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सार्क देशों में विनिमय बहुत कम- मनमोहन सिंह

२८ अप्रैल २०१०

भूटान में बुधवार को शुरू हुए सार्क सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दक्षिण एशिया में वस्तुओं, सुविधाओं और लोगों के आज़ादी से आने जाने की पैरवी की है. गुरुवार को होगी भारत पाकिस्तान की मुलाकात.

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प्रधानमंत्री की चेतावनीतस्वीर: UNI

साथ ही सिंह ने ये चेतावनी भी दी कि अगर सार्क को एक संगठन के तौर पर मज़बूत नहीं किया जाता है, तो वह अलग थलग पड़ जाएगा. प्रधानमंत्री का कहना था कि सार्क देशों के बीच व्यापार और निवेश विनिमय बहुत कम है.

दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग के लिए संगठन सार्क की 16वीं बैठक में भाषण के दौरान उन्होंने कहा, "इक्कसवीं सदी दक्षिण एशिया की तब तक नहीं हो सकती जब तक दक्षिण एशिया एक साथ न चले. वैश्विक बाज़ार में दक्षिण एशिया तब ही हिस्सा बन सकता है जब उसमें ठहराव नहीं आए." प्रधानमंत्री का कहना था कि सार्क देशों के बीच व्यापार और निवेश विनिमय बहुत कम है.

साथ ही सार्क के सदस्य देशों ने माना कि वे क्षेत्र का विकास करने की कोशिशों में विफल रहे हैं. उद्घाटन भाषण में भूटान के प्रधानमंत्री जिग्मे थिनले ने कहा कि अब ज़रूरत है कि यह संगठन खुद को आलोचनात्मक दृष्टि से देखे. थिनले का कहना था कि हम फोकस खो रहे हैं.

राजधानी थिम्पू में भूटान पहली बार चल रही शिखर वार्ता की मेजबानी कर रहा है. इस वर्ष सार्क अपनी स्थापना की रजत जयंती भी मना रहा है. इस बार के सार्क सम्मेलन का ख़ास मुद्दा है पर्यावरण और जलवायु संरक्षण पर साझा कार्रवाई. साथ ही इसमें आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दों पर भी बातचीत की जाएगी.

सार्क की स्थापना 1985 में हुई थी जिसका लक्ष्य दक्षिण एशियाई देशों में विकास की गति तेज़ करना था. लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच कई दशकों से चल रहे तनाव के कारण ये समूह खुद को दुनिया के सामने सकारात्मक रूप से पेश नहीं कर पाया है. दो दिन के इस 16वें सार्क सम्मेलन में भारत के अलावा अफगानिस्तान,पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, बांगलादेश, नेपाल और भूटान भी भाग ले रहे हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/श्रेया कथूरिया

संपादनः उभ