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सुरक्षा परिषद: भारत की इच्छा समझता है चीन

९ नवम्बर २०१०

चीन ने कहा कि वह सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की भारत की इच्छा को समझता है. चीन परिषद में इकलौता एशियाई देश है. लेकिन पाकिस्तान ने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के भारत के दावे को अमेरिकी समर्थन की आलोचना की है.

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सुरक्षा परिषदतस्वीर: AP

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने नई दिल्ली के दौरे पर सुरक्षा परिषद में सुधार के सिलसिले में भारत की स्थायी सदस्यता की मांग का समर्थन किया. इस पर टिप्पणी करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लाइ ने अपनी नियमित प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उचित और आवश्यक सुधारों का समर्थन करता है."

होंग ने कहा, "चीन सुरक्षा परिषद में शामिल होने की भारत की इच्छा को समझता है. चीन भारत सहित अन्य देशों के साथ संपर्क रखने और अधिक विकासशील देशों के शामिल होने की वार्ता में भाग लेने के लिए तैयार है."

उधर पाकिस्तान ने कहा है कि ओबामा का यह समर्थन संयुक्त राष्ट्र के सुधार की प्रक्रिया को और ज्यादा जटिल बना देगा. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल बासित ने एक बयान जारी कर कहा कि हम उम्मीद करते हैं संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला अमेरिका इस बारे में नैतिक आधार पर सोचेगा.

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ओबामा ने किया भारत का समर्थनतस्वीर: AP

सुरक्षा परिषद में संरचनात्मक बदलाव की प्रक्रिया लंबी हो सकती है जिसका दूसरे स्थायी सदस्य विरोध कर सकते हैं. भारत की उम्मीदवारी का अब तक फ्रांस, ब्रिटेन और रूस समर्थन करते रहे हैं. अमेरिका ने पहली बार खुलकर समर्थन व्यक्त किया है. चीन और भारत के संबंध सीमा विवाद को लेकर बहुत संवेदनशील हैं. 1962 में चीन भारत को युद्ध में हरा चुका है और पिछले दिनों में अरुणाचल प्रदेश पर चीनी दावे ने तनाव को फिर बढ़ा दिया है.

स्थायी सदस्यता की जापानी मांगों के बीच चीन में 2005 में व्यापक जापान विरोधी प्रदर्शन हुए थे. भारत और जापान के अलावा जर्मनी और ब्राजील भी सदस्यता के प्रबल दावेदार हैं. अफ्रीका की एक सीट दक्षिण अफ्रीका, मिस्र या नाइजीरिया में से एक देश को मिल सकती है.

भारत के लिए यह साल महत्वपूर्ण है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन जुलाई में भारत का दौरा कर गए हैं. ओबामा के तुरंत बाद दिसंबर में फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी नई दिल्ली जा रहे हैं. साल समाप्त होने से पहले ही चीनी प्रधानमंत्री वेन च्यापाओ और रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव भी भारत का दौरा करेंगे. ये सब सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ए कुमार

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