों पर कब्जा करने वाले इस आतंकी गुट ने 29 जून 2014 को खिलाफत का एलान किया. तब से अब तक संगठन ने अपनी संख्या बढ़ाने में बड़ी कामयाबी पाई है. रिपोर्टों के मुताबिक 2011 से अब तक आईएस में 90 देशों से 20,000 से ज्यादा लोग भर्ती हुए हैं.
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आईएस से जुड़े पांच तथ्य
इतिहास को नुकसान
सीरिया में कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जगहों को आईएस ने भारी नुकसान पहुंचाया है. ऐतिहासिक इमारतों और संग्रहालयों में लूटपाट की घटनाएं सामने आई हैं. आईएस ने इनसे मिली रकम का इस्तेमाल खुद को मजबूत करने में किया है.
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आईएस से जुड़े पांच तथ्य
कत्लेआम
आईएस की क्रूरता किसी से छुपी नहीं है. आईएस की ओर से अक्सर जारी किए जाने वाले वीडियो उसके जुल्म की गवाही देते हैं. लोगों का सिर कलम कर देना, गर्दन रेत देना या जिंदा जला देना इनके आम कुकृत्य हैं.
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आईएस से जुड़े पांच तथ्य
तकनीक के जानकार
यह आतंकवादी संगठन आधुनिक दौर में तकनीक की अहमियत समझता है. अपने प्रचार के लिए ये आतंकी गुट सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल करता है. अपने वीडियो बनाने में ये संगीत, एक्शन सीन इत्यादि का इस्तेमाल कर रिलीज करते हैं, जिससे और लोगों को अपने साथ जुड़ने के लिए प्रेरित कर सकें.
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आईएस से जुड़े पांच तथ्य
खर्च
आईएस के पास इतना पैसा है कि वह अपनी आतंकवादी गतिविधियों को आराम से अंजाम दे रहा है. उसने डोनेशन पाने का अपने लिए एक मजबूत तंत्र भी विकसित कर लिया है. आतंकी संगठन धन जुटाने के लिए बंधक बनाता है और ब्लैकमेल भी करता है. कई छोटी बड़ी कंपनियां भी इसका निशाना बनी हैं.
रिपोर्ट: याईएफ/एसएफ
तेल और गैस की बिक्री के अलावा इस्लामिक स्टेट ने पिछले साल इराक में टैक्स और फिरौती के जरिए हर महीने तीन करोड़ डॉलर की रकम हासिल की थी. इराकी सरकार के एक सलाहकार और इस्लामिक स्टेट से जुड़े मामलों पर विशेषज्ञ हिशाम अल-हाशिमी कहते हैं कि इस समय अकेले मोसुल में आईएस को हर महीने टैक्स के जरिए 40 लाख डॉलर मिल रहे हैं. उनका कहना है कि इस्लामिक स्टेट प्रति महीने 600 डॉलर से कम के वेतन पर चार प्रतिशत टैक्स लगाता है जबकि 600 से 1000 डॉलर के बीच मासिक वेतन पर पांच प्रतिशत टैक्स लिया जाता है.
बैंक डकैती इस्लामिक स्टेट की आमदनी का तीसरा बड़ा जरिया है. 2014 में जब आईएस ने मोसुल पर कब्जा किया था तो वहां के सरकारी बैंकों में 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा की रकम थी. ग्लासर का कहना है कि अब इस्लामिक स्टेट को आर्थिक किल्लत का सामना करना पड़ा रहा है. उसके लड़ाकों के वेतनों में कटौती हो रही है. इस्लामिक स्टेट की राजधानी कहे जाने वाले सीरियाई शहर रक्का समेत कई इलाकों में आईएस लड़ाकों के वेतन में 50 फीसदी तक की कटौती की गई है. आईएस ने एक आंतरिक करप्शन एजेंसी भी कायम है जिससे वहां भ्रष्टाचार होने के बारे में भी इशारा मिलता है.
देखिए आईएस के कितने नाम हैं
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आईसिस, आईसिल, आईएस या दाएश?
आईएसआई
आज जिसे इस्लामिक स्टेट के नाम से जाना जाता है, दरअसल उसकी शुरुआत अल कायदा से हुई. 2006 में इराक में मौजूद अल कायदा ने खुद को इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक का नाम दिया. तब यह आईएसआई कहलाया.
