सारायेवो के म्यूजियम के लिए कॉफी
१० जून २०१४1992 से 1995 के बीच बोस्निया में हालात इतने खराब थे कि राजधानी सारायेवो की कई इमारतें जल कर राख हो गईं. ओलंपिक म्यूजियम भी इनमें एक था. सारायेवो के मरते हुए म्यूजियम को अब एक कॉफी कंपनी का सहारा है. इटली की कंपनी इलीकैफे अपने डिजाइनर कप बेच कर म्यूजियम के लिए पैसा जमा कर रही है.
ओलंपिक म्यूजियम उसी जगह है जहां 1984 के ओलंपिक खेलों के समारोह हुए. उद्घाटन और समापन समारोह करवाने वाले एनवेर हाजीउमरस्पाहिचे उस वक्त को याद करते हुए कहते हैं, "उस रात जब आग लगी, तब धर्म और जाति के उस विभाजन के बीच अचानक ही एक ख्याल आया कि क्यों न दुनिया भर के कलाकारों को जमा किया जाए और उनसे भविष्य के कला संग्रहालयों को रचने के लिए कहा जाए, कुछ ऐसा हो, जो नए यूरोप और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की पहचान बन जाए."
मिलान, वेनिस और प्राटो से
हाजीउमरस्पाहिचे ने उसी वक्त इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया. एक तरफ बोस्निया में जंग चल रही थी और दूसरी ओर वे यूरोप भर में म्यूजियम और गैलरियों को एकजुट करने की कोशिश में थे. इटली के कई संग्रहालयों ने इसमें शिरकत की. मिलान, वेनिस और प्राटो के म्यूजियम से कई कलाकृतियां भेजी गईं. विएना और लुबलियाना के म्यूजियम भी इससे जुड़ गए. कुल मिला कर 150 पेंटिंग आदि को प्रोजेक्ट के लिए भेज दिया गया, जिनकी कीमत दो करोड़ यूरो है.
लेकिन आज 22 साल बाद भी एआरएस एईवीआई नाम की प्रोजेक्ट की ये सभी पेंटिंग लावारिस सी ही पड़ी हैं. हाजीउमरस्पाहिचे कभी इनकी प्रदर्शनी नहीं लगा पाए क्योंकि सारायेवो के सभी म्यूजियम तहस नहस हो चुके थे. इसी साल इटली की सरकार ने यूनेस्को के जरिए 10 लाख डॉलर मुहैया कराए. इनके चलते फरवरी में एक अस्थायी प्रदर्शनी लगाई जा सकी.
डिजाइनर कप से मदद
अब हाल ही में इलीकैफे भी इससे जुड़ गया है. सारायेवो के कलाकार डीन जोकानोविच तौमीन ने प्रोजेक्ट के लिए डिजाइनर कप तैयार किए हैं. इलीकैफे के उप निदेशक जिओकोमा बिविआनो का कहना है कि इन कप के जरिए वे पूरी दुनिया को सारायेवो के संग्रहालय के बारे में बताना चाहते हैं, "यह कमाल का आइडिया है. हमें लगता है कि हम लोगों को खींच कर यहां लाने का काम बखूबी कर पाएंगे."
पहली बार कोई निजी कंपनी इस प्रोजेक्ट में निवेश कर रही है. ऐसे में उम्मीदें जगी हैं कि इन चित्रों को हमेशा के लिए एक घर मिल सकेगा. नए म्यूजियम का डिजाइन तो तैयार है लेकिन अब तक निर्माण शुरू नहीं हुआ है. डिजाइन भी इटली के ही जाने माने आर्किटेक्ट रेन्त्सो पिआनो ने बनाया है. बोस्निया में इटली के राजदूत रुगेरो कोरिआस का कहना है, "हम इस दिशा में काम कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि जल्द ही अन्य निजी साझीदारों को ढूंढ पाएंगे."
हाजीउमरस्पाहिचे खुद को खुशनसीब मानते हैं कि उन्हें इस तरह का सहयोग मिल रहा है. लेकिन उनकी परेशानी अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है. वह जानते हैं कि मरम्मत के लिए पैसे की कमी के कारण 2012 में नेशनल म्यूजियम को बंद करना पड़ा. अपने देश के नेताओं से वह निराश हैं, "मैं खुश भी हूं और दुखी भी. खुश हूं कि हम आगे बढ़ रहे हैं, पर इस बात से दुखी हूं कि मदद इटली से मिल रही है, हमारे अपने नेताओं से नहीं."
आईबी/एजेए (रॉयटर्स)