1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

'हमें खेल संस्कृति की जरूरत'

९ नवम्बर २०१२

नतीजों के आधार पर खेल को आंकना भारत में आम बात है. टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाज राहुल द्रविड़ को यह बात चुभती है. उनके मुताबिक देश में खेल संस्कृति शुरू करने का वक्त आ गया है.

https://p.dw.com/p/16gD1
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot

टेस्ट क्रिकेट के महान बल्लेबाज ने कहा, "खेलों में बेहतर नतीजा पाने का सबसे अच्छा रास्ता यह है कि नतीजों से ध्यान हटा दिया जाए. तैयारी की प्रक्रिया और प्रदर्शन भले ही व्यक्तिगत हो लेकिन खेल में नतीजे हमेशा किसी एक के हाथ में नहीं रहते."

उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में एक कार्यक्रम के दौरान द्रविड़ ने ये बातें कही. द्रविड़ ने इसी साल जनवरी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा. टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में वह तीसरे नंबर पर हैं.

Sushil Kumar
कैसे मिले खिलाड़ियों को बढ़ावातस्वीर: dapd

कभी क्रिकेट के मैदान पर मिस्टर कूल के नाम से मशहूर द्रविड़ के मुताबिक भारत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन खेल संस्कृति का अभाव दिखता है. उनके मुताबिक बचपन से ही खेल में उत्साह रखने वाले बच्चों को खेल और फिटनेस को लेकर सही दिशा बताने की जरूरत है.

वह कहते हैं कि भारत में विश्व की 30 फीसदी आबादी रहती है. इसके बावजूद ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भारत का निराशाजनक प्रदर्शन रहता है. फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए तो देश क्वालिफाई ही नहीं कर पाता. हॉकी की हालत भी बीते कुछ दशकों से बुरी है. क्रिकेट के अलावा ऐसे कम ही खेल हैं जिन्हें लेकर भारतीय जनमानस में उत्साह दिखता है.

39 साल के द्रविड़ कहते हैं कि एक तरफ भारत जैसा बड़ा देश है, जो खेलों में पिछड़ा है. वहीं छोटे छोटे देश हैं जो विश्वविजेता धावक और तैराक पैदा कर रहे हैं. पूर्व क्रिकेटर के मुताबिक इसकी वजह कमजोर ढांचा और न के बराबर मिलने वाली मदद है. वह मानते है कि भारत में लोग शिक्षा के रास्ते को जीवन गुजारने का बेहतर और सुरक्षित तरीका मानते हैं.

राहुल कहते हैं, "आज भी हाईस्कूल के बाद अपने प्रतिभाशाली बच्चे से खेल जारी रखने को कहने के लिए अभिभावकों को अपने दम पर बहादुरी से फैसला लेना होता है." अमेरिकन कॉलेज स्पोर्ट सिस्टम का हवाला देते हुए द्रविड़ कहते हैं कि वहां दी जा रही विश्वस्तरीय ट्रेनिंग और शिक्षा गजब की है. दक्षिण अफ्रीका में क्रिकेट को ऐसे ही बढ़ावा दिया जाता है.

Indien Delhi Indo-German Urban Festival
बच्चों पर बेहतर प्रदर्शन का दबावतस्वीर: DW

मेहनती और धैर्य से बल्लेबाजी करने वाले राहुल मानते हैं कि स्कूल और कॉलेज ही ऐसी जगहें हैं जहां प्रतिभाशाली युवाओं की अच्छी पहचान हो सकती है. खेल संस्कृति की बात करते हुए उन्होंने माना कि लड़के या लड़की में भेदभाव भी इस राह में बड़ी बाधा है.

ओएसजे/एनआर (पीटीआई)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें