सोने की महिला
मामला 13.5 करोड़ डॉलर महंगी पेंटिंग का है. विवाद नाजियों द्वारा लूटी गई पेंटिंग को हासिल करने की कोशिश पर था. यही कहानी अब वुमन इन गोल्ड के रूप में सिनेमाघरों में है.
सच्ची कहानी
नाजियों द्वारा लूटी गई गुस्ताव क्लिम्ट की कलाकृति आडेले ब्लॉख बावर ने कुछ साल पहले कला और न्याय जगत में हंगामा मचा दिया था. उस कहानी पर बनी फिल्म में हेलन मिरेन ने उस तस्वीर की नायिका की भतीजी मारिया अल्टमन की भूमिका निभाई है. क्लिम्ट ने यह तस्वीर 1903 में बनाई थी.
सही फिल्मी कथानक
फिल्म इस तस्वीर की कहानी कहती है, जिसमें युवा लड़की को सोने की पृष्ठभूमि में दिखाया गया है. फिल्म का प्रीमियर इस साल बर्लिन फिल्म महोत्सव के दौरान हुआ था. जर्मन अभिनेता मोरित्स ब्लाइबट्रॉय ने पेंटर गुस्ताव क्लिम्ट की भूमिका निभाई है.
हक की लड़ाई
फिल्म में मारिया अल्टमन के किरदार को केंद्रीय स्थान दिया गया है जिसे काफी उम्र होने पर पता चलता है कि यह प्रसिद्ध पेंटिंग उसके परिवार की धरोहर है. वह इसे वापस पाने के लिए एक वकील को जिम्मेदारी देती है और उसके साथ वियना जाती है.
ब्लॉख बावर की कहानी
लेकिन फिल्म में सिर्फ इन दोनों किरदारों के पेंटिंग वापस पाने के प्रयासों को ही नहीं दिखाया गया है बल्कि फ्लैशबैक में यह भी दिखाया जाता है कि चीनी के कारोबार से कभी अमीर रहे ब्लॉख बावर परिवार को जर्मनों के कब्जे वाले वियना में कैसे सताया जाता है.
सामयिक मामला
वुमन इन गोल्ड फिल्म की जर्मनी में खास प्रतीक्षा थी. हाल में गुरलिट मामले के कारण नाजियों द्वारा लूटी गई कलाकृतियों का मामला चर्चा में है. निर्देशक सिमोन कर्टिस ने फिल्म में ऑस्ट्रिया के अधिकारियों की कड़ी आलोचना की है, जो किसी तरह की मदद नहीं देते.
जर्मन भागीदारी
वुमन इन गोल्ड अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ बनाई गई ब्रिटिश फिल्म है. हेलेन मिरेन इंगलैंड की हैं, उनके साथी वकील रायन रेनॉल्ड्स कनाडा के हैं और खोजी पत्रकार के रूप में गुडबाय लेनिन फेम के जर्मन अभिनेता डानिएल ब्रुइल हैं.
गजब की भूमिका
फिल्म में ऑस्कर पुरस्कार विजेता हेलेन मिरेन ने गजब का अभिनय किया है. पूरी फिल्म पर उनकी छाप है. वह लगभग हर सीन में दिखती है और अपने अभिनय से उन्होंने लॉस एंजेलिस में रहने वाली मारिया अल्टमन के किरदार को जीवंत कर दिया है.
भावना का सैलाब
वुमन इन गोल्ड एक कामयाब ऐतिहासिक ड्रामा है जिसमें कुछ अत्यंत भावनात्मक सीन को कम किया जा सकता था. फिल्म का संगीत प्रसिद्ध जर्मन संगीतकार हंस सिम्मर ने दिया है और अपने संगीत से फिल्म की नाटकीयता बढ़ा दी है.