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साइबर जासूसी में लगे चीनी प्रोफेसर

२५ मार्च २०१३

इंटरनेट में प्रकाशित किए गए कुछ लेखों से पता चला है कि चीनी विश्वविद्यालयों के कुछ शोधकर्ताओं ने खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर अमेरिका पर साइबर हमला किया.

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तस्वीर: Fotolia

पीएलए की यूनिट 61398 साइबर जासूसी की सरकारी कार्यकारी संस्था है. हैकिंग के बढ़ते मामलों के चलते चीन और अमेरिका के संबंध दांव पर है. अमेरिका का कहना है कि उनके देश में हैकिंग चीनी हैकरों के कारण हो रही है. जियाओतोंग विश्वविद्यालय और पीएलए के बीच पहली बार इस तरह की साझेदारी हो रही है.

विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनैशनल स्टडीज में तकनीक और पब्लिक प्राइवेसी कार्यक्रम के अध्यक्ष जेम्स लुइस ने बताया, "सोचने वाली बात है कि ये संस्थान शोध कर रहे हैं या सीधे तौर पर इंटेलिजेंस मामलों में हाथ बटा रहे हैं. रिसर्च करने और इंटेलिजेंस का काम करने में अंतर है." विश्वविद्यालय ने इस बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया है.

सहलेखन से इनकार

इंटरनेट पर विश्वविद्यालय और पीएलए के साझा लेख मैजूद हैं. इनमें नेटवर्क सुरक्षा और साइबर हमले की पहचान जैसी जानकारी उपलब्ध है जिनपर ऊपर ही लिखा है कि ये लेख पीएलए 61398 और जियाओतोंग के स्कूल ऑफ इंफॉर्मेशन सेक्यूरिटी इंजीनियरिंग(एसआइएसई) के प्रोफेसरों ने मिलकर लिखे हैं. हालांकि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर इस बारे में बात करने के लिए तैयार नहीं. जियाओतोंग विश्वविद्यालय के फैन ली नेटवर्क सेक्यूरिटी मैनेजमेंट विभाग में प्रोफेसर शेन के साथ काम करते हैं. 2007 में छपे ऐसे ही एक पेपर को शेन ने पीएलए के साथ मिलकर लिखा था. फैन ने यूनिट 61398 से अपना कोई भी संबंध होने से इनकार किया. उन्होंने कहा वह शेन को केवल इसलिए जानते हैं क्योंकि वे 2010 में एसआइएसई में पढ़ रहे थे. फैन ने कहा उन्हें शेन और पीएलए के बीच किसी भी तरह के संबंध की कोई जानकारी नहीं थी.

China Hacking Unit 61398
तस्वीर: picture alliance / AP Photo

अंतरराष्ट्रीय साझेदारी

शंघाई का जियाओतोंग विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग के मामले में चार प्रमुख कॉलेजों में से एक है. यहां के छात्रों की विदेश में भी खूब पूछ है. इसे अपनी छवि की वजह से दुनिया भर के कई अन्य विश्वविद्यालयों का भी सहयोग मिला हुआ है. जियाओतोंग विश्वविद्यालय का आधिकतारिक तौर पर चीन की मिलिट्री से कोई संबंध नहीं है. एसआइएसई ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि उनका लक्ष्य है चीन के इन्फॉर्मेशन सेक्यूरिटी विभाग को मजबूती देना और देश में हुनरमंद इंजीनियरों की कमी को दूर करना.

जियाओतोंग विश्वविद्यालय ने अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर देश में एक और इंस्टिट्यूट की स्थापना की थी. लेकिन मिशिगन के प्रवक्ता का कहना है कि अब उनका जियाओतोंग के साथ कोई संबंध नहीं है. पिट्सबर्ग के कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय की भी जियाओतोंग के साथ साझेदारी थी. उनका भी कहना है कि उन्होंने पिछले साल जून में यह साझेदारी खत्म कर दी. मैन्डियंट कॉर्प नाम की अमेरिकी कंपनी का आरोप है कि यूनिट 61398 ने पिछले साल अमेरिकी यातायात सिस्टम और वहां की कार सेक्टर पर हमला किया था.

अमेरिका और चीन के बीच हैकिंग एक बड़ा मुद्दा बन गया है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक टेलिफोन कॉल पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस बारे में बात की. हालांकि चीन का कहना है कि उसकी सरकार हैकिंग में हिस्सा नहीं लेती है और वह अमेरिका से साइबर हमलों का शिकार है.

रिपोर्ट: एसएफ/एमजी (रॉयटर्स,एएफपी)

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