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सूर्य की दशा जीवनकाल तय करती है

८ जनवरी २०१५

कुछ लोग मानते हैं कि सूर्य की दशा आपके जीवन में अच्छी या बुरी किस्मत लेकर आती है. लेकिन एक ताजा शोध के मुताबिक जन्म के समय सूर्य का शांत या अशांत होना निर्धारित करता है कि आप लंबा जीवन जिएंगे या छोटा.

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Symbolbild Frau auf Wiese Sonne Natur
तस्वीर: Fotolia/Konradbak

नॉर्वे के रिसर्चरों के मुताबिक सूर्य की शांत दशाओं में पैदा होने वाले लोगों की सूर्य के उग्र रूप के दौरान पैदा होने वालों के मुकाबले औसतन 5 साल ज्यादा जीने की संभावना होती है. रिसर्च टीम ने इस शोध में नॉर्वे के 1676 से 1878 के बीच के आबादी संबंधी आंकड़े इस्तेमाल किए. उन्होंने पाया कि सूर्य में उठने वाली लपटों और भूचुंबकीय तूफानों के दौरान पैदा होने वाले लोगों का जीवन काल अन्य के मुकाबले औसतन 5.2 साल कम था.

प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसायटी की पत्रिका में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, "जन्म के समय सौर गतिविधि बुढ़ापे तक जीने की संभावनाओं को कम करती हैं." लड़कियों पर इसका लड़कों से ज्यादा असर पड़ता है. सूर्य की अधिकतम और न्यूनतम गतिविधि का चक्र 11 साल लंबा होता है. अधिकतम सक्रियता के दौरान सूर्य से आग की लपटें और गर्म तूफान उठते हैं जो पृथ्वी पर रेडियो संचार और विद्युत ऊर्जा को भी प्रभावित करते हैं. सैटेलाइटों को नुकसान पहुंचाते हैं और नेविगेशन सिस्टम को बाधित करते हैं. सूर्य की उच्च सक्रियता का संबंध पराबैंगनी किरणों के विकिरण से भी है. इससे डीएनए को नुकसान और प्रजनन क्षमता के प्रभावित होने की भी संभावना होती है.

प्रजनन क्षमता पर असर

नॉर्वे की यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के रिसर्चरों ने 8,600 लोगों के जन्म और मृत्यु के आंकड़े चर्च से हासिल किए. उन्होंने गरीब और अमीर आबादी के आंकड़े जमा किए. इसके बाद इन्हें ऐतिहासिक सौर चक्रों से मिलाया गया. सूर्य के प्रचंड रूप के दौरान गरीब परिवारों में पैदा होने वाली लड़कियों की प्रजनन क्षमता खासी प्रभावित पाई गई. लेकिन अमीर परिवारों में पैदा होने वाले लड़के या लड़कियों पर इतना असर नहीं दिखा. आर्थिक हालात और शिशु पर सौर गतिविधि के प्रभाव के बीच संबंध दिखाता है कि संभ्रांत परिवारों की महिलाएं सहूलियतों के चलते इन खतरों को टालने में ज्यादा सफल रहीं. यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या ये बातें आधुनिक समय में पैदा होने वालों पर भी लागू होती हैं.

रिसर्च लेखकों के मुताबिक, "यह पहली बार है जब बताया जा रहा है कि न सिर्फ शिशु का जीवन और उसकी आयु बल्कि प्रजनन क्षमता भी जन्म के समय सौर गतिविधियों से जुड़ी है." इसका एक तर्क यह भी हो सकता है कि पराबैंगनी किरणों के कारण विटामिन बी फोलेट विघटित होते हैं. जन्म के समय इसकी कमी आने वाले समय में बीमारी और मृत्यु की उच्च दर से जुड़ी है. पराबैंगनी किरणों का संपर्क हमारे लिए नुकसानदेह है लेकिन पर्यावरण परिवर्तन और ओजोन की परत को नुकसान के चलते आगे इन किरणों से और भी संपर्क बढ़ने की बातें सामने आ रही हैं.

एसएफ/एमजे (एएफपी)