अपने अपहरणकर्ताओं से जान छुड़ाने वाली यजीदी लड़की निहाद ने लंदन में एक सम्मेलन में बोलते हुए अपील की है कि उसके जैसी अन्य यजीदी लड़कियां, जो अब भी इस्लामिक स्टेट के चंगुल में हैं, जो जुल्म, बलात्कार और हिंसा की शिकार हो रही हैं, उनकी मदद की जाए. निहाद ब्रिटिश चैरिटी संस्था अमार के सम्मेलन में बोल रही थी, जिसका आयोजन मध्यपूर्व में शरणार्थियों और विस्थापित हुए लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर गौर करने के लिए किया गया था.
दर्दनाक आपबीती
जिहादी निहाद के साथ करीब 300 परिवारों के सदस्यों को अपने साथ इराक सीरिया बॉर्डर पर स्थित सीरियाई इलाके हस्साके ले गए. "रात में उन्होंने औरतों को मर्दों से अलग कर दिया. उन्होंने आकर कहा, या तो तुम मुसलमान हो जाओ या फिर हम मर्दों की हत्या कर देंगे." उसने बताया कि इसके बाद इराक वापस लाकर उन्होंने लड़कियों को अलग किया और उन्हें शादी के लिए मोसुल के एक जिम में ले गए. इनकार करने पर दो हफ्ते तक वे उनकी पिटाई करते रहे.
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कौन हैं यजीदी
मलिक ताउस
यजीदी एक ईश्वर में विश्वास करते हैं और मानते हैं कि उसके सात फरिश्ते दुनिया में उनकी मदद करते हैं. मोर के रूप में मलिक ताउस उनमें सबसे अहम है.
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कौन हैं यजीदी
पांच बार आराधना
यजीदी धर्म के अनुयायी दिन में पांच बार सूर्य की तरफ मुंह करके पूजा करते हैं. दोपहर की पूजा लालिश पहाड़ियों की तरफ मुंह करके की जाती है, जहां उनका पवित्र मजार है. यह जगह उसी का प्रतीक है.
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कौन हैं यजीदी
इराक में बसेरा
दुनिया भर में करीब 8 लाख यजीदी हैं, जिनमें से ज्यादातर निनेवेह प्रांत में पहाड़ियों के पास रहते हैं. कुर्द भाषा बोलने वाले यजीदियों को 1990 के बाद से सीरिया और तुर्की जैसे देशों से भागना पड़ा. उनमें से कई ने अब यूरोप में पनाह ली है.
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कौन हैं यजीदी
घर छोड़ते यजीदी
आइसिस का कहना है कि यह "अशुद्ध" लोगों को इराक में नहीं रहने देंगे. लिहाजा उन्होंने यजीदियों पर हमला बोल दिया है. इससे पहले इन लोगों को सद्दाम हुसैन के शासनकाल में भी हमलों का सामना करना पड़ा था.
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कौन हैं यजीदी
सिंजर की पहाड़ियां
ये लोग इराक छोड़ कर सीरिया की तरफ भाग रहे हैं. सफर के लिए कई बार गधों का भी इस्तेमाल करना पड़ रहा है. रिपोर्टें हैं कि आइसिस ने सैकड़ों यजीदियों को मार डाला है. उनके खौफ से ईसाई भी कुर्दों के प्रभाव वाले शहर इरबील भाग रहे हैं.
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कौन हैं यजीदी
जहां तहां ठिकाना
इराक सरकार का दावा है कि आइसिस के सदस्यों ने कई यजीदियों को जिंदा दफ्न कर दिया है, जबकि औरतों को अगवा कर लिया गया है. बच कर भाग रहे लोगों में से कुछ ने दोहुक प्रांत में ठिकाना जमाया है.
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कौन हैं यजीदी
कहां कहां यजीदी
आम तौर पर वे इराक के उत्तर में रहते हैं, जहां कुर्दों का भी भारी प्रभाव है. दोनों की भाषा भी लगभग एक जैसी है. इराक से बाहर सबसे ज्यादा यजीदी यूरोपीय देश जर्मनी में रहते हैं. इसके अलावा रूस, अर्मेनिया, जॉर्जिया और स्वीडन में भी उन्होंने शरण ली है.
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कौन हैं यजीदी
अंतरराष्ट्रीय मदद
आइसिस के खिलाफ अमेरिका ने जहां हवाई हमले करने का फैसला किया है, वहीं कुछ देशों ने वहां मदद पहुंचाने का भी काम किया है. फ्रांस का एक कार्गो विमान बगदाद के पास अरबील में राहत सामग्री लेकर उतरा, जो प्रभावित इलाकों में भेजी गई.
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कौन हैं यजीदी
कुर्दों का साथ
सीरिया के अल-हसाका इलाके की तरफ जाते हुए यजीदी समुदाय के लोगों को कुर्द लड़ाकों का समर्थन मिल रहा है. आइसिस ने इराक में खिलाफत का एलान किया है और यजीदी खास तौर पर उनके निशाने पर हैं.
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कौन हैं यजीदी
जर्मनी में प्रदर्शन
बीलेफेल्ड शहर में इराक के यजीदियों के समर्थन में प्रदर्शन किए गए. इस दौरान कुर्दिश वर्कर्स पार्टी के सह संस्थापक अब्दुल्लाह ओएचेलान के पोस्टर भी लोगों ने थाम रखे थे. इस प्रदर्शन में 10,000 लोगों ने हिस्सा लिया.
रिपोर्ट: अनवर जे अशरफ
इसके बाद उनका एक स्थानीय सरदार अपने कुछ अन्य साथियों के साथ आया. निहाद ने बताया, "उन्होंने 21 लड़कियों को छांट कर अलग किया उन्हें एक अलग कमरे में ले गए और बलात्कार शुरू कर दिए." उसे एक 25 वर्षीय जिहादी सलाम ने चुना. इसके बाद वह उसे अपने घर ले गया जहां पहले से उसकी गर्भवती पत्नी और उनका एक बेटा था. यौन उत्पीड़न आगे जारी रहा. उसकी पत्नी का व्यवहार अच्छा नहीं था, उसका कहना था कि निहाद उसके घर और उसकी जिंदगी में घुस आई है.
करीब डेढ़ महीने बाद सलाम सीरिया में मारा गया. इसके बाद निहाद ने भागने की कोशिश की लेकिन किरकुक में फिर पकड़ी गई, यहां से उसे मोसुल ले जाया गया. उसे चार बेटियों के बाप को सौंप दिया गया. वह भी उसके साथ बलात्कार करता रहा. बाद में निहाद को पता चला कि वह गर्भवती है. उसने अकेले में गर्भ गिराने की भी कोशिश की लेकिन नाकाम रही. उसे शादी के प्रस्ताव भी दिए गए लेकिन वह नहीं मानी और अंतत: बेटे को जन्म दिया.
उसने मताया, "मैं उसे यजीदी नाम देना चाहती थी लेकिन उसके बाप ने उसका नाम ईसा रखा." तीन महीने बाद वह एक पड़ोसी की मदद से अपने भाई को फोन करने और वहां से भाग निकलने में कामयाब रही. लेकिन बिना ईसा के. ईसा को याद कर वह फूट फूट कर रो पड़ती है, "मैं पढ़ाई पूरी करना चाहूंगी. मैं अंग्रेजी पढ़ना चाहती हूं और शादी कर घर बसाना चाहती हूं."
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आईएस की क्रूरता
रणनीति
32 पेज का कथित दस्तावेज जिहाद का इतिहास बताते हुए सामयिक रणनीति बयान करता है.
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आईएस की क्रूरता
खुली लड़ाई
जिहादी संगठन की हिंसक अंतरराष्ट्रीय रणनीति के अंत में खुली लड़ाई की बात कही गई है.
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आईएस की क्रूरता
क्रूरता
आईएस अपने विरोधियों को हिंसक तरीके से मारता रहा है और उसकी तस्वीर रिलीज करता रहा है.
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आईएस की क्रूरता
बर्बर
अफगानिस्तान में उसने तालिबान समर्थकों को लाइन में बिछाकर भूमिगत सुरंगों से उड़ा दिया.
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आईएस की क्रूरता
समर्थन
आईएस को पश्चिमी देशों से भी लड़ाके मिल रहे हैं. आईएस के प्रोपेगैंडा वीडियो में एक जर्मन लड़ाका.
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आईएस की क्रूरता
निशाना
आईएस दस्तावेज में पश्चिमी देशों के बदले भारत को जिहाद का अगला युद्धक्षेत्र बताया गया है.
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आईएस की क्रूरता
कत्लेआम
सीरिया और इराक के जिन इलाकों में आईएस ने कब्जा किया है, वहां कत्लेआम मचाया है.
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आईएस की क्रूरता
सेक्स दासता
इराक के यजीदी इलाके में आईएस ने मर्दों को मार डाला और औरतों तथा बच्चियों को बंधक बनाया.
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आईएस की क्रूरता
तोड़ फोड़
इराक के मोसुल शहर में आईएस के लड़ाकों ने प्राचीन धरोहरों की बेरहमी से तोड़ फोड़ की.
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आईएस की क्रूरता
धरोहर
इराक के पालमिरा शहर पर कब्जे के बाद दुनिया को वहां के विश्व धरोहरों की चिंता सता रही है.
