सामाजिक विकास में फिसड्डी भारत
४ अप्रैल २०१४आधारभूत जरूरतों को आधार पर बनाकर ह्यूमन वेलबीईंग संस्था ने सामाजिक विकास सूचकांक तैयार किया है. यह सूचकांक बताता है कि किस देश में भोजन, आवास, शिक्षा और व्यक्तिगत आजादी के मौकों में समानता की क्या स्थिति है. पोषक आहार, मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाएं, पानी, साफ सफाई, घर और व्यक्तिगत सुरक्षा के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है. इसमें भारत 102वें नंबर पर है.
इंडेक्स में न्यूजीलैंड सबसे ऊपर है. उसके बाद स्विट्जरलैंड, आइसलैंड और नीदरलैंड्स हैं. 102वें नंबर पर रुके भारत में सामाजिक चुनौतियां काफी हैं. बड़ी आबादी के लिए घर अब भी पहुंच से दूर है. समाज के एक हिस्से की अब भी सूचनाओं तक सीधी पहुंच नहीं है. सहनशीलता, शिक्षा व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समान मौकों में भी भेदभाव है.
आर्थिक रूप से तेजी से विकास कर रहे ब्रिक्स देश (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) में सामाजिक विकास की रफ्तार एक दूसरे से काफी अलग है. इन देशों में सिर्फ भारत ही 100वें स्थान से नीचे है. ब्राजील 46वें, रूस 80वें, दक्षिण अफ्रीका 58वें और चीन 90वें स्थान पर है.
एशिया में श्रीलंका, कजाखस्तान और मंगोलिया की हालत भारत और चीन से बेहतर है. पाकिस्तान को 124वें दर्जे पर रखा गया है. रिपोर्ट कहती है, "सामाजिक विकास पर नजर रखना समय के साथ अहम होगा. इसके जरिए यह समझने में मदद मिलेगी कि कहां का सामाजिक विकास आर्थिक विकास के बदलाव के साथ चल रहा है. अभी इस बात का पता लगाना है कि भारत और चीन जैसी तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाएं सामाजिक मुद्दों पर खराब प्रदर्शन क्यों कर रही हैं. कैसे ये देश आर्थिक सफलता का फायदा सामाजिक हालात को बेहतर करने में उठा सकते हैं."
ओएसजे/एमजे (पीटीआई)