सीडीयू के नाम पर यहां बाल्टी भी चुनाव जीत जायेगी
२२ सितम्बर २०१७क्रिश्चियन डेमोक्रैट चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार और जर्मनी के लोग उस मियां बीवी की तरह हैं जिनमें प्यार तो नहीं लेकिन आपसी रिश्ता इतना सहज है कि वो अलग नहीं होना चाहते. यह बात लोवर सैक्सनी के उत्तर में स्थित क्लॉप्पेनबुर्ग फेष्टा में इतने पक्के तौर पर नजर आती है कि स्थानीय लोग कहते हैं यहां सीडीयू "बाल्टी को भी चुनाव लड़ा दे तो वो जीत जाएगी." दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पार्टी ने हर चुनाव में यहां 60 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किये हैं.
चुनाव क्षेत्र के ये दोनों जिले मुख्य रूप से कैथोलिक हैं, यहां बड़े और अमीर फार्म हैं और बेरोजगारी कम होने के साथ ही तुलनात्मक रूप से जन्मदर ऊंची (राष्ट्रीय दर 1.5 है जबकि यहां 1.8 बच्चे प्रति महिला) है. बहुत सारे स्थानीय वोटर कहते हैं, "अगर टूटा नहीं है तो जोड़ने की कोशिश भी मत करो." और यही भावना इस वक्त पूरे देश में नजर आ रही है क्योंकि सर्वे यह अनुमान जता रहे हैं कि मैर्केल 24 सितंबर के चुनाव में आसानी से अपनी नैया पार लगा लेंगी.
क्लॉप्पेनबुर्ग में मैर्केल की प्रचार रैली में हिस्सा लेने के बाद एक मतदाता ने कहा, "सामान्य सी बात है कि हमने हमेशा सीडीयू को वोट दिया है, सब ठीक से चल रहा है तो फिर हम क्यों बदलेंगे?" सीडीयू की रैली में आए ज्यादातर लोगों की यही राय थी. चांसलर मैर्केल के आने से पहले शहर के मुख्य चौराहे पर बच्चे दौड़ भाग कर रहे थे, बैंड पर रॉक म्यूजिक बज रहा था और हर तरफ बीयर और वुर्स्ट की महक फैली थी पूरा माहौल ऐसा था जैसे कि कोई पार्टी हो रही हो. गार्जियन और इंडेपेंडेंट जैसे अखबारों ने शायद यहीं के दृश्य देख कर मैर्केल को लीडर ऑफ द फ्री वर्ल्ड कहना शुरू किया है.
शहर के विख्यात लोगों में पॉल शॉकेनमोएले भी हैं जो शायद क्लॉप्पेनबुर्ग और फेष्टा में सीडीयू की स्थिति को ज्यादा अच्छे से समझा सकते हैं. ओलंपिक पदक जीत चुके शो जंपर ने अपनी सफलता की इबारत खुद लिखी है. वे एक बेहद सफल राइडिंग स्कूल चलाते हैं और इसके अलावा उनकी एक लॉजिस्टिक फर्म भी है. उनका परिवार निजी तौर पर रक्षा मंत्री और सीडीयू की नेता उर्सुला फॉन डेयर लाएन को जानता है क्योंकि शॉकेनमोएले की पत्नी और रक्षामंत्री कभी साथ साथ राइडिंग किया करती थीं. शॉकेनमोएले कहते हैं, "शायद अगली पीढ़ी सीडीयू से दूर जाए. आप देख सकते हैं कि यहां कुछ इलाकों में आप्रवासी आने लगे हैं और यहां रविवार को चर्च जाने वाले लोगों की तादाद भी घट गयी है. लेकिन फिलहाल जिंदगी अच्छी है तो फिर क्यों जोखिम लिया जाए?"
एक चीज बहुत साफ है, पीढ़ियों और आबादी के बदलाव के बाद भी वामपंथी सोशल डेमोक्रैट्स के लिए यहां बहुत उम्मीद नहीं है. उनके नेता मार्टिन शुल्त्स ने भी संघीय स्तर पर खुद को साबित नहीं किया और ऐसे में मतदाताओं को मैर्केल से दूर ले जाने के लिए उन्हें बहुत प्रयास करना होगा. क्लॉपेनबुर्ग और फेष्टा की तरह ही पूरा जर्मनी भी वोट दे सकता है और तब चुनाव के आखिरी दिन बहुत से लोग जो किसी चौंकाउ नतीजे की उम्मीद कर रहे हैं वो इसे ऊबाउ कहते नजर आ सकते हैं.
रिपाोर्टः एलिजाबेथ शूमाखर