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सामाजिक न्याय के लिए आगे आया सुप्रीम कोर्ट

७ दिसम्बर २०१४

भारत में सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक मामलों की सुनवाई के लिए दो न्यायाधीश वाली पीठ का गठन किया है. पीठ हफ्ते में एक दिन इन मामलों की सुनवाई करेगी. शांति नोबेल पुरस्कार जीतने वाले कैलाश सत्यार्थी ने इस पहल की सराहना की है.

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Oberstes Gericht Delhi Indien
तस्वीर: picture-alliance/dpa

सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू के मुताबिक हर शुक्रवार को दो न्यायाधीश बाल तस्करी, महिला सुरक्षा से सबंधित मामलों की सुनवाई के लिए बैठेंगे. दत्तू के मुताबिक ऐसे मामलों पर अक्सर देश का सर्वोच्च अदालत ध्यान नहीं दे पाता है.

जस्टिस दत्तू ने कहा, "यह पहला कदम है और हमें इसे शुरू करना होगा. देश की जनता को लगना चाहिए कि हम उनके साथ हैं और यह अदालत उन्हें समय देती है."

दत्तू ने कहा कि वह कैलाश सत्यार्थी की उस याचिका से प्रेरित हुए हैं जिसमें उन्होंने अदालत से हर साल भारत में हजारों बच्चों की तस्करी के मामले को संबोधित करने की अपील की थी. दत्तू कहते हैं, "लापता बच्चे से जुड़ा केस सबसे ज्यादा मुझे कष्ट देता है. मुझे लगा कि ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए अलग पीठ की आवश्यकता है. मेरी एक बेटी और एक बेटा है. अगर मेरे बच्चे लापता हो जाते हैं तो? मुझे कैसा लगेगा. मैं अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश कर रहा हूं."

बाल मजदूरी के खिलाफ संघर्ष करने वाले कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला युसूफजई को 2014 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

इस फैसले के बाद कैलाश सत्यार्थी ने ट्वीट किया, "महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष पीठ के गठन के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश का बहुत धन्यवाद."

सत्यार्थी के साथ काम करने वाले कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि इस पहल से सरकार पर ऐसे मामलों में त्वरित कार्य करने का दबाव बनेगा, जहां पीड़ित सामाजिक न्याय से वंचित रह जाते हैं.

गैर सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी के अध्यक्ष रविकांत के मुताबिक, "इन वर्षों में ऐसा महसूस किया गया कि अमीर और मशहूर लोगों के हाई प्रोफाइल मामलों पर कुछ ज्यादा ध्यान दिया जाता है लेकिन सामाजिक न्याय के मामले सालों तक लटक जाते हैं. ऐसे मामलों पर नई पीठ स्पष्टता के साथ साथ अविलंबिता भी लाएगी जो महिलाओं और बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं.

जर्मन न्याय प्रणाली

भारत से अलग जहां सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च संवैधानिक अदालत और उच्चतम अपील अदालत है, जर्मनी में सर्वोच्च अदालत संवैधानिक अदालत है जो संविधान और कानून की संवैधानिक व्याख्या के अलावा सभी मामलों के फैसलों की संवैधानिकता पर अंतिम निर्णय करती है.

जर्मन अदालतें पांच श्रेणियों में बंटी हैं. ये प्रशासनिक, लेबर, सामाजिक, वित्तीय और पेटेंट कानून से जुड़ी तीन स्तरों वाली अदालतें हैं. दूसरी जगहों की तरह यहां भी ये केंद्र और राज्य में वरीयता के आधार पर काम करती हैं. इन अलग अलग श्रेणियों की अपनी अपनी सर्वोच्च अदालतें हैं. लेकिन कार्ल्सरूहे शहर में देश का संवैधानिक कोर्ट है, जो जर्मनी की सर्वोच्च न्याय संस्था है. यहां किसी भी मुद्दे से जुड़े मामले अंतिम फैसले के लिए आ सकते हैं.

एए/एजेए (एएफपी)