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आईसिस, आईसिल, आईएस या दाएश?
आईसिस
फिर 2013 में संगठन अल कायदा से अलग हो गया और इसके लीडर अबु बक्र अल बगदादी ने नाम के आगे "अल-शाम" भी जोड़ दिया. तब यह इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड अल-शाम कहलाया. अंग्रेजी में इसे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया यानि आईसिस कहा जाने लगा.
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आईसिस, आईसिल, आईएस या दाएश?
क्या है अल-शाम?
अरबी भाषा में सीरिया को शाम कहा जाता है. हालांकि "अल शाम" एक बेहद पुराना शब्द है जो सीरिया, लेबनान, इस्राएल, फलीस्तीन और जॉर्डन को एक साथ संबोधित करता है.
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आईसिस, आईसिल, आईएस या दाएश?
आईसिल
भूमध्यसागर के करीब जिस इलाके को अरबी में अल-शाम कहा जाता है, लगभग उसी को अंग्रेजी में लैवेंट पुकारा जाता है. यहीं से एक नया अनुवाद हुआ और संगठन को अब इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लैवेंट यानि आईसिल कहा जाने लगा.
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आईसिस, आईसिल, आईएस या दाएश?
आईएस
जून 2014 में इस आतंकी संगठन ने घोषणा की कि वह अपने नाम के आगे से इराक और सीरिया हटा रहा है. तब से वह आईएस के नाम से जाना जाने लगा है. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र अब भी आइसिल का प्रयोग करते हैं और फ्रांस दाएश का.
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आईसिस, आईसिल, आईएस या दाएश?
दाएश
दौलत अल इस्लामिया फ-अल इराक वा अल-शाम. अरबी मीडिया आईएस को इस नाम से पुकारता है. इसे छोटा करके बनता है दाईश. फ्रांस समेत कई पश्चिमी देशों ने इसे एक शब्द बना कर दाएश के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला किया है. हालांकि अरबी में दाएश जैसा कोई शब्द नहीं है.
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आईसिस, आईसिल, आईएस या दाएश?
खिलाफत
संगठन का दावा है कि वह एक इस्लामिक खिलाफत स्थापित कर चुका है. संगठन ने अपने नाम के आगे से इराक और सीरिया हटाने का भी यही कारण बताया. इस तर्क से दुनिया की सभी इस्लामी सरकारें नाजायज हैं और केवल आईएस ही सही है.
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आईसिस, आईसिल, आईएस या दाएश?
अल बगदादी
केवल दुनिया की सरकारें ही इस आतंकी संगठन को "इस्लामिक" मानने से इंकार नहीं करतीं, खुद आतंकवादी भी करते हैं. अल कायदा ने इसे अल बगदादी का नाम दिया है और इस्लाम के नाम पर इस संगठन द्वारा की जा रही हरकतों की निंदा भी कर चुका है.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया (एपी)
पेरिस स्थित "सेंटर ऑफ द अनालिसिस ऑफ टेररिज्म" नाम की संस्था का कहना है कि आमदनी में हो रही कमी की भरपाई करने के लिए आईएस फिरौती जैसी आपराधिक गतिविधियों से पैसा बनाने में लग गया है. इसके मुताबिक 2015 में आईएस की आमदनी में फिरौती से मिलने वाली रकम की हिस्सेदारी 33 फीसदी थी जबकि 2014 ये 12 प्रतिशत रही.
सीरिया में इस्लामिक स्टेट का कामकाज पैसे की वजह से प्रभावित हो रहा है. वहां पहले लड़ाकों को अमेरिकी डॉलर में वेतन दिया जाता था लेकिन अब उन्हें सीरियाई पाउंड में तन्ख्वाहें मिल रही हैं. पत्रकार जायद अवद कहते हैं कि इससे पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा तक उनकी पहुंच सिमट रही है. उनका कहना है कि हवाई हमलों के कारण तेल के भंडारों से राजस्व हासिल करना आईएस के लिए लगातार मुश्किल होता जा रहा है.
