हॉरर फिल्मों से अभिनय संवराः बिपाशा
१३ सितम्बर २०१४बिपाशा कहती हैं कि हॉरर फिल्मों के बारे में सोचते ही निर्माताओं को मेरा ख्याल आता है. यह मेरे लिए खुशी की बात है. इस उद्योग में 14 साल बिताने वाली यह अभिनेत्री कहती हैं कि गला काट होड़ के चलते फिल्मोद्योग बेहद असुरक्षित है. यहां आपको चौबीसो घंटे करो या मरो की स्थिति से जूझना पड़ता है. अपनी ताजा हॉरर फिल्म क्रिएचर थ्री डी के प्रमोशन के सिलसिले में कोलकाता पहुंची बिपाशा ने अपने जीवन और करियर से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए.
अब एक और हॉरर फिल्म. ऐसी फिल्में आपकी पहचान बनती जा रही हैं ?
ऐसा नहीं है. मैंने हर तरह की फिल्मों में काम किया है. हां, दूसरी अभिनेत्रियों से तुलना करें तो मैंने ज्यादा हॉरर फिल्मों में काम किया है. मुझे ऐसी फिल्में पसंद हैं जिनमें अपनी अभिनय प्रतिभा दिखाने का मौका मिले और जो दर्शकों का मनोरंजन कर सकें.
फिल्मोद्योग में 14 साल कम नहीं होते. आपको कैसा लगता है ?
इस उद्योग में इतनी गला काट प्रतिद्वंद्विता है कि मन में असुरक्षा की भावना घर करने लगती है. आपके सामने हमेशा करो या मरो वाली स्थिति रहती है. लेकिन अगर आपको अपने काम में मजा आ रहा है तो यह पता ही नहीं चलता कि समय कैसे बीत गया.
क्रिएचर में काम करने का अनुभव कैसा रहा ?
यह फिल्म काफी कठिन थी. शूटिंग के दौरान मनगढ़ंत किरदारों की कल्पना करते रहने की वजह से अभिनय करना आसान नहीं था. इसके हर दृश्य में थ्री डी और स्पेशल इफेक्ट्स होने की वजह से इस किरदार को निभाना एक चुनौती थी.
आप खुद को कैसी अभिनेत्री मानती हैं ?
मैं एक लालची कलाकार हूं. मुझे बढ़िया किरदार पसंद हैं. हॉरर फिल्मों के निर्माता पटकथा हाथ में आते ही सबसे पहले मुझसे संपर्क करते हैं. मैंने ऐसी हर फिल्म में अलग-अलग तरीके का किरदार निभाया है. मैं हॉरर फिल्मों की अभिनेत्री बन कर खुश हूं. भारत में अभी हॉरर फिल्मों के क्षेत्र में काफी काम होना बाकी है. हिन्दी फिल्मों में हॉरर का क्षेत्र अभी अपने बचपन के दौर से गुजर रहा है. क्रिएचर आम भूतहा फिल्मों से अलग है.
आपने इतनी हॉरर फिल्मों में काम किया कि निजी जवन में तो आप इन सबसे बिल्कुल नहीं डरती होगीं ?
यह बात नहीं है. निजी जीवन में मैं आसपास की छोटी-मोटी आवाजों से भी डर जाती हूं.
प्रेम के सवाल पर आपके निजी जीवन का हमेशा पोस्टमार्टम होता रहा है ?
अगर आप इस उद्योग में तो हैं ऐसी चीजों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा. यह तो जीवन का हिस्सा है.
क्या आपको अतीत के संबंधों पर कोई खेद है ?
नहीं. मैंने उनसे काफी कुछ सीखा है. इसलिए उन पर कोई खेद नहीं है. अतीत के संबंधों ने मुझे निजी जीवन में और होशियार बना दिया है.
आपके जीवन का कोई लक्ष्य या एजेंडा ?
मैं इस मामले में खुद को भाग्यशाली मानती हूं कि मैंने ऐसा कोई लक्ष्य या एजेंडा नहीं तय किया है. मेरा एकमात्र लक्ष्य बेहतर फिल्मों में काम करते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ अभिनय करना है. दर्शकों का मनोरंजन ही मेरा मकसद है.
इंटरव्यूः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः आभा मोंढे