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सेक्सनी के गांव में कीमती अयस्क

१ अगस्त २०१३

हाईटेक के काम में आने वाली दुर्लभ धातुएं बहुत कम हैं और महंगी भी हैं. दूसरी ओर चीन ने दुर्लभ धातुओं के अपने भंडार के साथ दुनिया को शिकंजे में कस रखा है. लेकिन जर्मन प्रांत सेक्सनी का एक गांव चीन को चुनौती दे सकता है.

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तस्वीर: AP

स्टॉर्कवित्स लाइपजिग शहर के उत्तर में एक छोटा सा गांव है. नेशनल हाइवे पर दो दर्जन मकान हैं, किसानों के साफ सुथरे लाल ईंटों वाले फार्महाउस. पुरानी हवेली ढह चुकी है, दुकानें हैं नहीं. इनके बदले, जहां तक देखें खेत ही खेत. टेस्ट खुदाई वाली बड़ी बड़ी मशीनें वापस चली गई हैं. स्टॉर्कवित्स उनींदा सा गांव लगता है, सोने की खुदाई वाला कस्बा नहीं.

लेकिन जमीन के 200 मीटर नीचे अयस्कों का बड़ा भंडार दबा है, अरबों के मूल्य का दुर्लभ खनिज. इलाके के मेयर 50 वर्षीय मानफ्रेड विल्डे जब खेतों की ओर देखते हैं तो उन्की आंखों के आगे खुदाई की मशीनें दिखती हैं. उन्हें उम्मीद है कि स्टॉर्कवित्स चीन के मुकाबले खड़ा हो जाएगा. उनके खजाने को नए करों की बेहद जरूरत है, और इलाके को नए रोजगारों की भी जरूरत है, जहां बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत है.

व्यावहारिक लोग

खेतों से सटकर बने एक मकान में विको गोहला अपनी बीबी और बच्चों के साथ रहते हैं. दुर्लभ धातुओं के बारे में उन्हें प्रेस की वजह से लंबे समय से पता है. जब उन्हें अपने गांव में उनके होने का पता चला तो वे अचंभित रह गए. गोहला के घर से सिर्फ 200 मीटर नीचे खजाना दबा है. पिछली गर्मियों में वे अपने बेडरूम से खुदाई मशीनों को निहारते थे. उसका शोर परिवार को परेशान कर रहा था. हवा की दिशा उलटी हो तो लोग गांव में सो भी नहीं पा रहे थे.

किसी दूसरी जगह ऐसे में नागरिक पहलकदमियां बन जाती. लेकिन स्टॉर्कवित्स के लोग व्यावहारिक किस्म के लोग हैं, जो आर्थिक बेहतरी की उम्मीद को प्राथमिकता देते हैं. इसके अलावा उत्तरी सेक्सनी के इलाके में जीडीआर के जमाने में भूरे कोयले की खानें हुआ करती थीं. स्टॉर्कवित्स के इलाके में भी खुली हुई खदानें थीं, जहां अब फिर से जंगल लगा दिया गया है. विको गोहला कहते हैं कि यहां के लोग हर चीज को थोड़ा आराम से लेते हैं.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

जीडीआर की खोज

स्टॉर्कवित्स में दुर्लभ धातुओं का पता 1970 के दशक में जीडीआर के जमाने में संयोग से चला. जर्मन सोवियत कंपनी विसमुट इलाके में गुपचुप यूरेनियम की खोज कर रही थी. लेकिन उन दिनों जब मोबाइल फोन और प्लाज्मा टेलिविजन नहीं बने थे, दुर्लभ धातुओं का भी कोई मोल नहीं था. अब जमाना बदल गया है और दुर्लभ धातुओं की खुदाई के लिए एक नई कंपनी एसईएस बनाई गई है. केमनित्स के एक कारखाने में कंपनी के प्रमुख बैर्नहार्ड गीसेल स्टॉर्कवित्स में मिला अयस्क दिखाते हैं. वह कंक्रीट जैसा दिखता है.

एक जटिल प्रक्रिया के जरिए उसे पत्थर से निकाला जाता है. स्टॉर्कवित्स से लाए गए एक टन अयस्क से 5 किलो दुर्लभ धातु निकलती है. वहां की जमीन के अंदर 20,000 टन अयस्क है, लेकिन इसका दोगुना अयस्क होना जरूरी है ताकि खुदाई फायदेमंद हो सके. और खोज के लिए धन की जरूरत है, एसईएस ने इसके लिए शेयर बाजार से धन जुटाने का फैसला किया है.

खानों के निशान

खुदाई की मशीनें फिर से क्रिस्टा फोग्ट की गोशाला के करीब लगाई जाएंगी. टेस्ट की वजह से फसल को हुए नुकसान की भरपाई कंपनी कर रही है. फोग्ट उससे संतुष्ट हैं. उनका कहना है कि दुर्लभ धातु की खुदाई से इलाके को बहुत फायदा पहुंचेगा. लेकिन पिछले दिनों उन्होंने खुदाई के दौरान बचने वाले अम्ल और कीचड़ के बारे में सुना है. किसानों को चिंता हो रही है कि क्या भविष्य में उनके जानवर इलाके में पैदा चारा खा पाएंगे.

उत्तरी सेक्सनी के लोगों को पता है कि खुदाई हमेशा निशान छोड़ता है. मेयर विल्डे को उम्मीद है कि दुर्लभ धातुओं की खुदाई का सीधा फायदा इलाके को मिले और उसका इलाके में ही संसाधन हो. लेकिन इलाके के लोगों को यह चिंता भी सता रही है कि गांव की शांति भंग हो सकती है, जमीन की कीमत गिर सकती है. लेकिन कोई इस प्रोजेक्ट को रोकना नहीं चाहता. गांव वालों के बस एक रोड चाहिए ताकि ट्रैफिक गांव के बीच से न गुजरे, साइकिल के लिए एक रास्ता और गांव के लिए एक दुकान. फिर चुप रहना कामयाब रहेगा. स्टॉर्कवित्स के लोग सचमुच बेहद व्यावहारिक हैं.

रिपोर्ट: एलिजाबेथ ईमे/एमजे

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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