तुर्की में रहने वाले अवद के मुताबिक, "इन तेल के कुओं से आईएस को हर दिन 20 लाख डॉलर मिल रहे थे. लेकिन उनका इलाका अब घट रहा है इसलिए तुर्की और इराक में उनके लिए बाजार भी सिमट रहा है." यही नहीं, इराकी सरकार ने भी आईएस के इलाकों में रह रहे लोगों के वेतन रोक दिए हैं ताकि आईएस को टैक्स के रूप में मिलने वाले रकम पर शिकंजा कसा जा सके. ग्लासर का कहना है कि इससे आईएस को झटका लगा है. आईएस के इलाकों में रहने वाले लोगों को मिलने वाला सलाना सरकारी वेतन दो अरब डॉलर के आसपास होता है.
आप आईएस के बारे में कितना जातने हैं?
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क्या है आईएस?
क्या है "इस्लामिक स्टेट"?
यह एक सुन्नी आतंकवादी संगठन है जो अल कायदा से अलग हो कर बना है. सीरिया और इराक में निष्फल सरकारों से निपटने के लिए यह संगठन सक्रिय हुआ. इसके झंडे पर लिखा है, "मुहम्मद अल्लाह के रसूल है, अल्लाह के अलावा कोई दूसरा खुदा नहीं है." खुद को इस्लाम का प्रचारक कहने वाला आईएस विरोधियों लोगों की जान लेने में लगा है.
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क्या है आईएस?
कहां सक्रिय है "इस्लामिक स्टेट"?
आईएस अपनी खिलाफत स्थापित करने का उद्देश्य रखता है, एक ऐसी जगह बनाना चाहता है जहां इस्लाम की उसकी बनाई परिभाषा चलेगी और शरिया कानून लागू होगा. सीरिया और इराक में अस्थिरता के कारण आईएस इन दोनों देशों के कुछ इलाकों पर कब्जा करने में कामयाब हो पाया है.
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क्या है आईएस?
अन्य आतंकी संगठनों से यह कैसे अलग है?
आईएस की बर्बरता इसकी सबसे बड़ी पहचान बन गयी है. मासूम लोगों और अपने दुश्मनों को डराने की खातिर इस्लामिक स्टेट ने कई लोगों के सर कलम किए हैं. जिन इलाकों में आईएस का कब्जा है वहां इसी की हुकूमत चलती है.
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क्या है आईएस?
अन्य आतंकी संगठनों से संबंध?
हाल ही में नाइजीरिया में सक्रिय आतंकवादी संगठन बोको हराम ने आईएस के लिए अपना समर्थन जाहिर किया. वहीं अल कायदा खुद को इससे अलग मानता है. अल कायदा की शाखा जभात अल नुसरा आईएस के खिलाफ है. इन संगठनों के बीच प्रतिस्पर्धा है कि कौन किससे ज्यादा खूंखार है. बोको हराम के नाम 13,000 जानें हैं, तो आईएस 24,000 लोगों को मारने या घायल करने के लिए जिम्मेदार है.
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क्या है आईएस?
कौन हैं आईएस के समर्थक?
अलग अलग देशों से 20,000 से ज्यादा लोग आईएस के साथ जुड़ चुके हैं. आईसीएसआर की रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 4,000 से ज्यादा पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका से हैं. स्वीडन और बेल्जियम जैसे छोटे देशों से भी लोग इस्लामिक स्टेट का साथ देने पहुंच रहे हैं.
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क्या है आईएस?
कैसे निपट रहा है पश्चिम?
अगस्त 2014 से अमेरिका सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर हवाई हमले कर रहा है. सीरिया में अब तक 1,422 और इराक में 2,242 हमले किए जा चुके हैं. वहीं जर्मनी सीरिया से लौटे 30 कथित आतंकवादियों पर मुकदमा चलाने जा रहा है.
रिपोर्ट: लुइजे ऑस्बोर्न/आईबी
लेकिन ऐसी भी खबरें हैं कि चरमपंथी कुछ लोगों को जबरदस्ती अपने इलाकों से जाने को कह रहे हैं. य् मोसुल में रहने वाले ऐसे सरकारी कर्मचारी हैं जिनका वेतन रोक दिया गया था. अब आईएस चाहता है कि वे लोग मोसुल से बाहर जाएं ताकि वे अपना वेतन ले सकें. ऐसे में, उनकी संपत्ति पर आईएस का ही कब्जा रहता है और जब वे वापस आते हैं तो उनसे टैक्स वसूल लिया जाता है.
एके/वीके (एपी)