सुषमा स्वराज के भाषण की 5 अहम बातें
२ अक्टूबर २०१५सुषमा स्वराज के भाषण पर केवल संयुक्त राष्ट्र महासभा में ही तालियां नहीं बजीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फोन कर के उन्हें बधाई दी और ट्विटर के माध्यम से उनकी खूब तारीफ की है.
चार नहीं, केवल एक सूत्र काफी
अपने भाषण में स्वराज ने भारत-पाकिस्तान वार्ता के विषय में भी भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए कहा, "भारत हर विवाद का हल वार्ता के जरिए चाहता है किंतु वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते.” उन्होंने कहा कि कल इसी मंच से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पाकिस्तान और भारत के बीच शांति पहल का एक चार सूत्रीय प्रस्ताव रखा था, "मैं उसका उत्तर देते हुए कहना चाहूंगी कि हमें चार सूत्रों की जरूरत नहीं है, केवल एक सूत्र काफी है, आतंकवाद को छोड़िए और बैठकर बात कीजिए."
पाकिस्तान के कोरे आश्वासन
उन्होंने आतकंवाद के सबंध में पाकिस्तान द्वारा दिए गए आश्वासनों का जिक्र किया और कहा कि उन पर अमल करने की बात तो दूर, सीमा पार से हाल ही में नए हमले हुए हैं. स्वराज ने बताया कि भारतीय सुरक्षा बलों ने सीमा पार के दो आतंकवादी जिंदा भी पकड़े हैं और कहा, "ये हमले भारत में अस्थिरता फैलाने और भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के कुछ हिस्सों पर पाकिस्तान द्वारा किए गए अवैध कब्जे को वैध बनाने और शेष भाग पर उसके दावे को पुष्ट करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं."
मुंबई हमलों का उल्लेख
उन्होंने वर्ष 2008 में मुंबई में हुए आतकंवादी हमलों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन हमलों में अनेक देशों के निर्दोष नागरिक बड़ी बेरहमी से मार दिए गये थे, "यह पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अपमान की बात है कि इन हमलों की योजना बनाने वाला आज भी खुलेआम घूम रहा है."
आतंकवाद का कोई मजहब नहीं
विदेश मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के विरुद्ध व्यापक संधि को जल्द स्वीकृति दिए जाने का आह्वान करते हुए कहा, "19 साल से हम इसे पारित नहीं कर पाए हैं और आतंकवाद की परिभाषा तय करने में उलझे हुए हैं. हमें यह भी समझना होगा कि आतंकवादियों में अच्छे और बुरे के आधार पर अंतर नहीं किया जा सकता और न ही आतंकवाद को मजहब के साथ जोड़कर देखा जा सकता है. आतंकवादी तो आतंकवादी होता है."
कोई नरमी नहीं बरती जाए
स्वराज ने कहा कि अतंरराष्ट्रीय आतंकवाद को संगठित रूप से अतंरराष्ट्रीय कार्रवाई के जरिए ही हराया जा सकता है. स्वराज के शब्दों में, "आतंकवादियों के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जाए और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. वे राष्ट्र जो आतंकवादियों को आर्थिक मदद देते हैं, उनको सुरक्षित ठिकाने उपलब्ध करवाते हैं, उन्हें प्रशिक्षण देते हैं, उन्हें हथियार मुहैया कराते हैं या उनके अभियानों में उन्हें सहायता देते हैं, अतंरराष्ट्रीय समुदाय को ऐसे राष्ट्रों के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा."