1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

स्लोवेनिया, क्रोएशिया ने बंद किया बाल्कन रूट

आरपी/एमजे (एएफपी)९ मार्च २०१६

यूरोपीय संघ के दो देशों स्लोवेनिया और क्रोएशिया ने बुधवार से ही बाल्कन रूट पर शरणार्थियों की आवाजाही रोकने का फैसला किया है. सीरिया जैसे संकटग्रस्त देशों हर दिन कई हजार लोग इसी रास्ते यूरोप पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.

https://p.dw.com/p/1I9hR
Österreich Slowenien Grenze Flüchtlinge
तस्वीर: Reuters/L. Foeger

यूरोप के गहराते शरणार्थी संकट में स्लोवेनिया और क्रोएशिया जैसे देशों का रूख एक नया मोड़ लाया है. अपनी सीमाओं को अवैध आप्रवासियों को इस्तेमाल ना करने देने के उनके फैसले का 'डॉमिनो' प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है. इसका अर्थ हुआ कि आने वाले समय में बाल्कन रूट पर स्थित सर्बिया और मेसेडोनिया जैसे और देश भी इसी राह पर चल सकते हैं.

पिछले साल से ही सीरिया जैसे देशों में युद्ध से भाग रहे लाखों लोग यही रास्ता तय कर यूरोपीय देशों में शरण मांगने पहुंचते रहे हैं. एक दिन पहले ही यूरोपीय संघ (ईयू) और तुर्की ने शरणार्थी संकट को सुलझाने के लिए कई नए प्रस्तावों पर सहमति बनाई है. जहां ईयू अधिकारियों ने इसे महत्वपूर्ण कदम बताया, वहीं संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख ने इसकी कानूनी वैधता पर सवाल खड़े किए हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि ये योजना "शरण लेने के अधिकार के लिए मौत का झटका है".

स्लोवेनिया के गृह मंत्री ने मंगलवार देर शाम बताया कि मध्यरात्रि से ही केवल वैध वीजा वाले विदेशियों को ही प्रवेश करने दिया जाएगा. जो लोग शरण मांगना चाहते हैं और दूसरे आप्रवासियों के "प्रत्येक मामले को शेंगेन जोन के नियमों के अनुसार मानवीय आधार पर परखा जाएगा". ईयू के ही एक अन्य देश क्रोएशिया ने, जो कि पासपोर्ट-फ्री शेंगेन जोन का सदस्य नहीं है, कहा है वो भी मध्यरात्रि से ही स्लोवेनिया की तरह विदेशियों की आवाजाही पर रोक लगाएगा. क्रोएशिया पहले ही अपनी सीमा में प्रवेश करने वालों की अधिकतम संख्या तय कर चुका है और वैध वीजा वालों को ही आने देता है.

2015 की शुरुआत से दस लाख से भी अधिक प्रवासी एइजियन समुद्र पार कर ग्रीस पहुंच चुके हैं. इनमें से ज्यादातर सीरिया, अफगानिस्तान और इराक से हैं और वे आगे का सफर बाल्कन रूट से तय करके जर्मनी और स्केंडेनेविया जैसे अमीर यूरोपीय देशों में जाना चाहते हैं. स्लोवेनिया, सर्बिया, ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया और मेसेडोनिया ने इन देशों के प्रवासियों को रोकना जारी रखा है, जिसके कारण ग्रीक-मेसेडोनिया सीमा पर 36,000 से भी अधिक लोग अटके हुए हैं.

तुर्की में फिलहाल 27 लाख सीरियाई शरणार्थी हैं और यहीं से वे यूरोपीय सीमा में प्रवेश के लिए खतरनाक समुद्री रास्ते से ग्रीस आने की कोशिश करते हैं. कुछ महीने पहले यूरोप और तुर्की ने आपसी समझौते से तय किया था कि शरणार्थियों को अपने यहां रखने के बदले यूरोप तुर्की को 3 अरब यूरो की धनराशि देगा.

यूरोपीय आयोग के प्रमुख जाँ क्लोद युंकर ने ब्रसेल्स में हुई वार्ता को बेहद महत्वपूर्ण माना तो वहीं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह एमनेस्टी ने इन प्रस्तावों को "नैतिक और कानूनी कमियों से भरा" बताया है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के इवेर्ना मैकगोवन ने कहा है, "शरणार्थी के बदले शरणार्थी की अदलाबदली करने का विचार ना केवल खतरनाक तरीके से अमानवीय है, बल्कि इससे विशाल मानवीय संकट का कोई स्थाई दीर्घकालिक उपाय भी नहीं निकलेगा."