हमास की 25वीं वर्षगांठ पर विजय रैली
८ दिसम्बर २०१२हमास का कहना है कि उसने इस्राएल पर जीत हासिल कर ली है. इस रैली में मशाल को शामिल करने के बहाने हमास अरब क्षेत्र में अपनी बढ़ती शक्ति दिखाना चाहता है. साथ ही वह राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी फतह के साथ दोस्ती का हाथ भी बढ़ाना चाहता है. लगभग दो लाख लोग इस रैली में शामिल हो सकते हैं.
बारिश से भीगी जमीन होने के बाद भी गजा में हजारों की संख्या में लोग पहले से ही पहुंचने लगे. उनमें से कइयों के हाथ में हरे रंग का हमास का झंडा दिखा. लाउडस्पीकरों पर देशभक्ति के गीत बज रहे थे, जिनमें ताजा हिट "तेल अवीव को मार गिराओ" भी शामिल था.
यह गाना पिछले महीने के संघर्ष के दौरान तैयार किया गया. रैली में एम75 मिसाइल की झलक भी दिखाई जाएगी, जो गजा में ही बनाया गया है. विशालकाय प्लेटफॉर्म पर बैठे 60 साल के मुहम्मद शाहीन ने कहा, "यह जीत का दिन है. खालिद मशाल का यहां आना जीत की निशानी है."
भावुक हुए मशाल
शुक्रवार को 56 साल के मशाल पहली बार गजा पट्टी पर आए, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. इस मौके पर मशाल भावुक हो उठे. वह ऐसे समय में गजा का दौरा कर रहे हैं, जब दो हफ्ते पहले ही इस्राएल और फलीस्तीन का संघर्ष खत्म हुआ है. इसमें 170 फलीस्तीनी और छह इस्राएली मारे गए हैं. मिस्र के दखल के बाद दोनों पक्षों का संघर्ष खत्म हो पाया.
इसके बाद इलाके में हमास का प्रभाव बढ़ा है और अरब देशों ने उसका समर्थन बढ़ा दिया है. गजा की भीड़ में खड़े 52 साल के अबु वलीद का कहना है, "इस्राएल को अब अहसास हो रहा होगा, जब वह यह विजय रैली देख रहा होगा." वह मशाल की एक झलक पाना चाहते थे, जिन पर इस्राएल की जासूसी एजेंसी मोसाद ने 1997 में कातिलाना हमला किया था.
इस रैली में कतर, मलेशिया, तुर्की, मिस्र और बहरीन के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. हमास का गठन 8 दिसंबर, 1987 में हुआ था और इस साल इसकी 25वीं सालगिरह है. इसका मुख्य उद्देश्य फलीस्तीन की आजादी है. रैली में फतह के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं. हमास और फतह के बीच 2007 में गृह युद्ध हो चुका है और उसके बाद से दोनों की दूरी बढ़ गई थी.
फतह के साथ हमास
हमास के प्रवक्ता समी अबु जुहरी ने कहा, "मशाल का भाषण हमारे भविष्य के कार्यक्रम को तय करेगा. खास तौर पर फतह के साथ हमारे रिश्तों को तय करेगा."
मशाल भी फतह के साथ समझौता चाहते हैं. शुक्रवार को वहां पहुंचने पर उन्होंने कहा, "अल्लाह ने चाहा तो हमारे बीच समझौता हो जाएगा. हमारे सामने राष्ट्र की एकता बनाने की चुनौती है."
हालांकि यह कहना जितना आसान है, करना उतना नहीं. हमास जहां इस्राएल के खिलाफ हिंसक कार्रवाई करना चाहता है, वहीं फतह इस मामले को बातचीत से सुलझाने की वकालत करता आया है. हमास के गठन के समय ही कहा गया था कि इस्राएल को नष्ट करना जरूरी है लेकिन बाद में इसके कुछ नेताओं ने शांति का रुख अपनाया और कहा कि अगर इस्राएल 1967 की सीमाओं को मान ले, तो वे समझौता हो सकता है.
इस्राएल से संघर्ष
हालांकि इसने साफ कर दिया है कि यह कभी भी इस्राएल को मान्यता नहीं देगा. दूसरी तरफ इस्राएल और पश्चिमी देश हमास को आतंकवादी संगठन कहते हैं. मशाल निर्वासन में सीरिया में रह रहे थे. वह 2004 से लेकर इस साल जनवरी तक वहीं से हमास का नियंत्रण कर रहे थे. सीरिया में हालात खराब होने के बाद वह वहां से निकल गए. अब वह कतर और काहिरा में रहते हैं.
मिस्र में सत्ता बदलाव के साथ वह अरब की ताकतवर शक्ति बनता जा रहा है और मशाल के काहिरा में रहने की वजह से उनके मिस्र से अच्छे संबंध हो रहे हैं. गजा में जिस तरह से उनका स्वागत हुआ है, उसके बाद हमास को मशाल से काफी उम्मीद बंधी है.
एजेए/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)