सुमात्रा के जंगलों के आजाद शिकारी
पश्चिम सुमात्रा के मेंतावाई द्वीप के निवासी अपनी प्राचीन कबीलाई संस्कृति को आज भी जिंदा रखे हुए हैं. टैटू से ढके शरीर के साथ वे आज भी जंगल के आजाद शिकारियों सा जीवन जी रहे हैं.
आदिम सभ्यता
मेंतावी लोग इंडोनेशिया के वे मूल निवासी हैं जिनकी पहचान उनके शरीर पर गुदे टैटू और कुछ हद तक खानाबदोश जीवन के तौर पर होती है. यह सुअर, कुत्ते, बंदर और मुर्गी भी पालते हैं.
शिकारी और खानाबदोश
मेंतावाई द्वीप के यह मूल निवासी समुदायों में रहते हैं. शिकार कर अपना और परिवार का पेट पालने वाले यह लोग द्वीप के तटीय और वर्षावन के इलाकों के रहते हैं.
आस्थावान
मेंतावी लोगों की आबादी इस समय 60,000 के करीब होने का अनुमान है. यह लोग काफी धर्मिक हैं और आस्था से जुड़े कई सारे प्रतीकों को मानते हैं. इनका मानना है कि पेड़ पौधों समेत सभी जीवित चीजों में आत्मा होती है.
सौन्दर्य प्रेमी
इनके शरीर पर गुदे टैटू बॉडी आर्ट के साथ साथ इनकी आस्था का भी नमूना है. इनकी संस्कृति में दांतों को घिस कर शार्क जैसा नुकीला बनाया जाना सौन्दर्य की निशानी माना जाता है.
हवा में बसेरा
सुमात्रा के पश्चिम में स्थित करीब 70 द्वीपों में मेंतावी लोग रहते हैं. बांस, लकड़ी और घास से बने इनके झोपड़ी जैसे घरों को उमास कहते हैं. घर जमीन से थोड़ा ऊपर उठाकर बनते हैं और फर्श लकड़ी की पटरियों से बनती है.
रहन सहन
आदमी कपड़े की लंगोटी पहनते हैं और गले में हार. यह अपने बालों और कान पर फूल भी सजाते हैं. औरतें भी लगभग ऐसे ही कपड़े पहनती हैं. कभी कभी कमर के पास तो कभी वेस्ट जैसा कपड़ा लपेटती हैं.
मिटना स्वीकार नहीं
1945 में इंडोनेशिया की आजादी के बाद सरकार ने ऐसे अलग अलग आस्थाओं वाले लोगों को एक देश-एक धर्म की तर्ज पर इस्लाम मानने के लिए मजबूर करना चाहा था. लेकिन इन लोगों ने इसे स्वीकार नहीं किया.
अलग हैं प्रतीक और मायने
1998 में कानूनन इंडोनेशिया में सबको अपना धर्म मानने का अधिकार मिल गया, फिर भी आए दिन सरकार और पुलिस सेवा के लोग इनके धार्मिक प्रतीकों को मिटाने की कोशिश करते रहते हैं, जिसके कारण मेंतावी कई बार अपना निवास बदलते रहते हैं.