साइबर आतंकवाद के खिलाफ जर्मनी और भारत
२७ मई २०१५भारतीय प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद फॉन डेय लाएन ने कहा, "इस मामले में भारत जर्मनी का स्वाभाविक साझेदार है." जर्मन रक्षा मंत्री ने एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल को साइबर आतंकवाद के मुद्दे पर सितंबर में होने वाले एक वर्कशॉप में भाग लेने के लिए जर्मनी आने का निमंत्रण दिया है. जर्मनी अपनी रणनैतिक बहस में साइबर अपराधों को बहुत गंभीरता से ले रहा है और उद्यमों, संगठनों तथा सरकारी संस्थानों को साइबर हमले से बचाने की व्यावहारिक रणनीति विकसित करने और उसके लिए संरचनात्मक ढांचा बनाने का नियमित प्रयास करता है.
इस साल अक्टूबर में नई दिल्ली में भारत और जर्मनी की तीसरी मंत्रिस्तरीय परामर्शी शिखर भेंट हो रही है जिसकी अध्यक्षता जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. फॉन डेय लाएन के इस दौरे का मकसद मंत्रियों के साथ सरकार प्रमुखों की बैठक की तैयारी है. भारत पिछले कई सालों से अपनी सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण पर अरबों यूरो खर्च कर रहा है और दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक बन गया है. शांति शोध संस्था सिपरी के अनुसार पिछले दस वर्षों में उसने दुनिया के कुल कारोबार का 15 फीसदी हथियार खरीदा है. जर्मन कंपनियां उम्मीद लगा रही हैं कि इस कारोबार में उन्हें भी हिस्सा मिलेगा.
इस समय भारत अपने 70 प्रतिशत हथियार रूस से खरीद रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले एक साल से मेक इन इंडिया अभियान चला रहे हैं. इसमें हथियारों का भारतीयकरण भी शामिल है. अब तक सामरिक क्षेत्र की कोई कंपनी भारत में उत्पादन नहीं कर रही है. अंगेला मैर्केल के अगले भारत दौरे में स्थिति बदल सकती है. मोदी के जर्मनी दौरे पर एक सवाल के जवाब में चांसलर मैर्केल ने कहा था कि इस समय हथियारों की बिक्री की कोई परियोजना नहीं है लेकिन समय आने पर फैसला लिया जाएगा. जर्मनी के सख्त हथियार बिक्री कानूनों की वजह से अब तक भारत और जर्मनी के बीच कोई बड़ा समझौता नहीं हो पाया है.
पिछले महीनों में घरेलू हथियार उद्योग के साथ जर्मन रक्षा मंत्री के रिश्ते बहुत तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन भारत के दौरे पर अलग टोन सुनाई दिया है. उर्सुला फॉन डेय लाएन ने भारत में जर्मन हथियारों की खरीद की वकालत की है. भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ मुलाकात में उन्हों ने लड़ाकू विमान यूरोफाइटर के सौदे की बातचीत में बने रहने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इसे सकारात्मक रूप से लिया गया. अपनी ओर से मनोहर पर्रिकर ने पनडुब्बियों के निर्माण में जर्मन कंपनियों के साथ सहयोग में दिलचस्पी दिखाई. फॉन डेय लाएन ने कहा "यहां बातचीत हो रही है." उन्होंने स्पष्ट किया कि "जर्मन उद्योग को वहां भी जर्मन सरकार से मदद मिलेगी." इससे पहले फॉन डेय लाएन ने कभी भी जर्मन हथियार उद्योग की इस तरह से वकालत नहीं की थी.
एमजे/आरआर (डीपीए)