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सोची के ग्रीन ओलंपिक खेल

Klaus Jansen८ फ़रवरी २०१४

विंटर ओलंपिक का शहर सोची खूबसूरत वादियों में है. काला सागर से कॉकेशिया के पहाड़ सिर्फ 40 किलोमीटर दूर हैं. लेकिन ओलंपिक के लिए हुए निर्माण पर्यावरण के लिए भारी खतरा हैं.

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तस्वीर: Reuters/Alexander Demianchuk

पर्यावरण संरक्षक व्लादिमिर कीमायेव कुछ उदास से, कुछ सोचते हुए नीचे घाटी को देखते हैं. एक अर्थमूवर वहां रात और दिन पहाड़ों को काटने में लगा है. हम सोची से सिर्फ 10 किलोमीटर दूर आख्शटिर में हैं. वे कहते हैं कि ओलंपिक के लिए बनी इमारतों ने सोची के पर्यावरण को ऐसा नुकसान पहुंचाया है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता.

कीमायेव सरकार की आलोचना करने वाली पर्यावरण संस्था इकॉलॉजी वॉच नॉर्थ कॉकेसस के लिए काम करते हैं. उन्होंने सोची को ओलंपिक कराने की जिम्मेदारी दिए जाने के बाद से ही पर्यावरण को पहुंचाए गए नुकसान पर ध्यान दिया है. ओलंपिक स्टेडियमों और सड़कों के लिए पत्थारों की जरूरत थी. इसके लिए आख्शटिर में पेड़ काटे गए ताकि चट्टानों तक पहुंचने का रास्ता बन सके. कीमायेव बताते हैं, "सोवियत काल में सोची में प्रति निवासी 30 वर्गमीटर हरियाली थी. अब यह सिर्फ 3 वर्गमीटर है."

नदी किनारे हाइवे

सोची के आडलर इलाके में बने ओलंपिक स्टेडियमों और पहाड़ों में स्थित क्रासनाया पोल्याना की दूरी 40 किलोमीटर है. वहां स्कीइंग के मुकाबले होंगे. क्रासनाया जाने वाला हाइवे और ट्रेन लाइन 40 अरब यूरो वाले ओलंपिक खेलों के सबसे बड़े संरचना प्रोजेक्ट हैं. वे नेशनल पार्क से होकर गुजरते हैं. हाइवे को सहारा देने वाले कंक्रीट के खंभे इलाके की सबसे बड़ी म्सिम्टा नदी की छाती को चीड़ते दिखते हैं. कीमायेव कहते हैं, "यह रूस की अकेली नदी थी जिसकी धार रेत और पत्थर के मिश्रण से बनी थी. एक प्राकृतिक किनारा जो निर्माण कार्य की वजह से नष्ट हो गया."

क्रासनाया पोल्याना के स्टेडियम भी पहाड़ को काटकर बनाए गए हैं. लिफ्ट से बायथलन स्टेडियम जाने वाला हर इंसान इसे देख सकता है. करीब दस मिनट का रास्ता बर्बादी की गली से गुजरता है, काटे गए पेड़ और उनके बीच में निर्माण का कूड़ा. ऊपर पहुंचने पर एरीना के मैनेजर आंद्रे मारकोव से मुलाकात होती है. वे 7500 लोगों के बनाए गए स्टेडियम को गर्व के साथ दिखाते हैं. पर्यावरण के बारे में पूछे जाने पर धीमे से कहते हैं, "यदि आप यहां ऐसा कुछ बनाना चाहते हैं तो ये होगा ही. हम हर उस पेड़ के माफी मांगते हैं जिसे हमें काटना पड़ा. लेकिन और कुछ हो भी नहीं सकता, यदि आप यहां ऐसा कुछ बनाना चाहते हैं. "

लगेंगे नए पेड़

सोची के शीतकालीन खेलों को ग्रीन गेम्स होना था. इस हफ्ते मंगलवार को राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने चीतों के एक ब्रीडिंग स्टेशन का दौरा किया. इन चीतों को ओलंपिक खेलों के बाद इलाके में बसाया जाएगा. पुतिन के अनुसार पर्यावरण का नुकसान नहीं हुआ है. सोची के पालिका भवन में भी अधिकारी पर्यावरण के प्रति चिंता को शांत करते हैं. पुराने सोची को दिखाने वाली एक तस्वीर के सामने शहर की उप मेयर झाना ग्रिगोरिएवा खड़ी हैं. वे आश्वासन देती हैं, "ओलंपिक स्टेडियमों का निर्माण सिर्फ अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की निगरानी में ही नहीं, बल्कि रूस के पर्यावरण मंत्रालय की भी निगरानी में हो रहा है."

चिड़ियों का एक पार्क ओलंपिक खेलों के टिकाउपन का प्रतीक होगा. वहां एक नया जंगल भी लगाया जाएगा. ग्रिगोरिएवा कहती हैं, "हर काटे गए पेड़ के बदले दूसरी जगह एक नया पेड़ लगाया गया है." इलाके में नया जंगल लगाने पर 1.5 अरब यूरो खर्च किए गए हैं लेकिन व्लादीमिर कीमायेव को ग्रीन खेलों का भरोसा नहीं है. "नालों में मुआवजे के तौर पर पेड़ लगाए गए हैं. लेकिन ये क्या है, इटली से ताड़ के पेड़ आयात किए गए हैं, जो इस इलाके के लिए पूरी तरह से नए हैं."

प्रकृति और इंसान की तकलीफ

आख्शटिर में लोग सीने में धूल जाने की शिकायत कर रहे हैं. इलाके के झील पत्थर के काम के कारण बंद हो गए हैं. सालों से पत्थरों को ढोने वाले 250 ट्रकों का शोर लोगों को बीमार कर रहा है. आख्शटिर के निवासी अलेक्जांडर कोरोनोव शिकायत करते हैं, "इतना ही नहीं हमारी फल और सब्जियां, जिन्हें हम पहले आजीविका के लिए बाजार में बेचा करते थे, धूल के कारण अब कोई खरीदना नहीं चाहता." छोटी छोटी कामयाबियां व्लादीमिर कीमायेव और उनके साथियों का हौसला बढ़ा रही हैं. उनके प्रयासों से ही पहले नियोजित बॉब रूट को बदल दिया गया. काला सागर पर एक और डॉक बनाने की योजना भी पर्यावरण संरक्षकों के प्रयासों से रोक दी गई.

अब जब निर्माण का काम पूरा हो गया है तो सोची के अधिकांश लोगों को ओलंपिक खेलों के होने से खुशी है. उन्हें अच्छा लग रहा है कि रूस दुनिया को दिखा रहा है और सोची को नई संरचना से फायदा होगा. लेकिन कीमायेव कहते हैं, "शहर का विकास ओलंपिक के बिना भी हुआ होता, भले ही इतनी तेजी से नहीं." वे कहते हैं कि यह दक्षिणी रूस का अकेला रिजॉर्ट है, जो देश भर में जाना जाता है, इसलिए इलाके के बजट से भी पैसा आया होता. कीमायेव ओलंपिक के बाद भी पर्यावरण के लिए संघर्ष करना चाहते हैं.

रिपोर्ट: फ्रिडेल टाउबे/एमजे

संपादन: मानसी गोपालकृष्णन

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