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हथियार नहीं हटाएगा यूक्रेन

२३ फ़रवरी २०१५

संघर्ष विराम समझौते के बावजूद यूक्रेन की सेना हिंसाग्रस्त इलाकों से भारी हथियार नहीं हटाएगी. सेना ने रूस समर्थक अलगाववादियों पर हमले जारी रखने का आरोप लगाते हुए यह एलान किया.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP Photo/Vadim Ghirda

यूक्रेन की सेना का दावा है कि 15 फरवरी से लागू हुए संघर्ष विराम समझौते का अब भी पूरी तरह पालन नहीं किया जा रहा है. बीते सप्ताहांत यूक्रेनी सेना और विद्रोहियों के बीच हिंसाग्रस्त इलाके से भारी हथियार हटाने का समझौता तो हुआ, लेकिन यह अमल में आता नहीं दिख रहा है.

सेना के प्रवक्ता अनातोली स्टेमाख के मुताबिक संघर्ष विराम के बाद बीते दिनों में हिंसा तो कम हुई है कि लेकिन विद्रोहियों के छिटपुट हमले जारी है. उन्होंने रूस समर्थक विद्रोहियों पर यूक्रेन की सेना पर दो हमले करने का आरोप लगाया.

एक टेलीविजन ब्रीफिंग में यूक्रेनी सेना के प्रवक्ता व्लादिस्लाव सेलेजंयोव ने कहा, "यूक्रेन के कर्मचारियों के ठिकानों पर हमलों का जारी रहना, ऐसी स्थिति में हथियार वापस हटाने का मतलब ही नहीं बनता."

रविवार को पूर्वी यूक्रेन के खारकीव में सरकार के पक्ष में हो रहे एक प्रदर्शन में बम फटा. हमले में दो लोगों की मौत हुई और कम से कम नौ लोग घायल हुए. यूक्रेन के गृह मंत्री ने इसे आतंकवादी हमला करार दिया और स्पेशल फोर्स को खारकीव भेज दिया. बम धमाका करने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक आरोपियों के पास से ग्रेनेड लॉन्चर और हथियार बरामद हुए हैं.

इसी महीने जर्मनी और फ्रांस ने मध्यस्थता कर यूक्रेन और रूस समर्थक अलगाववादियों के बीच संघर्ष विराम करवाया था. बेलारूस की राजधानी मिंस्क में हुई उस वार्ता में जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल, फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद, यूक्रेन के राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल हुए. जर्मनी और फ्रांस के सामने यूक्रेनी और रूसी नेता ने 15 फरवरी से पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष विराम का एलान किया. संघर्ष विराम पर तबसे ही संदेह जताया जाने लगा था. जर्मनी और फ्रांस ने रूस को चेतावनी दी है कि अगर विद्रोहियों ने समझौते के उल्लंघन किया तो मॉस्को के खिलाफ नए और सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे.

करीब डेढ़ साल पहले शुरू हुआ यूक्रेन संकट अब भी काबू में नहीं आ रहा है. नवंबर 2013 में यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने यूरोपीय संघ के साथ तय एक समझौते को निलंबित कर दिया. इसके बाद राजधानी कीव में सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हुए. 2014 की शुरुआत में प्रदर्शन और उग्र हो गए. यानुकोविच ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किया. लेकिन बढ़ते दबाव के बीच फरवरी 2014 में यानुकोविच भागकर रूस चले गए.

इसके बाद पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थक लोगों ने यूक्रेन सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह छेड़ दिया. मार्च में पूर्वी यूक्रेन का क्रीमिया इलाका जनमत संग्रह के बाद रूस में शामिल हो गया. पूर्वी यूक्रेन के कई इलाकों में अब भी रूस समर्थक विद्रोही सक्रिय हैं. यूक्रेन का आरोप है कि विद्रोहियों को मॉस्को से हथियार और सैनिक सहायता मुहैया कराई जाती है. वहीं रूस का कहना है कि कीव को पूर्वी यूक्रेन में रहने वाले लोगों की इच्छा का सम्मान करना चाहिए.

ओएसजे/आरआर (रॉयटर्स, डीपीए)