1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

हार को लेकर पोंटिंग और वार्न की तीखी तकरार

१४ अक्टूबर २०१०

भारतीय दौरे में 2-0 से रौंदे जाने के बाद ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के खेमे में दरारें साफ नजर आ रही हैं. उंगलियां कप्तान पोंटिंग की ओर उठ रही हैं, शेन वार्न की उंगली भी.

https://p.dw.com/p/PdxJ
जाने कहां गए वो दिनतस्वीर: AP

हाउरित्ज के लिए पोंटिंग की फील्डिंग सजावट की वार्न ने आलोचना की. प्रेस कांफ्रेंस में पोंटिंग जब अपना बचाव करने लगे तो शेन वार्न प्रेस के सामने उतर आए. दोनों के बीच मीडिया के मार्फत तीखी तकरार हुई. ऑस्ट्रेलिया की टीवी संस्था चैनल नाइन से वार्न ने कहा कि रात को वे और पंटर एक दूसरे को कई एसएमएस भेज चुके हैं. उन्होंने कहा,'' हम दोस्त हैं, कभी कभी हमारे बीच मतभेद होने वाले हैं. इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हम अचानक एक दूसरे के दुश्मन बन गए हैं.''

घरेलू मैदान पर ऑस्ट्रेलियाई टीम अब भी किसी हद तक शेर है, लेकिन इस शेर की कमजोरियां अब सामने आने लगी हैं. बल्लेबाज पूरे फार्म में नहीं हैं, तेज गेंदबाजी घातक नहीं रह गई है, लेकिन सबसे बड़ी कमजोरी स्पिन गेंदबाजी में दिख रही है. शेन वार्न को तो अब तक का सर्वश्रेष्ठ स्पिन गेंदबाज माना जाता है, लेकिन भारत में उनका प्रदर्शन भी कभी मार्के का नहीं रहा. इसलिए अगर भारत के दौरे को पैमाना न भी समझा जाए, फिर भी एक पहली पांत के स्पिन गेंदबाज की खोज अभी तक नाकाम ही रही है.

वैसे भारत में खेले गए टेस्ट मैचों में वार्न भी सफल नहीं रहे हैं, 43.11 के औसत के साथ उन्हें 34 विकेट मिले थे. भारतीय पिचों पर सफल रहे एकमात्र ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर ऐशले मैलेट को पांच टेस्ट मैचों में 28 विकेट मिले थे. उनका कहना है कि अगली ऐशेज सीरीज में इंगलैंड की टीम में ग्रेम स्वान का होना फर्क ला देगा. वे कहते हैं, नैथन हाउरित्ज पहली पांत के स्पिनर हैं या नहीं, इसमें संदेह है. लेकिन वे हाउरित्ज को हटाना नहीं चाहते हैं, बल्कि एक ऑलराउंडर और नंबर 2 स्पिनर के रूप में स्टीवन स्मिथ को टीम में लाने का सुझाव देते हैं.

Harbhajan Singh
पहले वाली धार नहींतस्वीर: AP

स्पिन गेंदबाजी भारत के लिए भी समस्या बनी हुई है. हरभजन सिंह की पहले वाली धार अब नहीं दिख रही है. प्रज्ञान ओझा का प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन वे आम तौर पर रनों की बाढ़ रोक सकते हैं, हमला नहीं करते. अमित मिश्रा का प्रदर्शन नियमित रूप से नहीं देखने को मिलता है. स्वान सरीखे स्पिन गेंदबाज अब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में नायाब होते जा रहे हैं.

वैसे ट्वेंटी 20 में स्पिन गेंदबाजों की फिर से पूछ होने लगी है. लेकिन सिर्फ बीच के ओवरों में बल्लेबाजों की स्कोरिंग धीमी करने के लिए. फिर क्या आक्रामक स्पिन गेंदबाजी अब लुप्त होती एक कला है? टेस्ट को अलविदा कह चुके मुरलीधरन भी अब वनडे और टी-20 के आखिरी दौर में हैं, खतरनाक हैं लेकिन पहले की तरह नहीं. मेंडिस खतरनाक होते-होते रह गए. दूसरे नए खिलाड़ी कम से कम फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं.

रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: ओ सिंह

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी