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स्कारलेट मामला: मां ने जताई न्याय की उम्मीद

१ अगस्त २०१०

ब्रिटिश किशोरी स्कारलेट की मां ने उम्मीद जताई कि भारत में उन्हें न्याय मिलेगा. 2008 में गोवा में स्कारलेट की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई. अदालत में उटपटांग सवाल कर रहे हैं बचाव पक्ष के वकील.

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गोवा में हुई स्कारलेट की हत्यातस्वीर: picture-alliance / KPA/Hackenberg

15 साल की स्कारलेट अपनी मां फियोना मैककेवन के साथ 2008 में भारत घूमने आई. मां-बेटी गोवा में छुट्टियां बीता रहे थे कि एक दिन स्कारलेट अचानक लापता हो गई. बाद में गोवा के एक बीच पर उसका शव मिला. शव मिलते ही तुरंत भारतीय अधिकारियों ने कह दिया गया मौत डूबने की वजह से हुई है. लेकिन दूसरे पोस्टमार्टम में पता चला कि 15 साल की बच्ची की हत्या की गई, हत्या से पहले उससे बलात्कार भी किया गया.

गोवा में प्रभावशाली माने जाने वाले सेमसन डिसूजा और 42 साल के प्लेसिडो कार्वाल्हो पर हत्या का आरोप लगा. गोवा पुलिस पर मामले को दबाने और आरोपियों बचाने के आरोप लगते रहे. कई बार केस में ऐसे मौके भी आए जब न्याय दिलाने के बजाए स्कारलेट और उसकी मां के चरित्र पर ही सवाल किए जाने लगे.

इसके बाद जांच सीबीआई के हवाले की गई. सीबीआई ने डिसूजा और कार्वाल्हो को गिरफ्तार किया. उन पर साजिश, हत्या, बलात्कार और सबूतों से छेड़छाड़ की धाराएं लगाईं गई. अब मामला अदालत में है. शुक्रवार को मामले की सुनवाई के बाद ब्रिटेन में फियोना ने कहा, ''स्कारलेट की मौत के मामले से पर्यटकों के साथ किए जाने वाले बर्ताव में सुधार आएगा. यह कोई पहला मामला नहीं है जब भारत में पर्यटकों की हत्या हुई हो और कई मामलों में तो न्याय मिला ही नहीं.''

इस बीच बचाव पक्ष के वकील अदालत में अब स्कारलेट की उम्र पर सवाल उठा रहे हैं. उनकी दलील है कि स्कारलेट नाबालिग नहीं थी. कई लोगों को बचाव पक्ष के इस रुख से गहरी निराशा हुई है. लोगों का कहना है कि बेहूदे सवाल और कुतर्कों के सहारे अदालती कार्रवाई को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है. स्कारलेट का पासपोर्ट एक मान्यता प्राप्त सरकारी दस्तावेज है. जिसमें इस बात की साफ गवाही है कि हत्या के वक्त स्कारलेट की उम्र 15 साल ही थी.

बचाव पक्ष के खिन्न करने वाले पैंतरों के बीच फियोना ने उम्मीद जताई है कि भारत में उन्हें और उनकी बेटी को न्याय जल्द मिलेगा. उन्होंने कहा कि जिस तेजी से अदालत की कार्रवाई चल रही है, उससे वह संतुष्ट हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन