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सेंट पाउली का अनोखा अंदाज़

१७ अगस्त २०१०

हिप्पी तो वे नहीं हैं, लेकिन अंदाज़ हिप्पियों सा है. और इसीलिए शायद अपने नगर हैम्बर्ग से परे सारे देश में, और विदेश में भी सेंट पाउली को इतना प्यार मिलता है. और अब तो यह टीम लंबे वक्त बाद बुंडेसलीगा में आ गई है.

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सेंट पाउली का प्रतीकतस्वीर: picture alliance/dpa

बुंडेसलीगा के इस सीज़न का सबसे रंगीन क्लब शायद एफसी सेंट पाउली है. हैम्बर्ग की गोदी के पास रेपरबान मुहल्ले में जहां शाम ढलते ही सड़कों पर यौनकर्मियां दिखती हैं, पिछवाड़ों में गांजा और हशीश पीने वाले और साथ ही हर कहीं थियेटर और कलाकार, वहीं यह क्लब बसा है. 1980 के दशक में जब सारे यूरोप में फ़ुटबॉल स्टेडियमों में अति दक्षिणपंथियों और हुड़दंगियों का बोलबाला था, 1981 में ही इस क्लब ने अपने स्टेडियम में किसी भी प्रकार के दक्षिणपंथी प्रचार और नारेबाज़ी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था. उसके मैचों में दर्शकों की संख्या घटकर औसतन 1600 के आसपास रह गई थी. लेकिन वक्त बदला, और जल्द ही 20,000 दर्शकों का स्टेडियम अक्सर खचाखच नज़र आने लगा.

इस तरह सेंट पाउली एक व्यवस्था विरोधी फ़ुटबॉल क्लब है. उसकी वेबसाइट में कहा गया है - 1910 में अ-स्थापित. क्लब का निशान है मुर्दे की खोपड़ी, जिसे पहने हुए क्लब के युवा सदस्य सिर्फ़ हैम्बर्ग ही नहीं, सारे जर्मनी में छिटपुट देखे जा सकते हैं. यह सिर्फ़ एक फ़ुटबॉल क्लब नहीं, फ़ुटबॉल जगत में एक दूसरी वैकल्पिक संस्कृति का प्रतीक है.

काश, खेल में भी अगर यह जोश दिखता. सेंट पाउली ऐसी टीम है, जो लगातार बुंडेसलीगा और दूसरी लीग के बीच शंटिंग करती रही है. 1984-85 में यह क्लब क्षेत्रीय लीग में था, वहां चैंपियन बनकर 1985-86 में वह दूसरी लीग (बुंडेसलीगा 2) में आया, जो जर्मनी के सबसे ऊंचे लीग फुटबॉल बुंडेसलीगा के बाद आता है. दो साल दूसरी लीग में अच्छे प्रदर्शन के बाद बुंडेसलीगा में. उसके बाद नीचे गिरकर चार साल दूसरी लीग में, फिर दो साल बुंडेसलीगा में रहकर फिर से दूसरी लीग में. उसके बाद यह टीम दूसरी लीग और क्षेत्रीय लीग के बीच शंट करती रही, लेकिन पिछले साल के प्रदर्शन के बाद उसे फिर से बुंडेसलीगा में जगह मिली है.

बार-बार बाहर होने से क्लब की वित्तीय स्थिति पर भी असर पड़ता रहा है. क्लब को दीवालिया होने से बचाने के लिए 2003 में समर्थकों ने एक अभियान छेड़ा. लगभग 20 लाख यूरो की ज़रूरत थी और तीन महीने के अंदर यह धन जुटा लिया गया.

स्पोर्टस मार्केटिंग की संस्था यूएफ़ए के अनुसार सारे जर्मनी में सेंट पाउली के 1 करोड़ 10 लाख समर्थक हैं. विदेश में भी इस क्लब के साथ अनेक फ़ुटबॉल प्रेमी रहते हैं. जब वह क्षेत्रीय लीग में था, तब भी उसके मैचों में औसतन साढ़े सत्रह हज़ार दर्शक आते थे, जो बुंडेसलीगा के कई क्लबों से ज़्यादा है. इस सीज़न में बुंडेसलीगा में उसे फिर से मौका मिला है. क्या उसके खिलाड़ी इसका इस्तेमाल कर पाएंगे?

लेख: उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादनः ए जमाल