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"विशेष अदालतों का हो गठन"

अपूर्वा अग्रवाल
१ नवम्बर २०१७

सुप्रीम कोर्ट, जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों को लेकर खासा सख्त नजर आ रहा है. अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा है कि साल 2014 के आंकड़ों के मुताबिक जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जो 1581 मामले दर्ज किये गये, उनका क्या हुआ.

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Indien Oberstes Gericht Supreme Court
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/T. Topgyal

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अदालत ने इन मामलों के जल्द निपटारे के लिए केंद्र को विशेष अदालतों के गठन का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि इन विशेष अदालतों का गठन फास्ट ट्रैक कोर्ट की तर्ज पर किया जाये ताकि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ चल रहे मामलों का जल्द निपटारा हो सके. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में सरकार से कहा है कि वह स्पेशल कोर्ट बनाने के लिए अनुमानित खर्च और संसाधनों की पूरी योजना पेश करे. अदालत ने सरकार को यह सभी जरूरी जानकारी देने के लिए छह हफ्ते का समय दिया है. इस मामले से जुड़ी अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी.

अदालत उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जो दोषियों को चुनाव लड़ने पर ताउम्र प्रतिबंध लगाती है. जस्टिस रंजन गोगई और नवीन सिन्हा की बेंच ने राजनेताओं के खिलाफ साल 2014 के बाद दर्ज और निपटाये गये मामलों का ब्योरा भी मांगा है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अदालत से कहा कि वह चुनाव आयोग और विधि आयोग की ओर से दोषी जनप्रतिनिधियों के आजीवन चुनाव लड़ने पर रोक लगाने से जुड़ी सिफारिश पर विचार कर रही है. केंद्र ने साफ किया कि वह जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों की फास्ट ट्रैक सुनवाई के लिए विशेष अदालत के गठन किये जाने के पक्ष में है. वहीं चुनाव आयोग ने याचिकाकर्ता की मांगों का समर्थन किया है.