हादसे के बाद का सिडनी
लिंड्ट कैफे में सोमवार के बंधक संकट का अंत दो निर्दोष लोगों की जान की कीमत पर खत्म हुआ. अगली सुबह शहर के लिए गम लेकर आई. लोगों ने मारे गए लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की.
श्रद्धांजलि
लिंड्ट कैफे के पास मंगलवार की सुबह लोग जमा हुए. उन्होंने एक दिन पहले हुए 16 घंटे से ज्यादा के उस खौफनाक संकट को याद किया, जहां दर्जनों लोग बंधक बना कर रखे गए थे. यह महिला श्रद्धा सुमन अर्पित करने के बाद सिसक पड़ी.
मैनेजर की मौत
लंबे अंतराल के बंधक संकट के बाद एक मौका ऐसा आया, जब थका हुआ अपहर्ता ऊंघने लगा. कैफे के मैनेजर टोरी जॉनसन ने इसका फायदा उठा कर उसकी बंदूक छीनने की कोशिश की. लेकिन यह पहल उनके लिए जानलेवा साबित हुआ. इस तस्वीर में एक छोटे बच्चे को दिलासा देता उसका पिता.
हर कोई दुखी
सिडनी शहर के लोगों ने पेशे से वकील उस 38 साल की कैटरीना डॉसन को भी याद किया, जिनकी जान इस बंधक संकट में चली गई. डॉसन तीन बच्चों की मां थीं.
प्रधानमंत्री की संवेदना
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबट ने सिडनी कैफे बंधक संकट के बाद अपनी गहरी संवेदना प्रकट की. उनके साथ उनकी पत्नी मार्गरेट एटकिन भी श्रद्धांजलि देने पहुंचीं. हादसे में घायल लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है.
मुस्लिमों की दुआ
घटना के बाद ऑस्ट्रेलिया में मुसलमानों ने खास तौर पर मारे गए लोगों के लिए दुआ की. उनका कहना है कि किसी एक जुनूनी शख्स की वजह से इस मामले को इस्लामी आतंकवाद से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. सिडनी के मुस्लिम धार्मिक नेता जमाल रिफी ने एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की.
शरणार्थी था अपहर्ता
यह पुरानी तस्वीर उस मान हारून मोनिस की है, जो खुद को मुस्लिम उलेमा घोषित कर रहा था. लगभग 50 साल का मोनिस ईरानी मूल का था और उसे ऑस्ट्रेलिया ने 1996 में शरण दी थी. पुलिस के मुताबिक उस पर दर्जनों मामले थे लेकिन वह आतंकवादियों की संदिग्ध सूची में नहीं था.
पुलिस की भूमिका
सिडनी पुलिस ने 16 घंटे से ज्यादा समय तक पूरे संयम और सूझबूझ से काम लिया. पुलिस ने घटना की जरूरत से ज्यादा जानकारी नहीं दी और न ही मीडिया को कैफे के बहुत करीब जाने दिया. लेकिन इस बीच उन्होंने लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए लोगों का हौसला बनाए रखा. तस्वीर में न्यू साउथ वेल्स के प्रीमियर माइक ब्रेड और पुलिस कमिश्नर एंड्रयू स्किपियोन.
तड़के हुई कार्रवाई
पूरा दिन निकलने के बाद जब तड़के सवा दो बजे कैफे से कुछ हलचल होने लगी, तो वहां तैनात पुलिस ने सिर्फ आधे मिनट में अपनी कार्रवाई को अंजाम दे दिया. अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजी और लगभग सभी बंधक बाहर निकल गए. अपहर्ता मारा गया.
सहमे सहमे लोग
दो भारतीय सहित दर्जनों लोग 16 घंटे से ज्यादा कैफे में बंद रहे. जाहिर है कि इस दौरान उन्हें खाने पीने को भी कुछ नहीं मिला होगा और ना ही वे आराम कर पाए होंगे. लंबे सदमे से गुजरने के बाद जब वे बाहर निकले, तो अपने जज्बात पर काबू नहीं रख पाए.
जांच का इंतजार
पुलिस अब इस मामले की जांच करेगी कि यह हादसा किन हालात में हुआ. घटना में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया. जबकि बाकी लोगों की मामूली मेडिकल जांच के बाद उन्हें घर भेज दिया गया.