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हार के बाद जीत की तलाश में भारत

२५ दिसम्बर २०१०

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ डरबन में खेले जाने वाले दूसरे टेस्ट में टीम इंडिया प्रतिष्ठा पर लगी चोट पर मरहम लगाने के लिए तैयार है. सचिन तेंदुलकर की साहसिक और ऐतिहासिक पारी के बावजूद भारत सेंचुरियन टेस्ट हार गया था.

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तस्वीर: AP

दूसरा टेस्ट रविवार से शुरू हो रहा है. सेंचुरियन टेस्ट में भारत एक पारी और 25 रन से हार गया था. भारत की मजबूत बल्लेबाजी पहली पारी में जिस तरह से ढही उससे भारतीय प्रशसंक सकते में आ गए. हालांकि दूसरी पारी में सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी ने दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों का मजबूती से सामना किया और सहवाग-गंभीर की जोड़ी भी कुछ देर के लिए अपने रंग में दिखाई दी. सेंचुरियन टेस्ट में ही सचिन तेंदुलकर ने अपना 50वां सैकड़ा जड़ा.

Zaheer Khan
तस्वीर: AP

डरबन पर भारत का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है. 2006-07 में भारत दक्षिण अफ्रीका से 174 रन से हारा और 1996-97 में खेले गए टेस्ट में भारत को 328 रन की विस्मरणीय हार झेलनी पड़ी. 1992-93 टेस्ट में जरूर भारत ड्रॉ कराने में सफल हो गया था. लेकिन रविवार को होने वाले टेस्ट में भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि सेंचुरियन टेस्ट में बाहर बैठने वाले जहीर खान पूरी तरह फिट हैं और टीम में लौट आए हैं.

सीरीज में बने रहने के लिए भारत के लिए यह मैच ड्रॉ कराना या जीतना जरूरी है. पिच क्यूरेटर ने कहा है कि पिच से गेंदबाजों को जितनी मदद मिलेगी, बल्लेबाजों को भी उतना फायदा होगा और यह बयान भारत के लिए अच्छी खबर हो सकता है. सेंचुरियन टेस्ट की पहली पारी में भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों का जरा भी सामना नहीं कर पाई और सिर्फ 136 रन पर ही सिमट गई. इसी प्रदर्शन ने पहले टेस्ट का नतीजा तय कर दिया.

बल्लेबाजी में सुरेश रैना पर नजर जरूर रहेंगी क्योंकि पिछली छह टेस्ट पारियों में उन्होंने कोई खास प्रदर्शन नहीं किया है. उनका स्कोर 32, 3, 20, 3, 1, 5 रन रहा है और यह रैना के लिए चिंता का सबब हो सकता है क्योंकि उनके स्थान पर चेतेश्वर पुजारा को टीम में शामिल किए जाने की आवाजें उठनी लगी हैं. दूसरी पारी में सचिन, द्रविड़, गंभीर, सहवाग और धोनी के अच्छा खेलने से बल्लेबाजों के अच्छी लय में होने का संकेत मिला है.

जहीर खान के लौटने से भारत को मजबूती मिलेगी लेकिन पहले टेस्ट में इशांत शर्मा और श्रीसंत प्रभावहीन रहे जो भारत के लिए चिंता की बात है. धोनी भी अपनी उम्मीदों का बोझ जहीर पर ही रखे हैं और उन्होंने साफ कर दिया है कि सफलता की चाबी जहीर के पास ही होगी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ओ सिंह

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