सारस को बचाने में भैंसों की मदद
३ मई २०१६मेकॉन्ग डेल्टा पर कंबोडिया की एक बर्ड सैंक्चुरी. यहां की झाड़ियां सारसों के रहने के लिए आदर्श जगह मानी जाती हैं. पर्यावरण संरक्षण संगठन के लिए काम करने वाले हूर पोक नियमित रूप से इस छोटे से गांव के दौरे पर आते हैं. उनकी कोशिश है कि इस जगह को फिर से सारसों के लिए आकर्षक बनाया जाए. इसमें भैंसों की मदद ली जा रही है. बहुत सी जगहों पर ऊंची ऊंची घासें हैं. आयडिया ये है कि इस घास को भैंसों से चरवाया जाए. पर्यावरण संरक्षण संस्था ने इलाके के किसानों को सात भैंसें दी हैं. उनके तीन बछड़े भी हुए हैं.
किसानों के ये डर भी है कि कहीं वे भाग न जाएं. इसलिए उन्होंने बाड़ लगा दी है ताकि भैंसे भागने न पाएं. पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय हूर पोक कहते हैं, "हम यहां भैंसों को चरने देते हैं. वे ऊंची घास को चर लेती हैं और बाकी को अपने खुरों के नीचे दबा देती हैं. सारसों के लिए ये अच्छा है क्योंकि उन्हें छोटी घास चाहिए. वे घास की जड़ों, कीड़ों और मक्खियों को खाकर जीते हैं. इस तरह भैंस सारसों के चारे के इलाके को बढ़ाने में मदद दे रही हैं."
इससे किसानों का भी फायदा होता है. किसानों के यदि फायदा न हो तो उन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए राजी करवाना मुश्किल होगा. यहां कमाने के ज्यादा विकल्प नहीं हैं. लोग बहुत गरीब हैं. यहां से कुछ किलोमीटर दूर एक और गांव है जहां किसान मुख्य रूप से धान उपजाते हैं. यहां भी लोगों ने भी प्राकृतिक तरीके से धान की खेती शुरू की है. किसान कॉर्न्ग तॉर्न्ग कहते हैं, "सचमुच बहुत अंतर पड़ा है. फसल उतनी ही हो रही है, लेकिन हमने खेतों में कम खाद और कम कीटनाशक के अलावा कम बीज डालना सीखा है, पहले हमें प्रति हेक्टर 300 किलो की जरूरत होती थी, अब सिर्फ आधा इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके अलावा हम बीज खुद पैदा कर सकते हैं. पहले हमें इसे खरीदना पड़ता था, अब इसकी जरूरत नहीं रही."
इलाके में हर कहीं लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. ये काम स्थानीय गैर सरकारी संगठन अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संगठनों की मदद से कर रहे हैं. लोग उत्साह से प्रशिक्षण ले रहे हैं हालांकि किसी को ये नहीं लगता कि वे लखपति हो जाएंगे लेकिन मौसम में हो रहे बदलाव को अब और अनदेखा नहीं किया जा सकता. बरसात देर से हो रही है या फिर अचानक मूसलाधार बारिश होने लगती है. मौसम की मार से बचने के लिए किसानों ने खेती में ज्यादा खाद का इस्तेमाल शुरू किया. लेकिन अब वे सीख रहे हैं कि हर कीड़े को कीटनाशक से मारने की जरूरत नहीं है.
अब पर्यावरण सम्मत प्राकृतिक खेती की बात हो रही है. स्कूलों में भी अब पर्यावरण सुरक्षा की पढ़ाई महत्वपूर्ण होती जा रही है. आज यहां सारस की बात हो रही है. ज्यादातर बच्चे किसान परिवारों से आते हैं. ज्यादातर बच्चों को पता ही नहीं है कि सारस खतरे में हैं और इसका उनके माता पिता के काम से क्या लेना देना है. उन्हें सारसों के बारे में बताया जाता है. हूर पोक कहते हैं, "वे घर जाएंगे और इसके बारे में अपने परिवार वालों को बताएंगे. वे सब संरक्षित क्षेत्र के आस पास रहते हैं. इस तरह उन्हें पता चलेगा है कि पर्यावरण संरक्षण उनकी भावी जिंदगी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.
दुनिया भर में आधे से ज्यादा पानी भरे चर वाले इलाके खत्म हो चुके हैं. जिसे इस तरह के इलाके का महत्व पता है, सिर्फ वही उसके संरक्षण के लिए कुछ करने को तैयार होगा. और तभी भविष्य में सारस बचेंगे और दिखेंगे. कबोडिया के मेकॉन्ग डेल्टा में भी.