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आईएस की क्रूरता
दरिंदगी
आईएस के लड़ाकों ने पालमिरा के प्राचीन धरोहरों के विशेषज्ञ 81 वर्षीय खालेद अल असद को मार डाला.
मदद की गुहार
निहाद बकारत ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "यह जीवन नहीं है. हम तब तक जिंदा नहीं महसूस कर सकते जब तक हमारे बाकी लोग दाएश से नहीं छुड़ा लिए जाते." इस्लामिक स्टेट संगठन को अरबी भाषा में दाएश नाम से भी पुकारा जाता है. निहाद को उसके परिवार के 28 सदस्यों के साथ अगस्त 2014 में इराक के सिंजार प्रांत से अगवा कर लिया गया था. इस दौरान हमलों में इस्लामिक स्टेट ने यजीदियों को विधर्मी बताते हुए भारी नुकसान पहुंचाया. एक घंटे की बातचीत में कभी अपने घुटनों को जकड़ते हुए तो कभी घबराहट में रोते हुए निहाद ने बताया कि उसकी दो बहनें और 12 भाई अभी भी जिहादियों के चंगुल में हैं.
चैरिटी संस्था की अध्यक्ष बैरोनेस एमा निकोलसन ने विस्थापित हुए लोगों की "मनेचिकित्सकीय मदद की बड़ी जरूरत और शारीरिक मदद" की बात की. इस्लामिक स्टेट के कट्टरपंथियों के हाथों बीते सालों में हजारों की संख्या में लोगों का अपहरण और हत्याएं हुई हैं. बड़ी संख्या में लोग अब भी लापता हैं. निहाद ने बताया कुछ लोगों की जान यूं बच गई कि जब चेकपोस्ट पर गाड़ियों को रोका गए तो वे लोग जान बचाकर पहाड़डियों में छुप गए.
एसएफ/आरपी (एएफपी)
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दर दर यजीदी
इराक में ही बेघर
अपने ही देश में दर बदर घूमने वाले इराकियों की संख्या करीब 10 लाख बताई जाती है. इनमें से अधिकतर लोग देश के उत्तरी इलाकों की ओर जा रहे हैं.
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दर दर यजीदी
दरबदर
उत्तरी इराक में पहुंचे अधिकतर यजीदी हैं. सिंजर पहाड़ियों पर इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने जब हमला किया तो उनमें अधिकतर सुरक्षा के लिए उत्तरी शहरों में आ गए.
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दर दर यजीदी
खुद की देखभाल
गैर सरकारी संगठनों और कुर्द इलाके की सरकार के लिए इतने सारे लोगों की व्यवस्था करना मुश्किल का काम है. जिन्हें शरणार्थी शिविरों में जगह नहीं मिली उन्हें बिना किसी मदद के ही अपनी देखभाल करनी है.
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दर दर यजीदी
जगह नहीं
शरणार्थी शिविरों में कम जगह के कारण कई यजीदी आधी अधूरी बनी इमारतों, खाली घरों या स्कूली इमारतों में रह रहे हैं.
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दर दर यजीदी
सिंजर नरसंहार
सिंजर इलाके के गांवों से भागना इतना आसान नहीं था. आईएस के लड़ाकों ने जब वहां हमला किया तो कई लोग मारे गए. इसे सिंजर नरसंहार के तौर पर दर्ज किया गया है.
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दर दर यजीदी
घर से घर
इस अधूरी बनी इमारत में करीब 40 परिवार रहते हैं और सर्दियों में तापमान के गिरने के साथ ही इनका खुली हवा में रहना मुश्किल हो जाएगा.
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दर दर यजीदी
उम्मीद
आंतरिक तौर पर विस्थापितों के लिए नये शरणार्थी शिविर बनाने का वादा किया गया है लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है.
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दर दर यजीदी
भविष्य का सवाल
इस आपदा और संकट में कई यजीदी बच्चे भी घिर हुए हैं. उनका भविष्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक चिंता का विषय है.
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दर दर यजीदी
बैग पैक करो
ताजा संकट से ये लोग जैसे तैसे उबरने की कोशिश कर ही रहे थे कि इमारत बनाने वालों ने यजीदियों को इमारतें खाली करने के लिए कह दिया है. उन्हें शरणार्थी शिविरों में जगह नहीं मिलने के कारण वह इन इमारतों में रहने को मजबूर हैं.
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दर दर यजीदी
जड़ से उखड़े
कैमरे के सामने फोटो के लिये खड़ा युवक. सिंजर से भागे कई लोगों को अपने परिवार के बारे में कुछ पता नहीं, यह भी नहीं कि वे जिंदा भी हैं या नहीं.
रिपोर्ट: आभा मोंढे