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हिंदुओं को नहीं मिलेगा अल्पसंख्यक का दर्जा

१० नवम्बर २०१७

सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं को आठ राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा दिये जाने से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि वे इस मामले में केंद्र सरकार को दिशानिर्देश दे.

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Indien Oberstes Gericht Supreme Court
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/T. Topgyal

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रंजन गगोई की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि अल्पसंख्यकों से जुड़े मसले को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा तय किया जाना चाहिये. साथ ही याचिकाकर्ता को आयोग का रुख करना चाहिये. इस जनहित याचिका में आठ राज्यों, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, लक्ष्द्वीप, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर  में हिंदुओं को "अल्पसंख्यक" दर्जा देने का अनुरोध किया गया था. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस याचिका को वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल किया था और कहा था कि इन राज्यों में हिंदुओं की संख्या बेहद ही कम है. लेकिन राज्य स्तर पर इनकी पहचान न होने के कारण, साथ ही अधिसूचना में नाम न होने के चलते इन्हें अल्पसंख्यक होने का लाभ नहीं मिल रहा है. याचिकाकर्ता के मुताबिक, "केंद्र सरकार हर साल जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के तकरीबन 20 हजार छात्रों को तकनीकी शिक्षा हासिल करने के लिए स्कॉलरशिप देती है. जम्मू कश्मीर में तकरीबन 68.03 फीसदी मुसलमान हैं और सरकार यहां 753 स्कॉलरशिप में से 717 स्कॉलरशिप मुस्लिम छात्रों को देती है. इसमें हिंदू छात्रों को कुछ नहीं दिया जाता."

साल 1993 की केंद्रीय अधिसूचना के मुताबिक, देश में मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख, बौद्ध और पारसी अल्पसंख्यक हैं. लेकिन साल 2014 में जारी की गयी नयी अधिसूचना में जैन समुदाय को भी अल्पसंख्यक दर्जा दिया गया. 

अपूर्वा अग्रवाल