सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को झा़ड़ा
२१ जनवरी २०११सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विदेशी मानवाधिकार संगठनों के दखल की इसमें कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वह अपने मामलों की देखरेख खुद कर सकता है. जस्टिस डीके जैन की अध्यक्षता वाली स्पेशल बेंच ने कहा, "हम इस बात को बिल्कुल अच्छा नहीं समझते कि अन्य संगठन हमारे कामकाज में दखल दें. हम खुद देखरेख कर सकते हैं और किसी के निर्देश की जरूरत हमें नहीं है. यह हमारे काम में सीधा दखल है. हम इसे बिल्कुल नहीं सराहेंगे."
कोर्ट इस बात से खफा था कि सीतलवाड़ के एनजीओ सिटिजंस फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने जिनेवा स्थित ऑफिस ऑफ हाई कमिश्नर फॉर ह्यूमन राइट्स के सामने दंगों में गवाहों की सुरक्षा का मसला उठाया.
बेंच ने कहा, "ऐसा लगता है कि आपको इस अदालत से ज्यादा भरोसा विदेशी संगठनों पर है. लगता है अब वही गवाहों की सुरक्षा करेंगे." कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसे पत्र लिखे गए तो कोर्ट सीजेपी की समस्याएं सुने बिना ही फैसला सुना सकती है.
कोर्ट के सामने यह मुद्दा वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने उठाया जो 2002 के गुजरात दंगों के मामले में कोर्ट के सलाहकार के तौर पर काम कर रहे हैं. कोर्ट की झाड़ पड़ने के बाद सीतलवाड़ के एनजीओ की वकील कामिनी जायसवाल ने कहा कि आइंदा ऐसे पत्र नहीं लिखे जाएंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार